नई दिल्ली, 13 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): कोविड-19 महामारी के कारण सामाजिक दूरी का पालन
करते हुए अध्ययन और अध्यापन से जुड़ी गतिविधियां ऑनलाइन संचालित हो रही हैं। ऐसे में,
विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत संस्था विज्ञान भारती, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था
विज्ञान प्रसार और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) मिलकर छठी से
ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए एक अनूठा वर्चुअल कार्यक्रम
आयोजित कर रहे हैं। विद्यार्थी विज्ञान मंथन (वीवीएम) नामक यह एक राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम है,
जिसका उद्देश्य विज्ञान के प्रति रुचि रखने वाले प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान एवं उन्हें प्रोत्साहित
करना है।
वीवीएम वास्तव में ऐप आधारित, एक ऑनलाइन विज्ञान प्रतिभा खोज प्रतियोगिता है। इस
प्रतियोगिता में छात्र व्यक्तिगत या फिर अपने स्कूल के जरिये मात्र 100 रुपये शुल्क देकर पंजीकरण
करा सकते हैं। प्रतियोगिता परीक्षा से चार दिन पहले छात्रों को अद्यतन ऐप डाउनलोड करने के लिए
एक एसएमएस और ईमेल भेजा जाता है। यह ऐप परीक्षा तिथि से तीन दिन पहले डाउनलोड किया
जाना चाहिए। प्रतियोगिता परीक्षा एंड्रॉयड और विंडोज प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाएगी। वीवीएम
ऐप 25 नवंबर 2020 के बाद डाउनलोड किए जा सकेंगे। इससे संबंधित उसी समय सक्रिय होगा।
प्रारंभिक परीक्षा 29-30 नवंबर 2020 को आयोजित की जा सकती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा है कि “हम वर्ष 2016 से
देख रहे हैं कि वीवीएम के दायरे का लगातार विस्तार हो रहा है। वीवीएम के लिए हमें हर तरफ से
समर्थन मिला है। छात्र हमारा भविष्य हैं, और यदि हम भविष्य में स्टार्टअप के रूप में अधिक संख्या
में प्रौद्योगिकी चाहते हैं, तो इसके लिए हमने अभी से ही स्कूली स्तर पर इसकी प्रक्रिया की शुरुआत
कर दी है।”
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग के निदेशक
बिस्वाजीत साहा ने कहा है कि “भारत सरकार द्वारा हाल में लागू की गई नई शिक्षा नीति से कम
उम्र में नवोन्मेषी मानसिकता विकसित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है। विज्ञान भारती,
विज्ञान प्रसार, सीबीएसई, एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय और राज्यों के
हस्तक्षेप के साथ संचालित यह कार्यक्रम स्कूली स्तर पर बच्चों की नींव मजबूत करने के लिए पूरी
तरह से सही रास्ते पर अग्रसर है। इस तरह की प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों में वैज्ञानिक
दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है।”
इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और प्रतियोगिताओं का
आयोजन किया जाएगा और उन्हें पारंपरिक विज्ञान से लेकर आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बारे
में भारत के योगदान के बारे में बताया जाएगा। ये प्रतियोगिताएं उन छात्रों की पहचान करने में
सहायक होंगी जिन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जा सकता है। प्रतिभाशाली छात्रों को
सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही, विजेताओं को देश के विभिन्न वैज्ञानिक शोध संस्थानों में
जाने का अवसर मिल सकता है। वीवीएम के तहत चयनित छात्रों को विज्ञान के क्षेत्र में अपनी शिक्षा
को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने कहा है कि “वीवीएम का स्वरूप विज्ञान प्रसार की
गतिविधियों से मिलता-जुलता है। इस तरह की प्रतियोगिता के माध्यम से स्कूली स्तर पर ही बच्चों
में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा की जा सकती है और उनमें वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा दिया जा
सकता है। विज्ञान प्रसार ने हमेशा महसूस किया है कि विज्ञान के क्षेत्र में इस तरह के प्रतिस्पर्धा-
आधारित कार्यक्रमों की बहुत आवश्यकता है।”
इस तरह की प्रतियोगिताएं कैसे छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करती हैं, इस सवाल का जवाब देते
हुए डॉ पाराशर ने कहा है कि “भारतीय विज्ञान को सामने लाने की जरूरत है और वीवीएम के पास
एक समर्पित अनुभाग है जो इसके पर काम करता है। स्कूली स्तर पर, यह पहल छात्रों को भारतीय
वैज्ञानिक उपलब्धियों, उसके समृद्ध अतीत और वर्तमान तक उसकी यात्रा के बारे में जानने में मदद
करती है। इस तरह की प्रतियोगिता के माध्यम से कम उम्र में भारतीय विज्ञान से परिचित होने से
बच्चों में विज्ञान के प्रति जागरूकता और रुचि उत्पन्न हो सकती है।”
वीवीएम की वेबसाइट https://www.vvm.org.in पर 30 सितंबर 2020 तक इस प्रतियोगिता में
शामिल होने के लिए ऑनलाइन रूप से पंजीकरण किए जा सकते हैं। (इंडिया साइंस वायर)