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सर्वे को  झुठलाने की जुगत में प्रदेश कांग्रेस

राजस्थान में विधान सभा की जीत के बाद कांग्रेस में इस बात का भी भारी उत्साह था कि अब तो लोकसभा चुनावों में जनता उन्हें बाग बाग कर देगी। जैसे प्रदेश में सत्ता का परिवर्तन हुआ है वैसे ही लोक सभा चुनावों में 25 का मिशन पूरा होगा। इस मिशन को पूरा करने के लिये गहलोत ने सरकार बनने के बाद जनहित के कितने काम किये या जनहित में कितने निर्णय लिये, इसका तो कोई मालूम नहीं चला, लेकिन आईएएस से लेकर अन्तिम स्तर तक के लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों के तबादले कर दिये। बताया जा रहा है कि सरकार ने सुशासन के लिये पूरी मशीनरी को ही बदल दिया है। वह भी इस उम्मीद के साथ कि जनता में सकारात्मक संदेश जायेगा। लेकिन जिस प्रकार के सर्वे सामने आ रहे हैं उससे तो नहीं लगता कि कांग्रेस अपने मिशन को पूरा करने में सफल होगी। कांग्रेस ने भले ही लोकसभा चुनावों को लेकर मिशन 25 का टारगेट रखा हो, लेकिन आधा दर्जन से अधिक सीटों पर कांग्रेस का मिशन खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।

प्रदेश कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव परिणाम और उसके बाद सर्वे तथा फीडबैक रिर्पोट मिलने पर पार्टी ने उन सीटों पर विधान सभावार सम्मेलन आयोजित कर कैम्पेन शुरू कर दिया है ताकि कमजोर सीटों पर पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकी जा सके एवं जीत की राह आसान की जाये। जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव में सिर्फ सांचोर से कांग्रेस प्रत्याशी सुखराम बिश्नोई ने जीत दर्ज की है। सिरोही जिले में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस के बागी संयम लोढा ही चुनाव जीते हैं। सामने आया है कि ऐसे में इस लोकसभा सीट के लिये सत्ता और सगंठन गम्भीर मंथन में लगे बताये जा रहे हैं। वहीं पाली जिले में कांग्रेस का सूपड़़ा साफ हो गया था। इसी प्रकार चित्तौडग़ढ़ जिले में भी विधानसभा में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था। केवल उदयलाल अंजाना और राजेन्द्र विधूड़ी ही कांग्रेस के टिकट पर जीते।

राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में भी स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही है। यहां जिले में केवल डॅा. सीपी जोशी और सुदर्शन रावत ही चुनाव जीते हैं। भीलवाड़ा जिले में रामलाल जाट और कैलाश त्रिवेदी ने कांग्रेस की लाज बचाई थी। मांडलगढ़ उप चुनाव कांग्रेस ने जीता लेकिन विधान सभा चुनाव में हार मिली। ऐसे में यहां की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती। इसी प्रकार विधान सभा चुनाव परिणामों पर नजर डाली जाये तो अजमेर, उदयपुर, बांसवाड़ा- डूंगरगढ़, बूंदी और झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं बताई जा रही है। बहरहाल सत्ता और संगठन चुनावी रण जीतने में जुटे हैं।

जानकारी के अनुसार कांग्रेस हाईकमान से मिले निर्देश के बाद प्रदेश में सत्ता और संगठन ने उम्मीदवार घोषित होने से पहले ही चुनावी सम्मेलन करने शुरू कर दिये है। इन सम्मेलनों के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पाण्डे ने भाजपा पर आक्रामक प्रहार शुरू कर दिया है और जनता को साधने का प्रयास कर रहे हैं। चूंकि कार्यकर्ताओं के बीच और उनके क्षेत्रों में गहलोत मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार पहुंच रहे हैं जिससे स्थानीय गुटबाजी को पाटने का काम भी किया जा रहा है।

इस बार राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों में से 10 सीटों की जिम्मेदारी यूथ कांग्रेस को दी गई बताई जा रही है। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की फौज ने इन 10 सीटों पर मोर्चा संभाल लिया है और भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार की तैयारी युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है। राजस्थान में कांग्रेस के मिशन 25 को कामयाब बनाने के लिये यूथ कांग्रेस को चुनावी समर में उतारा गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से मिले निर्देशों के बाद राजस्थान में यूथ कांग्रेस के लिए 10 लोकसभा सीटों का चयन किया है। इन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी यूथ कांग्रेस की ही रहेगी। राजस्थान में यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का पूरा फोकस इन 10 लोकसभा सीटों पर ही रहेगा। ये सीटे सीकर, अलवर, बांसवाड़ा, जालौर-सिरोही, कोटा-बूंदी, जोधपुर, नागौर, टोंक-सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर बताई जा रही है। यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चांदना ने भी अपने कार्यकर्ताओं को इस लोकसभा चुनाव में करो या मरो की तर्ज पर जुटने का आह्वान किया है। 10 सीटों पर कांग्रेस की जीत को कामयाब बनाने के लिए यूथ कांग्रेस ने विशेष योजना तैयार की है। बताया जा रहा है इस योजना के तहत कैंपेन मैनेजमेंट ऐप को लांच किया गया हैं। इस ऐप के जरिए यूथ कांग्रेस कार्यकर्ता डोर टू डोर जनसंपर्क कर अपने मतदाताओं का पूरा रिकॉर्ड दस दिनों के भीतर तैयार करेंगे।

राजस्थान में यूथ कांग्रेस के करीब सात लाख रजिस्टर्ड कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं। इन सात लाख कार्यकर्ताओं को इन दस लोकसभा सीटों पर अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी जाएगी। कार्यकर्ताओं की टीमें इन लोकसभा सीटों पर नुक्कड़ नाटक हल्ला बोल से लेकर भाजपा के सांसदों के खिलाफ प्रचार सामग्री तैयार करने और उसे वितरित कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेगी। इसके अलावा युद्ध स्तर पर भी यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता चुनावी अभियान चलाएंगे। ऐसा संगठन स्तर पर निर्णय लिया जाना बताया जा रहा है। कांग्रेस के ही वरिष्ठ लोगों का कहना है कि जुबानी जमाखर्च और कागजों में यह योजना बेहतर नजर आती है लेकिन सवाल यह है कि पिछले लम्बे समय से निष्क्रिय चल रहा यूथ कांग्रेस का संगठन इस योजना को क्या अमलीजामा पहना पाएगा।

राजस्थान का सट्टा बाजार  केंद्र में अगली सरकार के लिए एनडीए पर बाजी लगा रहा है। सट्टा बाजार के मुताबिक बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद मतदाताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत प्रधानमंत्री के तौर पर इमेज बनी है। इसी प्रकार राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गत दो दशकों से यह ट्रेंड रहा है कि राजस्थान में जिसकी सरकार होती है उसी को लोकसभा में अधिक सीटें मिलती है। लेकिन इस बार यह ट्रेंड  बदलता नजर आ रहा है। सट्टा बाजार के मुताबिक राज्य की कुल 25 सीटों में से 18 से 20 सीटों पर बीजेपी की जीत होना बताया जा रहा है। सट्टा बाजार इसका श्रेय पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्राइक को देता है। उनका मानना है कि इस घटना के बाद से बीजेपी की ओर मतदाताओं का रुझान तेजी से बढ़ा है। मतदाताओं को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से ज्यादा मजबूत बनकर उभरे हैं। राजनैतिक पण्डितों का कहना है कि विधान सभा चुनावों के बाद बड़ी तेजी से बदल रहे जनमानस का भान कांग्रेस के नेताओं को भी है। इसलिये लोकसभा सीटों पर जीत के लिये वे हर प्रकार का कदम उठाने की जुगत में बताये जा रहे हैं। कांग्रेस का यह कदम जनमानस को कितना अपने पक्ष में कर पायेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

 

रामस्वरूप रावतसरे

 

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