श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी अब कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नहीं रहेंगी। अब वे शिवसेना का वह चेहरा हैं, जो अब तक टीवी चैनलों की डिबेट में कांग्रेस पर लगने वाले आरोपों से अपनी पार्टी का बचाव करती रही हैं। उन्होंने कांग्रेस से अपनी उपेक्षा और बदतमीजी करने वालों को माफ़ करने के लिए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। पार्टी के नेताओं की सही-गलत हर तरह की बयानबाजी पर कांग्रेस का बचाव करने वाली प्रियंका चतुर्वेदी इस समय खुद कांग्रेस में अकेली पड़ गई थी। नेताओं द्वारा दूसरी पार्टियों की महिलाओं पर तो लांछन लगाने की घटनाएं चुनावी माहौल में आप खूब देख रहे होंगे, लेकिन प्रियंका चतुर्वेदी से तो कांग्रेस के ही नेताओं ने बदतमीजी की और उन्हें माफी भी मिल गई।
हैरानी तो इस बात की है कि माफी देने वाला शख्स कोई और है। नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया। जैसा नाम, वैसा काम। भले ही अब देश में लोकतंत्र हो, पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजा वाली ठसक नहीं गई। तभी तो बदतमीजी हुई प्रियंका चतुर्वेदी के साथ और माफी दे दी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने। जैसे कि एक राजा ही सजा या माफी का फैसला करता है। जिस पार्टी की महासचिव एक महिला हैं, चेयरपर्सन एक महिला हैं, यूं लग रहा है कि उस पार्टी में महिलाओं के लिए कोई खास सम्मान नहीं है। क्योंकि अगर ऐसा होता तो गलती के लिए माफी प्रियंका से मांगी जाती, न कि ज्योतिरादित्य सिंधिया इस मामले में अपनी टांग फंसाते। पार्टी के बचाव में दिखने वाली प्रियंका चतुर्वेदी इस समय खुद अकेली पड़ गई हैं।
मथुरा में राफेल मुद्दे को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जहां उनकी ही पार्टी के कुछ सदस्यों ने उनके साथ दुव्र्यवहार किया। जब प्रियंका ने इसकी शिकायत की तो उन नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। हालांकि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कहे जाने पर पार्टी ने अपनी कार्रवाई को पलटते हुए इन सभी नेताओं की बहाली कर दी और पार्टी में वापस शामिल कर लिया। इसी पर अब प्रियंका चतुर्वेदी गुस्सा हो गई हैं और उन्होंने पार्टी के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। प्रियंका चतुर्वेदी ने उनसे बदतमीजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की।
पार्टी के फैसले से दुखी प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा- ”यह बहुत दुखद है कि कांग्रेस में कुछ खराब आचरण वाले लोगों को तरजीह दी जा रही है, बजाय उनके जिन्होंने पार्टी के लिए अपना खून-पसीना बहाया है। मैंने पार्टी के लिए लोगों की गालियां और पत्थर झेले, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी के अंदर ही मेरे साथ बदतमीजी करने वालों को, मुझे धमकाने वालों को बिना किसी कार्रवाई के छोड़ा जा रहा है।’’ प्रियंका के ट्वीट पर अब कांग्रेस नाराज हो गई है। प्रियंका के बयान को कांग्रेस के खिलाफ कहा जा रहा है। खैर, बयान तो कांग्रेस खिलाफ है ही, लेकिन उसमें कुछ गलत नहीं है। यहां पीडि़त भी प्रियंका हैं और अब दोषी भी प्रियंका ही बन गई हैं। यानी बदतमीजी भी उन्हीं के साथ हुई और अब अनुशासनात्मक कार्रवाई भी उन्हीं के ऊपर करने की बात हो रही है।
माफ करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया होते कौन हैं?
कांग्रेस ने अपने लेटर में साफ-साफ लिखा है कि कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई प्रियंका चतुर्वेदी की शिकायत पर हुई, लेकिन नीचे ये भी लिखा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के हस्तक्षेप के बाद उन्हें बहाल किया जा रहा है। सवाल ये है कि आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया होते कौन हैं इन नेताओं को माफ करने वाले? न तो उनके साथ इन नेताओं ने बदतमीजी का, न ही वह कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। हां, पश्चिमी यूपी में चुनाव की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है, लेकिन माफी देने का हक तो उनके पास बिल्कुल नहीं है। वैसे भी, अगर प्रियंका चतुर्वेदी से एक बार बात कर लेते तो पार्टी के हित के लिए वह खुद ही उन सबको माफ कर देतीं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसकी जहमत नहीं उठाई और अब मामला गरम हो गया है। मेरा मानना है कि जब बदतमीजी प्रियंका चतुर्वेदी के साथ हुई थी, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया कौन होते हैं उन्हें माफ करने वाले?
उधर राहुल गांधी अपनी वैकल्पिक सीट वायनाड में पहुंचे हैं और जनता के बीच जाकर उनसे मिल रहे हैं। इधर प्रियंका चतुर्वेदी से जुड़ी इतनी बड़ी घटना हो गई है। प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र की ‘उत्तर-पश्चिम मुंबई’ सीट से चुनाव लडऩे के लिए टिकट मांगा था, पर पार्टी ने उस सीट से संजय निरूपम को टिकट दे दिया। आए दिन भाजपा के खिलाफ मुखर रहने वाली प्रियंका पार्टी के इस फैसले से पहले ही कुछ नाराज थीं, जिसके बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि वह कांग्रेस छोड़ सकती हैं। लेकिन अब तो कांग्रेस पार्टी उनके खिलाफ ही खड़ी हो गई थी और कार्रवाई की बात कर रही थी, वो भी पीडि़त के खिलाफ। आंखिरकार उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ ही दी और शिवसेना का हिस्सा बन गईं।
लोकसभा चुनावों के इस माहौल में आने वाले कुछ दिन बहुत ही अहम रहने वाले हैं, जिनमें कांग्रेस के और अधिक अंदर की कलह सामने आ सकती है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते इस स्थिति को संभालने के लिए राहुल गांधी क्या करते हैं!
डॉ अतुलमोहन सिंह