केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने बताया कि प्रदूषण के सभी स्वरूपों पर ध्यान केन्द्रित करने के उद्देश्य से सहयोगपूर्ण एवं भागीदारी के नजरिये के साथ सभी संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और अन्य हितधारकों को इस कार्यक्रम के मूल बिन्दु से जोड़ा गया है। डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि उपलब्ध अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों और राष्ट्रीय अध्ययनों को ध्यान में रखते हुए 2017 को आधार वर्ष मानकर एनसीएपी के तहत वर्ष 2024 तक हवा में पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर में 20 से 30 फीसदी कमी लाने का राष्ट्रीय लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि एनसीएपी का समग्र उद्देश्य देशभर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क बनाने और जागरूकता एवं क्षमता निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही वायु प्रदूषण को रोकने, उस पर नियंत्रण और उसे खत्म करने के लिए समग्र कार्य योजना शुरू करना है।
इस मौके पर मौजूद नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने कहा कि एनसीएपी एक बड़ी पहल है और एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, क्योंकि इसके तहत शहरीकरण के लिए खतरे के रूप में उभरे एक बड़ी चुनौती वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जाएगा। श्री कांत ने कहा कि आज तीन फीसदी जमीन पर ही शहर बसे हैं, लेकिन जीडीपी में उनका योगदान 82 प्रतिशत है, ये 78 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ने के लिए जिम्मेवार भी हैं। उन्होंने कहा कि ये शहर विकास और समानता के वाहक हैं, लेकिन इन्हें बनाये रखना होगा और इसी संदर्भ में समेकित कार्यक्रम के साथ एनसीएपी की विशेष प्रासंगिकता है।