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राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमे आज, सर्वोच्चन्यायलय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रगट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 का चुनाव में, राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी, जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते।

लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्चन्यायलय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जारही है।

आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल विमान सौदे पर कांग्रेस व विपक्ष के लिए शक का बाजार सजाने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्चन्यायलय ने आज अपना निर्णय दे दिया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राफेल सौदे के विरुद्ध दायर सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा है कि इस सौदे की प्रक्रिया में सर्वोच्चन्यायलय को कोई भी विसंगति नहीं मिली है, इसलिए इसके लिए एसआईटी द्वारा जांच की कोई भी आवश्यकता नही है।

निर्णय देते हुए यह भी कहा कि “सर्वोच्चन्यायलय का काम राफेल विमान सौदे में उसके मूल्य के निर्धारण की जांच करना नहीं है। न्यायालय इसको लेकर, कुछ लोगों की धारणा के आधार पर निर्णय नही कर सकता हैं। राफेल सौदे में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नही हुई है, सौदा करने में कोई भी अनियमितता नहीं बरती गई है। सर्वोच्चन्यायलय को राफेल विमान की गुणवत्‍ता पर कोई शंका नहीं है। जब देश को अच्‍छे विमानों की आवश्यकता है तो राफेल सौदे पर सवाल क्‍यों?”

जब से भारत व फ्रांस के बीच राफ़ेल विमान का सौदा हुआ है तभी से राहुल गांधी और उसकी कांग्रेस के पोषित मीडिया के दलालों ने इस सौदे को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। पहले अनिल अंबानी की कम्पनी को लेकर मोदी जी पर आरोप लगाते रहे और जब तीन राज्यों के विधानसभा के चुनाव का समय आया तो व्यक्तिगत रुप से मोदी जी को चोर कह कर आरोपित किया गया था। यह लगातार आरोप की झड़ी जहां भाजपा विरोधी मतदाताओं को संगठित हो कर कांग्रेस के लिए मत डलवाने के काम आया है, वही भाजपा के ही मोदी विरोधियों(स्वंयम्भू हिंदूवादी/राष्ट्रवादि आलोचक) को भाजपा के विरुद्ध मतदान करने या मतदान के दिन घर में ही रहने या नोटा का बटन दबा कर कांग्रेस को विजयी बनाने के काम आया है।

आज सर्वोच्चन्यायलय ने राफ़ेल विमान के सौदे पर प्रश्न उठाने वालों की नीयत पर सवाल उठाये है। लेकिन इसी के साथ सर्वोच्चन्यायलय को भी यह साफ करना होगा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुनी गई संवैधानिक सरकार के कार्यक्षेत्र में निरंतर अतिक्रमण व बहुसंख्यको की भावनाओ का अनादर क्यों? जब राफ़ेल विमान सौदा सर्वोच्चन्यायलय में विचाराधीन था तब प्रधानमंत्री को चोर है कह कर आरोपित करने वाले राहुल गांधी व मीडिया के विरुद्ध संज्ञान क्यों नही लिया?

आज राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी की कांग्रेस तमाम झूठों के साथ, विधानसभा में तीन राज्य अवश्य जीत गयी है लेकिन क्या राष्ट्र को, राफ़ेल विमान सौदे को लेकर डाली गई तमाम उथली याचिकाओं की नीयत की तरह सर्वोच्चन्यायलय की नीयत पर सवाल नही उठाने चाहिए? राष्ट्र यह क्यों न माने की सर्वोच्चन्यायलय भी राहुल गांधी की कांग्रेस की तरफ से ही भाजपा के विरुद्ध चुनाव में नेपथ्य में मौन खड़ा है?

पुष्कर अवस्थी

 

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