ऑल इंडिया रेडियो और विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार ने मिलकर जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर केंद्रित रेडियो धारावाहिक की विशेष श्रृंखला शुरू की है। जलवायु परिवर्तन के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इससे निपटने में जन-भागीदारी बढ़ाने में यह रेडियो धारावाहिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
यह जलवायु परिवर्तन के बहुआयामी पहलुओं पर केंद्रित 52 कड़ियों का रेडियो धारावाहिक है, जिसका निर्माण विज्ञान प्रसार और ऑल इंडिया रेडियो द्वारा किया गया है। इस रेडियो धारावाहिक का प्रसारण 31 मार्च 2019 को राष्ट्रीय स्तर पर ऑल इंडिया रेडियो द्वारा 121 स्टेशनों से 19 भारतीय भाषाओं में किया जाएगा। इसमें 14 एफ.एम. स्टेशन तथा 107 मीडियम स्टेशन शामिल हैं। इस धारावाहिक का नाम हिंदी में ‘बदलती फिजाएं’ और अंग्रेजी में ‘व्हिस्परर्स ऑफ विंड’ है। धारावाहिक की प्रत्येक कड़ी 27 मिनट की है।
धारावाहिक में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ, प्रौद्योगिकीविद और निति निर्धारक शामिल होंगे, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े विज्ञान और उससे संबंधित मुद्दों के बारे में सहज भाषा में जानकारी देंगे। यह धारावाहिक भारत में जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए आम लोगों की समझ बढ़ाने की दिशा में उपयोगी हो सकता है। लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए श्रोताओं से सवाल पूछे जाएंगे और सही जवाब देने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। ईमेल और पत्रों के जरिये आम लोग भी जलवायु परिवर्तन से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं। अच्छे सवालों को कार्यक्रम में न केवल शामिल किया जाता है, बल्कि उन्हें पुरस्कृत भी किया जाता है।
विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने कहा कि “टिकाऊ पर्यावरण एवं अनुकूल जलवायु जीवन के लिए जरूरी होने के साथ कृषि, रोजगार, आमदनी और समाज को स्थायित्व प्रदान करने में भी मददगार हो सकती है। इसीलिए एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पर्यावरणीय तंत्र को स्वच्छ एवं स्थायी बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित एवं जागरूक करना उपयोगी हो सकता है।”
इस परियोजना के संयोजक डॉ बी.के. त्यागी ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “रेडियो धारावाहिक का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बारे में जागरूकता पैदा करना और जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान, अनुकूलन, रोकथाम, ऊर्जा दक्षता एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। धारावाहिक में जलवायु परिवर्तन से निपटने से जुड़ी सफलता की कहानियों को भी शामिल किया गया है जो स्थानीय स्तर पर लोगों को प्रेरित कर सकती हैं।”
डॉ पाराशर ने बताया कि “रेडियो के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना विज्ञान प्रसार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है। विज्ञान प्रसार और प्रसार भारती के एक समझौते के तहत वर्ष 2008 से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों में जागरूता बढ़ाने तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए रेडियो धारावाहिकों का निर्माण एवं प्रसारण किया जा रहा है। इस विषय के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे राष्ट्रीय एजेंडा और विज्ञान संचार तथा लोकप्रियकरण के उद्देश्यों के साथ जोड़ा गया है।”
जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्ययोजना में आठ राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह रेडियो धारावाहिक भारत के राष्ट्रीय मिशन की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए राहत और अनुकूलन उपायों में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने मददगार हो सकते हैं।
ऑल इंडिया रेडियो की उप महानिदेशक एम. शैलजा सुमन ने कहा कि “इंटरनेट के जमाने में भी रेडियो की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है। भारत के दूरदराज के उन इलाकों में भी रेडियो की पहुंच है, जहां इंटरनेट अभी तक पहुंच नहीं सका है। इसलिए रेडियो के जरिये जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे पर लोगों को जागरूक करने की यह पहल काफी प्रभावी साबित हो सकती है।” (इंडिया साइंस वायर)
उमाशंकर मिश्र