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विमुद्रीकरण के उपरांत सरकार, राजनीति और समाज में उभरी विसंगतियों को दूर करने संबंधी सुझावों हेतू मौलिक भारत का प्रतिवेदन

प्रतिष्ठा में,
माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री
भारत सरकार, नई दिल्ली -110001

बिषय : विमुद्रीकरण के उपरांत सरकार, राजनीति और समाज में उभरी विसंगतियों को दूर करने संबंधी सुझावों हेतू मौलिक भारत का प्रतिवेदन

माननीय महोदय,

व्यवस्था में सुशासन और पारदर्शिता के लिए संघर्षरत हमारी संस्था मौलिक भारत के माध्यम से विमुद्रीकरण के उपरांत पिछले एक माह में हमने चार प्रतिवेदनों द्वारा सरकार के विमुद्रीकरण के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा आ रहे अवरोधों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए और हमें हर्ष है कि उनमें से अधिकांश को सरकार द्वारा माना गया।
महोदय, देश में अत्यंत भ्रम की स्थितियां उतपन्न हो चुकी हें। कालेधन के कुबेर जो व्यवस्था के अंदर और बाहर बड़ी मजबूती से घुसे हुए हें ने वृहद स्तर पर सरकार की मंशा और सद्प्रयासों को विफल करने के लिए सुनियोजित अभियान चला रखा है। दुःखद है कि आम जनता की कीमत पर कुछ प्रतिशत लोगों ने आपके उस वादे और आश्वासन की कमर तोड़ दी है जिसमेँ आपने भरोसा दिया था कि 50 दिनों का जनता का संघर्ष उनके अच्छे दिनों की दिशा में अंतिम संघर्ष होगा और इसके उपरांत देश को कालेधन, नकली मुद्रा, आतंकवाद आदि से मुक्ति मिल जायेगी। महोदय, देशभर में 500 और 2000 की अरबों – खरबो की करेंसी की जो लूट मची हुई है और जिस प्रकार उसमें राज्य सरकारों,रिजर्व बैंक और अन्य बेंको के अधिकारियों तथा पुलिस,ट्रांसपोर्ट, रेलवे, परिवहन, कर और राजस्व विभाग के लोगों की व्यापक स्तर पर मिलीभगत सामने आयी है , उसके बाद आम आदमी का भरोसा सरकारी तंत्र और बैंकिंग व्यवस्था से उठने लगा है। इस विश्वास की बहाली हेतू कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हम शीघ्र किर्यान्वयन के अनुरोध के साथ आपको भेज रहे हें, जो निम्न प्रकार हें –
1) देश की बैंकिंग व्यवस्था में आमूलचूल सुधार के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाये जाएं। इनमें सभी प्रकार के बैंकों का एकीकरण कर 4-5 बैंकों में रूपांतरण, बैंकिंग प्रणाली की स्वायत्तता, पारदर्शिता, ऋण देने और वसूले जाने की ईमानदार व्यवस्था और जबाबदेही के लिए प्रभावी कदम तुरंत उठाये जाएं। साथ ही बैंकिंग को अनिवार्य रूप से आधार कार्ड से जोड़ दिया जाए। बेंको से जुड़े किसी भी प्रकार के अपराधों के लिए बिशेष पुलिस बल और अलग न्यायलय बनाए जाएं जो बैंकिंग व्यवस्था में होने वाले किसी भी अपराध को रोकने और दोषियों को सजा देने की प्रभावी व्यवस्था कर सके।
2) विमुद्रीकरण के निर्णय के बाद जिन जिन रिजर्व बैंक और अन्य बेंको के कर्मियो ने नयी करेंसी की कालाबाज़ारी की है उनके विरुद्ध तुरंत कार्यवाही हो और राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। साथ ही जिस किसी व्यक्ति का कालाधन पुरानी करेंसी से नयी करेंसी में बदला गया, उस व्यक्ति पर भी राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चले। आश्चर्यजनक है कि जब सरकार के पास इस अपराध में लिप्त सरकार और समाज के सभी लोगो के विरुद्ध स्पष्ट सबूत और सूचनाएं हें, उसके बाद भी सरकार या तो सीमित कार्यवाही कर रही है या कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रही। अधिकांश मामलों में आयकर विभाग प्राथमिकी दर्ज नहीँ करा रहा है। ऐसा क्यों?
3) देश में कंपनी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में अनके खामियां और धांधलियां हें जिस कारण बोगस कम्पनियों के खुलने और उनके माध्यम से कालेधन को सफेद करने के सेकड़ो मामले सामने आते जा रहे हें किंतू सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। इस मामले की सी बी आई जाँच होनी चाहिए और दोषी सरकारी कर्मियो और कंपनी बनवाने वालों और उसमें मदद करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
4) महोदय, यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि अनेक प्रदेशों में राज्य सरकारों द्वारा करेंसी चेस्ट से जुड़े अधिकारियों, जिला प्रशासन के माध्यम स्थानीय बैंक कर्मियों को दबाब और लालच देकर नयी करेंसी को हथिया लिया गया जो स्पष्ट लूट का मामला है। इस सांझी लूट में मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, नोकरशाह बिशेषकर जिलाधिकारी, बैंक कर्मी, ज्वेलर्स, हवाला कारोबारी, बिल्डर और पुलिस एवं कर अधिकारी सभी की भागीदारी रही है। यह अनेक राज्यों में राज्य की व्यवस्था के पुर्णतः असफल होने का स्पष्ट उदाहरण है। व्यवस्था के सभी लोगों ने पद और गोपनीयता की शपथ के विरुद्ध कामकर राष्ट्रद्रोह किया है। जिस जिस राज्य में यह खेल हुआ है, उन उन राज्यों की सरकारों को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और दोषियों के खिलाफ उचित क़ानूनी कार्यवाही की जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी राजनीतिक दल,समाजसेवी संस्था आदि को कोई भी बिशेषाधिकार अथवा छुट न मिले।
5) 8 नबंबर 2016 के बाद जनधन खातों के अलावा, चालू खातों, पेंशन खातों, बचत खातों का भी भारी मात्रा में कालाधन जमा करने के लिए इस्तेमाल किया गया हे। इसलिए सभी प्रकार के बैंकिंग लेनदेन को आधार कार्ड और पेन नंबर से तुरंत जोड़ा जाए। साथ ही प्रत्येक खाताधारी द्वारा लिखित (या ई मेल/ एस एम एस) में लिया जाए की उसने कितना धन 8 नबंबर के बाद अपने खाते में जमा किया है। सभी प्रकार के खातों में आये अवैध धन को राष्ट्रिय संपत्ति घोषित किया जाए।
6) देश के विभिन्न भागों में समाचार पत्र पत्रिकाओं और न्यूज़ चेनलों के साथ ही अन्य विश्वसनीय माध्यमो से लगातार खबरें आती रही हें जिनमे नेताओं और नोकरशाहों के पास अपार धन संपदा है किंतू आश्चर्यजनक रूप से कोई भी सरकारी विभाग ने तो उनपर छापे मारता है और न ही कोई क़ानूनी कार्यवाही। सरकार की और से भी इनको दिए गए बिशेषधिकारो को कम करने के लिए कोई कदम उठाये जा रहे हें, जिससे जनसामान्य में असंतोष फैल रहा है। इस पर तुरंत प्रभावी और जमीनी कार्यवाही की जाए।
7) देश में कर संग्रह अधिकारियों, बैंकिंग नेटवर्क, बैंक, एटीएम, हाई स्पीड इंटरनेट, डिजिटल भुगतान की व्यवस्था से जुड़ा तंत्र और इसके प्रशिक्षण/निगरानी/ गुणवत्ता और सुरक्षा नियंत्रण केंद्र देश के प्रत्येक गांव, कस्बे, शहर, सरकारी, अर्ध सरकारी, स्वायत्त, निजी संस्थान जहाँ पर किसी भी प्रकार का लेनदेन संभव हो तक निश्चित समय सीमा के अंदर पहुँचाने की व्यवस्था करने के लिए युद्धस्तर पर काम करना चाहिए और इसको लागू करने की कार्ययोजना देश के सामने रखनी चाहिए।
8) देश में आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य बनाया जाए और उनके बिश्लेषण के निष्कर्षो के अनुरूप ही गरीबी की रेखा का पुनर्निर्धारण किया जाए।
9) डिजिटल पेमेंट से जुडी वस्तुओं और सेवाओं का निर्माण, उनके लिए जरूरी सर्वर का संचालन देश के अंदर से किया जाना सुनिश्चित हो। किसी भी प्रकार के डिजिटल भुगतान में लगने वाला शुल्क न्यूनतम और सांकेतिक हो और प्रत्येक लेनदेन पर न होकर मासिक आधार पर हो, इस बात की तुरंत व्यवस्था हो।
10) केंद्र सरकार की तरह रूपये 5000 से ऊपर के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के व्यापारिक लेनदेन भी डिजिटल माध्यम से करना अनिवार्य किया जाए। रिटेल में यह सीमा रूपये 20000 से ऊपर हो। किसी भी प्रकार के नशे की बिक्री अनिवार्य रूप से डिजिटल माध्यम से हो।

प्रति प्रेषित :

श्री जितेंद्र सिंह, मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यलय
श्री अरुण जेटली,वित्तमंत्री, भारत सरकार
श्री संतोष गंगवार,वित्त राज्य मंत्री, भारत सरकार
दिनांक : 18 दिसबर, 2016

धन्यवाद।
भवदीय
अनुज अग्रवाल, महासचिव
मुकेशकांत शर्मा, सदस्य
नीरज सक्सेना, ट्रस्टी
मौलिक भारत

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