आर्य समाजी विद्यालय में शिक्षा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समाजसेवा के संगम से मेरे दिल और दिमाग पर राष्ट्रभक्ति की विशेष छाप है। मेरा सारा राजनीतिक जीवन राष्ट्रभक्ति के भावों के बिना शून्य ही रह जाता। जब मन पर समाज और राष्ट्र की सुरक्षा से सम्बन्धित विचारों का प्रभाव होता है तो व्यक्ति स्वार्थ में बहकर राजनीतिक जीवन को भ्रष्टाचारी कार्यों की बलि नहीं चढ़ाता। आज यदि राजनीतिक जीवन में या किसी भी अन्य क्षेत्र में जब भी भ्रष्टाचार, अपराध, अनैतिकता, लड़ाई-झगड़ा या लूट-खसोट आदि अनैतिक आचरण दिखाई देते हैं तो एक सहज कल्पना की जा सकती है कि ऐसे कार्यों में लिप्त लोग राष्ट्रभक्ति की अवधारणाओं और मान्यताओं से कोसों दूर हैं। इसलिए मेरा यह निश्चित मत है कि समाज से यदि हर प्रकार की अनैतिकता और दुराचार आदि को समाप्त करना है तो हमें देश के नागरिकों को बचपन से ही राष्ट्रभक्ति और समाजसेवा का भरपूर पाठ पढ़ाना चाहिए। हमारे जीवन के प्रत्येक अवसर पर इन्हीं भावनाओं को पूरा महत्त्व और सम्मान मिलना चाहिए। मैं अपने राजनीतिक कार्यों में भी सदैव यह प्रयास करता रहा हूँ कि प्रत्येक मंच से भारत माता की जय और देश के लिए बलिदान होने वाले तथा निःस्वार्थभाव से समाज की सेवा में लगे महावीरों और महापुरुषों का गुणगान चलता रहे। विद्यालयों में इन्हीं महान आत्माओं के चित्र और गाथाएँ मुँह बोलती दिखाई देनी चाहिए। इन सभी कार्यों के बीच मेरा यह भी प्रयास रहता है कि राष्ट्रीय ध्वज अर्थात् अशोक चक्र से सुसज्जित तिरंगा ध्वज यथासम्भव ऊँचाईयों को छूता हुआ दिखाई दे।
वर्ष 2016 में मैंने राज्यसभा सदस्य होने के नाते संसद में रेल बजट पर चर्चा के दौरान एक विशेष प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। आज भारतीय रेल केवल भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रही अपितु यह एक अन्तर्राष्ट्रीय रेल नेटवर्क बन चुकी है। भारतीय रेल भारत के अतिरिक्त बंगलादेश और पाकिस्तान भी जाती है। जिस प्रकार हवाई जहाज के ऊपर भारतीय ध्वज पेंट होता है, उसी प्रकार भारतीय रेलों के इंजन और डिब्बों पर भी तिरंगे ध्वज पेंट किये जाने चाहिए। इससे देशभक्ति के वातावरण में भी वृद्धि सम्भव हो सकती है। सारे देश में जब रेलगाड़ियाँ गाँव-गाँव से गुजरती हैं तो छोटे बच्चे हाथ हिला-हिलाकर रेल यात्रियों का अभिवादन करते हैं। रेलगाड़ियों पर यदि तिरंगा ध्वज अंकित होगा तो स्वाभाविक रूप से सारे देश के बच्चों में यह भावनाएँ भी प्रबल होंगी कि हम रेल यात्रियों के साथ-साथ अपने ध्वज का भी सम्मान करते हैं। मुझे प्रसन्नता होती है आज भारतीय रेलगाड़ियों को देखकर जिनके इंजन और प्रत्येक डिब्बे पर तिरंगे ध्वज अंकित किये जा चुके हैं।
भारतीय रेलों के अतिरिक्त हवाई जहाजों, बसों, ट्रकों तथा सभी सरकारी और निजी वाहनों पर भी तिरंगे ध्वज का पेंट राष्ट्रभक्ति के वातावरण को बनाये रखने में सहायक सिद्ध होगा। लोगों को अपने घरों की छतों आदि पर भी सर्वोच्च स्तर पर तिरंगा ध्वज फहराना चाहिए। परन्तु इन प्रयासों में यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि तिरंगे ध्वज को कोई मैला न करे या अन्य तरीकों से अपमानित करने का प्रयास न करे।
रेल के इंजन और डिब्बों पर तिरंगा अंकित करने के अतिरिक्त मैंने भारत सरकार को अनेकों प्रकार के सरकारी दस्तावेज़ों पर भी यथासम्भव तिरंगा अंकित करने के सम्बन्ध में सुझाव दिया है। जिस प्रकार आधार कार्ड पर तिरंगा अंकित किया जाता है उसी प्रकार कई अन्य सरकारी दस्तावेज़ों जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड आदि पर छोटा या बड़ा तिरंगा अवश्य अंकित होना चाहिए। ऐसे प्रयास बेशक मामूली से दिखाई देते हैं परन्तु इनका प्रभाव लम्बे समय तक नागरिकों के मन पर पड़ा रहता है। नागरिकों के मन में अपने देश की पहचान और प्रतिष्ठा के साथ एक व्यक्तिगत जुड़ाव सम्भव हो जाता है। ऐसे छोटे-छोटे प्रयास मिलकर ही भारतीय वायुमण्डल में देशभक्ति का जज़्बा पैदा कर सकते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी बाॅर्डर पर तनावपूर्ण परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं तो सारे भारत में राष्ट्रभक्ति की एक अनूठी लहर हिलोरे मारती हुई दिखाई देती है। ऐसे वातावरण में समाचार पत्रों से लेकर रेडियो, टी.वी. आदि पर राष्ट्रभक्ति का वातावरण छाने लगता है। परन्तु एक सच्चा राष्ट्रवादी जुनून तो शांतिकाल में भी देश के अन्दर इसी राष्ट्र प्रेम की लहरों को देखना चाहता है। इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में अपने एक भाषण के दौरान देश की सेनाओं और सैनिकों के प्रति भारत के सभी नागरिकों को सम्मान के भाव से परिपूर्ण होने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जब भी हमारे सामने से कोई वर्दीधारी सैनिक निकले तो हमें विनम्रभाव से सिर झुकाकर, मुस्कुरा कर, ताली बजाकर, हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए या सैनिक परम्परा के अनुसार सैल्यूट करते हुए उनका विशेष अभिवादन अवश्य ही करना चाहिए। यदि हमारे नागरिकों में भारतीय सैनिकों के प्रति इस प्रकार सम्मान की भावनाएँ सदैव दिखाई देने लगे तो इससे एक तरफ सैनिकों का अपार मनोबल बढ़ेगा तो दूसरी तरफ समाज में राष्ट्रभक्ति का वातावरण मुँह बोलता हुआ दिखाई देगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिवर्ष दीपावली के अवसर पर भिन्न-भिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति से भारतीय सैनिकों को उत्साहित करने का महान प्रयास किया है। इसी प्रकार हमें भी स्थानीय स्तर पर प्रत्येक सामूहिक और सामाजिक आयोजनों में स्थानीय फौजी अधिकारियों को यथासम्भव सम्मिलित करना चाहिए।
-अविनाश राय खन्ना, उपसभापति, भारतीय रेड क्रास सोसाईटी