आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की शत संवत्सरी पुण्यतिथि पर सर्वप्रथम लोकमान्य जी को वंदन करते हुए आप सभी से निवेदन करना चाहता हूं की मध्य प्रदेश के लोकप्रिय अखबारों और अन्य प्रिंट मीडिया द्वारा इतनी बड़ी घटना का जिक्र न करना और अपने अखबार में लोकमान्य जी के प्रति श्रद्धांजलि भी अर्पित न करना, इसका समस्त मराठी भाषियों द्वारा विरोध व्यक्त किया जाता है। समस्त मराठी भाषियों से निवेदन है कि अपना आक्रोश व्यक्त कर समस्त प्रिंट मीडिया का विरोध करें।
इस निंदा प्रस्ताव का समर्थन करते हुए म.प्र. सरकार से आग्रह है कि यह भूल नही राष्ट्रीय चरित्र को विलुप्त करने की साजिश है इस विषय में प्रिंट मीडिया पर योग्य कार्यवाही की जावे आश्चर्य कि लो.तिलक जी अग्रणी क्रांतिकारक तो थे ही वे अपने समय के जेष्ठ श्रेष्ठ पत्रकार भी थे उनकी अाग उगलती लेखनी राष्ट्र भक्तो मे जागृती के स्वर फूंकती थी अंग्रेजी शासक उनकी लेखनी के प्रभाव से चिंतित रहा करते थे आज का बिकाऊ मीडिया राजनीती की गुलामी करने की मानसिकता से ग्रसित है लोकमान्य तिलक की सौंवे स्मृतिदिवस पर उन्हे समाचार पत्र मे स्थान न देना यह राष्ट्रीय अपमान करनेवाला घोर अपराध है. एक ऐसी घडी मे जब पुण्यस्मरण पर कोई आयोजन करने पर शासन को प्रतिबंधित करना पड रहा है, प्रिंट मीडिया की जबाबदारी बढ जाती है। मै प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इस रुख से आज लज्जित हूँ, दुखी हूँ………..
-वंदेमातरम्
(नोट :- कहीं ऐसा न हो कि कुछ *खास किस्म के अतिरिक्त बुद्धि वाले लोग* कहीं इसे जातिवाद से न जोड़ दें, क्योंकि विरोध केवल मराठी भाषी अधिक कर रहे हैं, बाकियों की तरफ से अभी तक आवाज नहीं उठी, सभी लोग सुशांत सिंह के लिए अधिक चिंतित हैं)