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पुस्तक ‘जारी अपना सफ़र रहा’ का लोकार्पण, हिंदी लोकतांत्रिक एवं समन्वयकारी भाषा: रामदरश मिश्र

वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र के आवास पर हिंदी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से प्रकाशित वेद मित्र शुक्ल कृत ग़ज़ल संग्रह जारी अपना सफ़र रहा का लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ| इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री मिश्र ने युवा ग़ज़लकार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी एक लोकतांत्रिक एवं समन्वयकारी भाषा है| एक विशेष भाषा और संस्कृति से उपजी ग़ज़ल विधा को सुंदरता के साथ हिंदी ने अपनाया है| इन बातों की व्यवहारिकता और प्रमाणिकता कृति जारी अपना सफ़र रहा के माध्यम से सरलता से समझी जा सकती है| लोकार्पित पुस्तक से कुछ ग़ज़लों का पाठ करते हुए उन्होंने ग़ज़ल संग्रह को अपने समय और आस-पास के अनेक खुरदरे सत्य उद्घाटित करने वाला बताया| ग़ज़लों में व्याप्त अनुभव की व्यापकता और गहराई की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मूल्यवादी दृष्टि से ग़ज़लकार ने अपने अनुभवों को रचा है| संग्रह में अनेक नए नए काफिए और रदीफ़ भी प्रयुक्त किए गए हैं|

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विख्यात ग़ज़लकार नरेश शांडिल्य ने जारी अपना सफ़र रहा से वेद मित्र की प्रतिनिधि रचनाएं पढ़ते हुए कहा कि पूरे ग़ज़ल संग्रह में हिंदी मिज़ाज को सफलतापूर्वक सहजता के साथ बनाए रखा गया है| संग्रह में संवेदना के स्तर पर “दामन नहीं भिगोया होगा, / पर, अंदर से रोया होगा|” और दो पंक्तियों में हिंदी कथा “राजा के सिर पर सींग उगी, / अब नाई मारा जाएगा|” जैसे अनेक उदाहरण देखे जा सकते हैं|

कार्यक्रम का सफल संचालन कविहृदय प्रसिद्ध कथाकार अलका सिन्हा द्वारा किया गया| कार्यक्रम के दूसरे चरण में सरस काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया| पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में सरस्वती मिश्र, राजधानी महाविद्यालय के डॉ जसवीर त्यागी, ग़ज़लकार शशिकांत, हंसराज महाविद्यालय से डॉ गरिमा त्रिपाठी, सोनू शुक्ल आदि ने भी अपने विचार रखे|

 

–    डॉ वेद मित्र शुक्ल

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