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सफलता का महत्वपूण मंत्र है ‘फॉलोअप’

हालही में मैंने एक अत्यधिक प्रतिष्ठित संगठन के लिए रणथंभौर में ऑफसाइट/आउटबाउंड कार्यक्रम आयोजित किया था। मेरी एक गतिविधि मेरे द्वारा डिजाइन की गई एक विस्तृत प्रश्नावली के माध्यम से आत्म-विश्लेषण की थी। इसके दो भाग हैं- ‘अपने आप को एक व्यक्ति के रूप में जानें’ और दूसरा भाग है ‘अपने आप को एक प्रोफेशनल के रूप में जानें’। एक प्रश्न में मैंने पूछा कि अपनी पांच कमजोरियों को लिखें, तो एक व्यक्ति ने अपनी एक कमजोरी के रूप में लिखा था ‘फॉलो अप में कमजोर’।

जिस क्षण मैंने यह देखा, इसने मेरे कान खड़े कर दिए। मैं स्वयं इस कमजोरी का शिकार रहा हूं और जो लोग मुझे जानते हैं वे इससे सहमत भी होंगे। और तथ्य यह है कि, मैंने लंबे समय तक इसकी उपेक्षा की है। मैंने इस पर हाल ही में आधे-अधूरे मन से काम करना शुरू किया है। मेरे मन में हमेशा यह डर था कि अगर मैं बार-बार फॉलो अप करता हूं, तो दूसरा व्यक्ति परेशान हो सकता है। इस संदेह का परिणाम मेरी ओर से उपेक्षित फॉलो अप के रूप में सामने आया। हो सकता है कि मुझे इसका महत्व पूरी तरह से समझ में नहीं आया हो।

अब यहां मेरे सामने एक ऐसा व्यक्ति था जो यह स्वीकार कर रहा था कि उसकी भी यही कमजोरी है। और मुझे उम्मीद थी कि मैं उसे ज्ञान (टिप्स) दूंगा ताकि वह इस कमजोरी को दूर कर सके। मैंने उस व्यक्ति को बताया कि सबसे बड़ा कदम उसके द्वारा पहले ही उठाया जा चुका था कि उसे अपनी कमजोरी का एहसास हुआ है और उसने इसे सफेद कागज के टुकड़े पर लिखकर मुझे भी बताया। मनुष्य  के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि वह दूसरों में गलतियों को खोजने में माहिर है, लेकिन जब खुद में गलतियों को खोजने की बात आती है, तो वह चुप हो जाता है। मेरी कार्यशालाओं में अधिकांश लोग अपनी कमजोरियों को सूचीबद्ध करने में कठिनाई व्यक्त करते हैं। ऐसे लोगों को मेरी सलाह है कि बस अपने जीवनसाथी से सलाह लें और आपके लिए एक लंबी सूची तैयार हो जाएगी।

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी कमजोरियों को पहचानें। जब तक हमें अपनी कमजोरियों का एहसास नहीं होगा, तब तक हम उनसे छुटकारा नहीं पा सकेंगे। हालांकि, सुखद यह है कि एक बार जब हम अपनी कमजोरी के बारे में जान जाते हैं और हम इसे खुले तौर पर स्वीकार करते हैं और अपनी डायरी में लिख देते हैं, तो हमारा मन उस पर सचेत रूप से काम करना शुरू कर देता है और संभावना बन जाती है कि हम उस कमजोरी को समय के साथ दूर कर लेंगे। लेकिन अगर यह कमजोरी हमारी प्रगति के रास्ते में आ रही है, तो हमें सक्रिय रहना होगा और इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा।

हमें याद रखना चाहिए कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां कोई भी आत्मनिर्भर होने का दावा नहीं कर सकता है। क्या कोई यह कह सकता है कि उसे किसी के समर्थन की आवश्यकता नहीं है? आइए हम मानते हैं कि यह एक अन्योन्याश्रित दुनिया है। यह सहयोग की दुनिया है। किसी परियोजना को निष्पादित करने या एक मिशन को पूरा करने से पहले कई व्यक्तियों के सहयोग की आवश्यकता होती है। हर व्यक्ति का ईमानदारी स्तर समान नहीं होता है। आपके या मेरे लिए जो प्राथमिकता है, जरूरी नहीं कि दूसरे व्यक्ति के लिए वह महत्व रखता हो और इसलिए उसे फॉलो-अप करना मेरे हित में है। आम बोलचाल में, कुछ लोग इस स्थिति को एक सामान्य मुहावरे से समझ सकते हैं- ‘एक हाथ से दो दूसरे हाथ से लो’।

उचित फॉलो अप के अभाव में, कई चीजें हमारे मानसिक पटल पर ही रहेंगी व वास्तविकता में कभी नहीं आ सकेंगी। हम बस चीजों के होने की कामना करते हैं और मानते हैं कि हर चीज का एक समय होता है और समय आने पर होता है। इसलिए, हम या तो बिल्कुल भी फॉलो-अप नहीं करते हैं या फिर बहुत ही सावधानी से करते हैं। ऐसे लोगों के लिए जीवन कई बार स्थिर हो जाता है या बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता है। यह एक शांत महासागर में एक नाव में बैठने और वांछित दिशा में ले जाने के लिए हवा की प्रतीक्षा करने की तरह है।

जब आप जानते हैं कि आपके किसी पुराने मित्र, जो एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक उच्च पद पर आसीन है, के एक साधारण फोन कॉल से आपके लघु उद्योग को एक अनुबंध प्राप्त हो सकता है और आपकी कंपनी मंदी से बाहर निकल सकती है, तो उससे संपर्क क्यों नहीं करते? हो सकता है वह बड़ी कंपनी आपके द्वारा निर्मित वस्तु के अन्य आपूर्तिकर्ताओं की तलाश में भी हो। तो यह आपके और आपके मित्र की कंपनी के लिए भी एक जीत की स्थिति हो सकती है।

यह भी संभव है कि वह व्यक्ति कोई कार्रवाई न करे, जिससे आपने कुछ समय पहले संपर्क किया था। दूसरे पक्ष से कोई प्रतिक्रिया नहीं होने के कई कारण हो सकते हैं। वह कुछ अन्य महत्वपूर्ण कामों में भी व्यस्त हो सकता है। इसलिए उसे एक विनम्र रिमाइंडर दें। बुरे से बुरा यह हो सकता है कि वह आपको ‘न’ कह दे। बस इसे शालीनता से स्वीकार करें। लेकिन इसका परिणाम यह नहीं होना चाहिए कि आप अन्य व्यक्तियों के साथ फॉलो अप करना ही बंद कर दें।

एक पेशा है, जहां मैंने एजेंटों को लगातार फॉलोअप करते देखा है वह है बीमा कारोबार। कई बार आपको उनसे चिढ़ भी हो सकती है। लेकिन वह इसी तरह अपने व्यवसाय को बढ़ाते हैं और अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं। कई बार, बहुत अधिक फॉलो अप और विशेष रूप से वरिष्ठ लोगों के साथ उल्टा हो सकता है। बहुत सारे फोन कॉल अक्सर लोगों को परेशान करते हैं। लोन या फ्लैट या क्लब की सदस्यता के लिए अज्ञात लोगों के ब्लाइंड कॉल को फॉलो अप कॉल के रूप में नहीं माना जा सकता है।

किसी सेमिनार में किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति द्वारा आपको दिए गए किसी कॉन्टेक्ट के बारे में उसे याद दिलाना भी एक प्रकार का फॉलो अप है। किसी वरिष्ठ व्यक्ति के साथ फॉलोअप करते समय सुनिश्चित करें कि आप उसकी प्राइवेसी अथवा उसके व्यस्त कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न नहीं कर रहे हैं। इन दिनों, आप एक साधारण एसएमएस या एक व्हाट्सएप संदेश के माध्यम से फॉलोअप कर सकते हैं। आप एसएमएस के माध्यम से बात करने के लिए उपयुक्त समय का भी अनुरोध कर सकते हैं, ताकि वह निर्दिष्ट समय पर बात करने के लिए आवश्यक विवरणों के साथ तैयार हो जाए।

यदि आप में से कुछ को लगता है कि आप फॉलोअप कार्रवाई में कमजोर हैं, तो अब आप तैयार हो जाएं व कार्य करें, चीजें बेहतर होने लगेंगी। बस आप उन करीबी लोगों की एक सूची बनाएं जिन्हें आप महसूस करते हैं कि वह फॉलोअप में बहुत अच्छे हैं। अब उनकी फॉलोअप शैली का विश्लेषण करें। आप महसूस करेंगे कि उनमें से कुछ अपने फॉलोअप कार्य करते हुए चिढ़चिढ़े हो रहे हैं। बस सूची से उनके नाम हटा दें। अब कुछ ऐसे होंगे जिनका फॉलोअप स्टाइल काफी परिपक्व है। यह न तो बहुत अधिक है और न ही बहुत कम है और वे इसे व्यवस्थित तरीके से करते हैं। अपने पसंद के किसी व्यक्ति की शैली की नकल करने में कुछ भी गलत नहीं है। आप अपने अनुसार इसे थोड़ा संशोधित कर सकते हैं। फॉलोअप सिर्फ एक कप कॉफी या एक ग्लास बीयर या यहां तक कि डिनर मीटिंग या गोल्फ का खेल भी हो सकता है। ऐसी स्थितियों में फॉलोअप स्वत: ही होता है।

दूसरा कदम; उन कार्यों की एक सूची बनाएं जो किसी अन्य व्यक्ति की निष्क्रियता के कारण लंबे समय से लंबित हैं। अब उन सभी को एक-एक करके फॉलोअप करना शुरू करें। यह मत भूलें कि विभिन्न लोगों के साथ फॉलोअप की शैली व उसकी आवृत्ति भिन्न-भिन्न होगी। नियमित बनें, विनम्र रहें, गतिवान बनें, बहिर्मुखी हों और फॉलोअप में अच्छे बनो। बहुत जल्द आप पाएंगे कि चीजें तेज गति से होने लगी हैं।

 

कमांडर
वीके जेतली
शैक्षिक एवं प्रेरक वक्ता

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