डॉ. वेदप्रताप वैदिक
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालूप्रसाद यादव का गठबंधन टूट न जाए और बिहार की सरकार बनी रहे, ऐसी कोशिश कांग्रेस-अध्यक्ष सोनिया गांधी कर रही हैं। लालू और उनके परिवारवालों पर भ्रष्टाचार के इतने आरोप लगे हैं और उनकी संपत्तियों पर इतने छापे पड़ रहे हैं कि उनका बुरा असर नीतीश की छवि पर पड़ रहा है। नीतीश के मंत्रिमंडल में लालू के दो लड़के हैं। उनमें से एक उप-मुख्यमंत्री भी है। नीतीश की पार्टी का प्रवक्ता कह रहा है कि लालू परिवार अपनी संपत्तियों का स्त्रोत बताए। वह यह बताए कि उसके पास इतना पैसा कहां से आया ? इसका अर्थ यह हुआ कि उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस्तीफा दे। लेकिन यह यादव परिवार इतनी पतली चमड़ी लेकर मैदान में नहीं उतरा है। उसकी खाल गैंडे से भी मोटी है। उसने अपने पिता से सीखा है कि जेल की हवा खाने के बावजूद चुनाव जीता जा सकता है। वह इस्तीफा क्यों दे ? नीतीश को उसे बर्खास्त ही करना पड़ेगा। जाहिर है कि सरकार गिर जाएगी, क्योंकि लालू-दल के विधायकों की संख्या नीतीश-दल से ज्यादा है। सोनियाजी इस सरकार को बचाना चाहती हैं ताकि 2019 में मोदी को चुनौती दी जा सके लेकिन वे क्या भूल गई कि उनके सज्जन पति की सरकार और उनके हाॅंभरु विनम्र सेवक की सरकार क्यों नहीं लौट पाईं ? भ्रष्टाचार के कारण ! उसका श्रेय सोनियाजी को ही है। उनके इतालवी रिश्तेदारों ने राजीव को बोफोर्स में फंसाया था और उनके विनम्र सेवक उन्हीं के कारण ‘मौनी बाबा’ बने रहे। अब उसी जाल में फंसकर नीतीश भी मारे जा सकते हैं। इससे कहीं ज्यादा अच्छा यह है कि नीतीश अब लालू-गिरोह से अपना पिंड छुड़ाएं और भाजपा से दुबारा अपना नाता जोड़ें। नीतीश की छवि में चार चांद लग जाएंगे। भाजपा और नीतीश-दल मिलकर सरकार बड़े मजे से बना सकते हैं। बिहार का चुनाव तो नीतीश जीतेंगे ही, राष्ट्रीय स्तर पर भी यदि जरुरत पड़ गई तो लोग नीतीश को पसंद करेंगे।