भारत से निर्यात होने वाले फूल उत्पादों में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी सूखे फूलों और पौधों के अलग-अलग भागों की होती है। लेकिन सूखे फूल उत्पादों के वैश्विक बाजार में भारत की भागीदारी सिर्फ पांच प्रतिशत है। भारतीय शोधकर्ताओं ने अब एक सोलर ड्रायर विकसित किया है जो गुलाब और गेंदे जैसे अधिक मूल्यवान फूलों के सौन्दर्य और गुणों को नुकसान पहुंचाए बिना सुखाने में उपयोगी हो सकता है।
इस सोलर ड्रायर को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं में शामिल नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ पी.के. शर्मा ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “सोलर ड्रायर और सीधे धूप में सुखाए गए फूलों के रंग, रूप और आकार का मूल्यांकन करने पर हमने पाया कि बाहरी वातावरण की अपेक्षा सोलर ड्रायर में तापमान स्थिर रहता है। इसमें सुखाने की दर 65 से 70 प्रतिशत तक अधिक पायी गई है। बाहरी तापमान में उतार-चढ़ाव होता रहता और दोपहर के समय तो तापमान सबसे अधिक हो जाता है। इस कारण, खुली धूप में फूलों को सुखाने से उनके रंग, रूप और आकार पर बुरा असर पड़ता है। जबकि, सोलर ड्रायर में फूलों की गुणवत्ता बनी रहती है।”
इस सोलर ड्रायर को जस्ते की परत युक्त लोहे की चादर, हल्के स्टील, लोहे के एंगल, ग्रिल आदि के उपयोग से बनाया गया है। ड्रायर में हीटिंग और ड्राइंग दो चैंबर हैं और इसका कुल आयतन 1.04 घन मीटर है। ड्राइंग चैंबर में सामग्री के भंडारण के लिए 0.57 वर्ग मीटर के चार खंड बनाए गए हैं और ड्रायर का कुल भंडारण क्षेत्रफल 3.4 वर्ग मीटर है। ड्रायर को ढंकने के लिए कांच की शीट लगायी गई है, जिससे सौर विकिरण भीतर प्रवेश करके गरमी पैदा कर सके। ऊष्मा के अवशोषण को बढ़ाने के लिए ड्रायर के भीतरी हिस्से को काले रंग से पेंट किया गया है।
डॉ शर्मा ने बताया कि “यह अक्षय ऊर्जा से संचालित ड्रायर है जिसके भीतर काले पेंट से रंगे हुए छोटे आकार के गोल पत्थर रखे गए हैं जो रॉक-बेड की तरह काम करते हैं और हीटिंग चैंबर में ऊष्मा बनाए रखते हैं। ड्राइंग चैंबर से नम हवा हटाने के लिए इसमें सौर ऊर्जा से संचालित एग्जास्ट फैन लगाए गए हैं जो फूलों एवं पौधों के विभिन्न हिस्सों को तेजी से सुखाने में मदद करते हैं। रात के समय और बादल होने की स्थिति में सौर ऊर्जा इस ऊष्मा को बनाए रखने में मदद करती है। सोलर ड्रायर और सामान्य वातावरण के तापमान में करीब 26 डिग्री सेल्सियस का अंतर देखने को मिला है।”
सोलर ड्रायर के परीक्षण से पहले फूलों को पत्तियों तथा पौधों के अन्य भागों से अलग करके इन नमूनों का व्यास, लंबाई और वजन दर्ज किया गया है। फूलों में मौजूद नमी की मात्रा कम करने के लिए उन्हें 3-4 मिनट तक माइक्रोवेव में सुखाया गया और फिर उन्हें सिलिका जैल में डुबोकर नमूने तैयार किए गए हैं। इन नमूनों को सोलर ड्रायर में सुखाने के लिए रख दिया जाता है।
खुले में गुलाब के फूलों को सुखाने में करीब 54 घंटे लगते हैं, वहीं सोलर ड्रायर में इसकी गुणवत्ता बरकरार रखते हुए इसे लगभग 33 घंटों में ही सुखाया जा सकता है। इसी तरह, गेंदे को धूप में सुखाने में 48 घंटे से अधिक समय लगता है और गुणवत्ता कायम नहीं रह पाती। जबकि सोलर ड्रायर में करीब 27 घंटे में गेंदे के फूलों को सुखाकर बेहतर गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है।
सोलर ड्रायर की मदद से फूलों, पौधों की शाखाओं, टहनियों, पत्तों इत्यादि को सुखाकर लंबे समय तक उनकी ताजगी बनाए रखा जा सकता है। सुखाने से पहले ध्यान रखा जाता है कि फूलों या पौधों के हिस्सों का मूल आकार तथा रंग नष्ट न होने पाएं ताकि इनका उपयोग आंतरिक सजावट के लिए किया जा सके।
इस तरह सुखाए गए फूल और पत्तियों का इस्तेमाल ग्रीटिंग कार्ड, वॉल प्लेट्स, लैंडस्केप और कैलेंडर जैसी कलात्मक सजावटी वस्तुएं बनाने में किया जा सकता है। सोलर ड्रायर का उपयोग फूलों के अलावा फल, सब्जियों और औषधीय फसलों को सुखाने के लिए भी कर सकते हैं। यह अध्ययन शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में डॉ पी.के. शर्मा के अलावा पी. पचपिंदे और डॉ इंद्र मणि शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)
उमाशंकर मिश्र