*प्रदेश में कोरोना, कांग्रेस और भाजपा तीनों विस्फोटक स्थिति में हैं। कोरोना को रोकने के लिए फिर से लॉक डाउन लगाए जाना ही समझदार लोगों को विकल्प लग रहा है। कांग्रेस में सचिन पायलट की वापसी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निश्चिंत हो जाना चाहिए था मगर उन्होंने अपने सभी विधायकों को बाड़े मुक्त नहीं किया है। ज़ाहिर है वे अभी भी शंकित हैं।भाजपा के हाल ये हैं कि दूसरों के घरों में ताक झांक करने वाले नेता अब अपने ही घर की झाड़ पौंछ कर रहे हैं। कुल मिलाकर कोरोना , कांग्रेस और भाजपा तीनों ही ज्वलनशील कचरे का ढेर बन चुके हैं और उन्होंने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है।*♂
*जोधपुर , कोटा , पाली, बीकानेर, धौलपुर, अलवर ही नहीं अब तो हर जिले के आंकड़े संभाले नहीं संभल रहे ।रोज़ पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। कई शहरों में आंतरिक लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं।*
*अजमेर का जिक्र किया जाए तो यहां ब्यावर नसीराबाद, केकड़ी और अजमेर शहर पूरी तरह लॉकडाउन किए जाने की ज़रूरत महसूस कर रहा है। निकटवर्ती भीलवाड़ा जिला भी लॉक डाउन के चरण बद्ध क्रम से गुज़र रहा है।*
*प्रदेश की गहलोत सरकार पूरी तरह अपने वजूद को पुनर्जीवित करने की दिशा में लगी हुई है। उसका सारा ध्यान सियासी दांव पेंच के जवाब तैयार करने में बीत रहा है। कोरोना की तरफ तो किसी का ध्यान ही नहीं।*🤦♂️
*राज्य के नौकरशाह शिथिल पड़े हुए हैं। “सैंया हमारे घर नहीं , हमें किसी का डर नहीं”। जब सरकार ही सो रही हो तो नौकरशाहों को जागने की क्या जरूरत।*🤷♂
*राज्य में सरकार नाम की कोई चीज़ जनता को नज़र नहीं आ रही ।जो बच गया, वह बच गया जो मर गया, सो मर गया ,वाले हालात से जनता रोज़ रूबरू हो रही है।*
*जनता के प्रतिनिधि प्रजातंत्र में, जनता की आवाज़ माने जाते हैं मगर वे तो गले में सियासत का पट्टा बांधकर बाड़े में दुम हिला रहे हैं।*
*सचिन पायलट ने जिन 18 विधायकों को अपने चंगुल से रिहा किया है, वे सियासती तौर पर बधिया हो कर लौटे हैं। सरकार में उनका होना ना होना बराबर है। उनकी आवाज़ का गला बैठा हुआ है। टॉन्सिल्स फूले हुए हैं।*
*जिन विधायकों की आवाज़ में दम हो सकता था, उनकी बाड़ों में क़ैद रहते हुए सियासती नसबंदी हो चुकी है।*
*राजस्थान की जनता फिलहाल अपने आप को अनाथ हुआ महसूस कर रही है। कोरोना का संकट अब हर घर की तलाशी लेता नज़र आ रहा है।*
*जहां तक गहलोत की राजनीति का सवाल है।वे हाईकमान के फैसले से इतने नाराज़ नहीं जितने नाराज़ अपने विरुद्ध बनाई जाने वाली high-power कमेटी से हैं ।तीन सदस्यों वाली कमेटी उनके विरुद्ध सचिन पायलट द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करेगी। एक भगोड़े नेता जिसने पार्टी की छवि को बर्बाद कर दिया हो ,उसके द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करना, वह भी पार्टी भक्तों की ,यह गहलोत को रास नहीं आ रहा ।जो विधायक पार्टी की इज्जत को बचाए रखने के लिए महीने से अनुशासन के साथ बाड़े में कैद हैं। उनको पार्टी ऊंचा ओहदा दे , सम्मान दे, इसकी तो उम्मीद थी मगर पार्टी उन को ताक में रखकर भगोड़े विधायकों को सत्ता में समुचित स्थान दिए जाने की बात करें तो यह कैसे बर्दाश्त हो सकता है।*
*मुझे लग रहा है कि अशोक गहलोत हाईकमान को अपनी और अपने विधायकों की नाराज़गी 14 अगस्त के बाद जाहिर करेंगे। उन्होंने सोनिया गांधी से मिलने का वक्त मांग लिया है।*
*राष्ट्रीय महामंत्री वेणु गोपाल यद्यपि गहलोत समर्थित विधायकों का गुस्सा शांत करने के लिए पूरी तरह सक्रिय हैं किंतु मुझे नहीं लगता कि वे शांत हो पाएंगे….और फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनका पूरी तरह से साथ जो दे रहे हैं।*
*इधर भाजपा में भी सब कुछ सामान्य नहीं। डॉक्टर सतीश पूनिया का संगठन पूरी तरह नाकामयाब सिद्ध हो रहा है। उन्हें वसुंधरा राजे को ठिकाने लगाने का इशारा भले ही ऊपर से मिला हो मगर अब वसुंधरा को पुनः प्राण प्रतिष्टित किए जाने के फैसले से वे घबराए हुए हैं।*
*कांग्रेस की तरह ही भाजपा में भी अंतर कलह का ज़हर घुल चुका है और बगावत के बिगुल बजने की आवाज़ दिल्ली तक पहुंच चुकी है। दिल्ली से हाईकमान अपने कुछ नेताओं को होने वाली विधायक दल की बैठक में भेज रहा है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुरलीधर राव, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना दूत बनकर आ रहे हैं। वे अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेंगे। विधायकों की रायशुमारी से पता चल जाएगा कि कितने लोग पूनिया से खुश हैं और कितने लोग वसुंधरा से।*🤷♂
*ये रिपोर्ट ही तय करेगी कि वसुंधरा का भविष्य क्या होगा?*
*डॉक्टर पूनिया, वसुंधरा, गहलोत, सचिन पायलट सब एक तरफ हैं फिलहाल कोरोना एक तरफ।यदि शीघ्र ही लॉकडाउन से हालातों पर काबू नहीं पाया गया तो कोरोना की चेन मजबूत होती चली जाएगी। संपर्क से होने वाली बीमारी संपर्क टूटने से ही खत्म होगी। यह बात अभी तक सरकार समझ नहीं पाई है।*
सुरेन्द्र चतुर्वेदी