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लोकसभा चुनाव 2019 : जीत हार के अधर में अमेठी

अमेठी संसदीय क्षेत्र की यूं तो देश ही नहीं विदेशों में भी अच्छी खासी धमक रही है। कारण कि गांधी परिवार के लिए हमेशा से महफूज रही अमेठी ने वक्त बेवक्त कांग्रेस को झटके भी देकर अपनी पृष्ठभूमि का अहसास कराया है। अमेठी संसदीय क्षेत्र में पांच विधान सभा क्षेत्र क्रमश: अमेठी, गौरीगंज, जगदीशपुर, तिलोई व सलोन शामिल हैं। भौगोलिक लिहाज से भी तीन जिलों के भूभाग मिलाकर बने इस संसदीय क्षेत्र के चुनाव में पूर्व की तरह इस बार भी काफी रोचक व दिलचस्प मुकाबले देखने को मिलेंगे। अमेठी लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले लोकसभा चुनाव की भांति भाजपा यहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुकाबला करने के लिए केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य स्मृति ईरानी को एक बार फिर से उतारकर राहुल को उनकी ही कर्मभूमि पर कड़ी चुनौती देने के मूड में नजर आ रही है।

भारत ही नहीं विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुके अमेठी संसदीय क्षेत्र नेहरू व गांधी परिवार की कर्मभूमि रही और मुश्किलों के दौर में भी गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ा। अब तक हुए लोकसभा के आम चुनावों में से सिर्फ दो चुनावों को छोड़ कर बात करे तो यह क्षेत्र सदैव कांग्रेस व गांधी परिवार के साथ ही खड़ा रहा है। यह बात दीगर है कि 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में अमेठी के ही निवासी रवींद्र प्रताप सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी को शिकस्त देकर दिल्ली पहुंच गए तो वहीं 1998 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े डॉ संजय सिंह ने कांग्रेस नेता व गांधी परिवार के करीबियों में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन सतीश शर्मा को पराजित करते हुए पहली बार यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी थी। और अगर हम दोनों चुनावों से हटकर बात करें तो अमेठी संसदीय क्षेत्र के सभी आम चुनावों में कांग्रेस ही सबसे भारी रही है। बसपा संस्थापक कांशीराम, महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी व दिग्गज नेता शरद यादव भी अमेठी से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। यहां शायद ही किसी प्रत्याशी की जमानत कभी बची हो। कांग्रेस के खिलाफ हालांकि अमेठी में कभी कोई विकास का चुनावी मुद्दा नहीं रहा है। अलबत्ता संजय गांधी ने अपने कार्यकाल में अमेठी संसदीय क्षेत्र में हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड, भेल व एशिया की सबसे बड़ी स्टील प्लांट मालविका सहित 600 के करीब फैक्टरियां स्थापित करवाई तथा उन्हें सुचारू रूप से संचालित भी करवाया। दुर्भाग्यवश संजय गांधी की जून 1980 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद मानो अमेठी में विकास का पहिया थम सा गया।

अमेठी से लोक सभा सदस्य बन कर देश के प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी अपने भाई संजय गांधी के द्वारा शुरू कराए गए विकास के कार्यों को अमली जामा पहना भी नहीं पाए कि 1991 में लोकसभा के आम चुनाव के प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्री पेराम्बदूर में एक जनसभा के दौरान बम विस्फोट में 21 मई 1991 को उनके आकस्मिक निधन के बाद तो अमेठी की किस्मत ही फूट गयी। लोकसभा के उपचुनाव में उनके बेहद करीबी रहे कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव जीत कर कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री बने और अमेठी में पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी व तेल डिपो की अपने कार्यकर्ताओं के लिए झड़ी लगा दी। जब घोटाला सामने आया तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन करने के क्रम में सभी का आवंटन निरस्त हुआ और पुन: आवंटन में ये ज्यादातर दूसरे लोगों को मिले। 1998 में भाजपा के डा. संजय सिंह से चुनाव हारने के बाद शायद ही सतीश शर्मा कभी अमेठी आए हो। राजीव जी के निधन के बाद से राजनीति से दूर रहा गांधी परिवार 1999 के आम चुनाव में एक बार फिर राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार सोनिया गांधी ने अमेठी को ही चुना और भाजपा के डा. संजय सिंह को पराजित कर वे सांसद बनी। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी। तब भी सांसद के रूप में सोनिया गांधी अमेठी तो आती रही परन्तु विकास के नाम पर सत्ता में न होने का हवाला देती रही। 2004 के आम चुनाव में अपनी सीट कांग्रेस महासचिव के रूप में अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़े और तीन लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीते। देश में कांग्रेस ने आशातीत सफलता प्राप्त की और सत्ता पर काबिज हो गयी। अमेठी को एक बार फिर से विकास की नई इबारत लिखने की उम्मीद जगी लेकिन इसे विदेशी मूल का मुद्दा कहे या परिस्थितिवश, सोनिया गांधी प्रधानमंत्री न बन सकी और कांग्रेस ने अपने वफादार डा. मनमोहन सिंह को देश का प्रधान मंत्री बना दिया। अमेठी के वासियों में एक बार पुन: संजय गांधी द्वारा स्थापित कारखानों के शुरू होने की उम्मीद जगी। बंद पड़े सैकड़ों कारखाने भी फिर पांच साल अपने दिन बहुरने का इंतजार करते रहे और सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही 2009 में राहुल गांधी ने चार लाख चौसठ हजार एक सौ पच्चानवे वोट पा कर भाजपा के प्रदीप सिंह को परास्त किया। भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी थी। अमेठी का विकास तो दूर राहुल गांधी पूरे पांच साल तक सिर्फ जिला निगरानी समिति की बैठक में हिस्सा लेने के अलावा अमेठी को विकास का झूठा झुनझुना थमाते रहे। विकास की आशा में एक बार पांच साल फिर गुजर गए  और देश में 2014 के आम चुनाव की घोषणा हो गई। इस बार भाजपा ने राहुल के मुकाबले सास बहू की तुलसी के नाम से विख्यात स्मृति ईरानी को अपना उम्मीदवार बना दिया। उसका सकारात्मक परिणाम भी भाजपा को 28 प्रतिशत वोटों की वृद्धि के साथ मिला और राहुल गांधी को कड़ा मुकाबला झेलना पड़ा। यह बात दीगर रही की भाजपा ने स्मृति ईरानी को अमेठी में बहुत देर से प्रत्याशी घोषित किया था, फिर भी स्मृति तीन लाख से अधिक वोट पाने में कामयाब रही। राहुल को अपनी जीत के लाले पड़ गए थे।

भाजपा से फिर स्मृति ईरानी के चुनाव लडऩे की पूरी संभावना है, तो मुकाबला अत्यंत ही दिलचस्प होगा। विधान सभा व नगर पालिका चुनावों की जीत से उत्साहित भाजपा राहुल को उनके ही गढ़ में शिकस्त देने को बेताब है तो दूसरी तरफ कांग्रेस किसी भी सूरत में अमेठी को अपने कब्जे में रखना चाहती है।

डीपी सिंह/विजय यादव

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