डायलाग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव और अवार्ड फंक्शन – 2017 के प्रथम चरण का लखनऊ में भव्य आयोजन
सम्मानित किए गए दो दर्जन से अधिक संस्थान
लखनऊ का होटल क्लार्क अवध कल 20 मई,2017 को एक भव्य आयोजन का साक्षी बना, जिसमें पूरे देश से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत शिक्षण संस्थानों के साथ साथ जाने माने शिक्षाविद भी उपस्थित थे, और इसके साथ ही था शिक्षा के क्षेत्र में ज्वलंत मुद्दों पर चर्चाएँ. मौक़ा था डायलोग इंडिया के द्वारा आयोजित तीसरे डायलॉग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव और पांचवे डायलोग इंडिया एकेडमिया अवार्ड का, जिसमें न केवल शिक्षा जगत के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चाएँ थी बल्कि उसके साथ ही निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए अखिल भारतीय रेंकिंग भी जारी की गयी। जिसे विभिन्न मानकों पर डायलोग इंडिया की रिसर्च टीम ने कई महीनों की मेहनत के बाद तैयार किया था। डायलॉग इंडिया के संपादक अनुज अग्रवाल ने बताया कि आयोजन के प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखण्ड, प.बंगाल, आसाम और उत्तर पूर्व के राज़्यों की रैंकिंग जारी की गयी और श्रेष्ठ संस्थानों को सम्मानित किया गया। अगला चरण 3 जून को चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा।
क्रार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे विधान सभा अध्यक्ष श्री ह्रदय नारायण दीक्षित एवं विशिष्ट अतिथि पूर्व सचिव भारत सरकार कमल टाबरी, अमिताभ ठाकुर(आई जी यू पी पुलिस), प्रो एस के अत्रे (आई आई टी दिल्ली) , कमांडर वीरेंद्र जेटली (आई आई टी खड़गपुर), प्रो. आर सी सोबती, कुलपति बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय थे।
मुख्य वक्ता ह्र्दयनारायन दीक्षित ने शिक्षा को उद्योग के लिए सहायक बताया, मगर शिक्षा एक उद्योग नहीं है. उन्होंने शिक्षा के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग के साथ कदम उठाने का आह्वान किया. उनका पूरा जोर केवल इसी बात पर था कि शिक्षा के लिए केवल जूनून आवश्यक है, शिक्षा मूलयोन्मुखी होनी चाहिए, धनोन्मुखी नहीं. जैसे ही धन की तरफ शिक्षा मुड़ेगी अर्थात शिक्षा का उद्योग बनेगा वैसे ही शिक्षा अपने मूल से भटक जाएगी. इसी के साथ उन्होंने निजी शिक्षा के क्षेत्र में डायलोग इंडिया पत्रिका के द्वारा सम्मानित होने वाले शिक्षा संस्थानों से आए प्रतिनिधियों को सम्मानित किया और उनसे गुणवत्ता परक शिक्षा देने का आह्वान किया.
इस रैंकिंग के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए डायलोग इंडिया के प्रमुख सम्पादक श्री अनुज अग्रवाल ने कहा कि भारत में शिक्षा का परिद्रश्य बहुत ही भ्रामक है जिसमें कक्षा बारह तक निजी शिक्षा संस्थानों पर भरोसा जताया जाता है तो वहीं कक्षा बारह के बाद सरकारी शिक्षा को अभिभावकों के द्वारा पसंद किया जाता है. आखिर उच्च शिक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की स्थिति इतनी निम्न क्यों है? क्या है यह अविश्वास का भाव? अनुज अग्रवाल के अनुसार निजी क्षेत्रों में कुछ लोगों के द्वारा धन के आधार पर डिग्री बांटने की जो परम्परा आरम्भ हुई, उसने निजी क्षेत्र की विश्वसनीयता पर तमाम तरह के प्रश्न उठाए हैं, और इसने उन लोगों के कार्यों पर भी पानी फेर दिया, जो वाकई में अच्छा कार्य कर रहे हैं. तो ऐसे में डायलोग इंडिया द्वारा कराया गया यह सर्वे और रेटिंग, अच्छा कार्य करने वालों को पुरस्कृत करना है.
निजी क्षेत्र में सम्मानित होने वाले संस्थानों में जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा, कलिंगा विश्विद्यालय भुवनेश्वर,हिमालयन विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश, दिव्यांग के लिए शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए जगद्गुरु रामभद्राचार्य हैंडीकैप्ड यूनिवर्सिटी चित्रकूट, बाबू बनारसीदास विश्वविद्यालय लखनऊ, एरा मेडिकल कॉलेज लखनऊ, हजारीबाग कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस एंड हॉस्पिटल, झारखंड, बिड़ला इंस्टिट्यूट, नैनीताल, कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी, गाज़ियाबाद, ऐ के जी इंजीनियरिंग कॉलेज, गाज़ियाबाद, आई एम एस इंजिनीरिंग कॉलेज गाज़ियाबाद, बाबू बनारसीदास नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजिनीरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी, एम पी जी आई कानपुर, एक्सिस ग्रुप ऑफ कॉलेजेज कानपूर, अम्बालिका इंजिनीरिंग कॉलेज लखनऊ, आर डी इंजिनीरिंग कॉलेज गाज़ियाबाद, आदि दर्जनों संस्थान थे, जिन्होनें शिक्षा क्षेत्र में उच्च कार्य किए हैं.
इसी के साथ आईआईटी दिल्ली से आए प्रोफेसर एसके आत्रे की अध्यक्षता में द्वितीय सत्र का संचालन हुआ जिसमें इनोवेशन पर बात की गयी तो वहीं प्रथम सत्र का सफल संचालन आईआईटी खड़गपुर के साथ जुड़े हुए कमांडर वीरेंद्र जेटली ने इंडस्ट्री और रोज़गार की दूरी पर बात की.