असल में राहुल गांधी कांग्रेस के विनाश पुरुष है। यह बुद्धिहीन व्यक्ति और इसके धूर्त सलाहकार कांग्रेस को मटियामेट करने के एजेंडे पर कार्यरत हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो कम से कम राहुल गांधी आरएसएस पर हर वक्त हमला न बोलते। आरएसएस चुनाव नहीं लड़ता इसलिए किसी राजनीतिक दल के लिए आरएसएस एजेण्डा हो ही नहीं सकता। आरएसएस को इस देश में राजनीतिक एजेण्डा बनाया कम्युनिस्टों इस्लामिस्टों और चर्च संगठनों ने क्योंकि इन तीनों को हिन्दुओं के किसी भी संगठित स्वरूप से वैचारिक और व्यावहारिक खतरा है। इन तीनों का हित इसी बात में है कि हिन्दू कभी संगठित होकर व्यवहार न करें ताकि वो निश्चिंत होकर चारागाह चरते रहें। हिन्दुओं के बहुसंख्यक होने के बाद भी भारत में इस्लामिक और ईसाई सर्वोच्चता कायम रहे।
राहुल गांधी ऐसे ही चर्च संगठनों के एजेण्ट और इस्लामिस्टों के दूत बनकर बोलते हैं। उनके प्यार वाली भाषा या तो ईसाइ मिशनरियों से आती है जो समाज में प्यार का झांसा देकर लोगों को ईसाई बनाते हैं या फिर उन नफरती कठमुल्लों के मदरसे से निकलती है जो प्यार को हिन्दुओं के संहार का हथियार बनाकर इस्तेमाल करते हैं।
अगर इस मूढ़ मगज को सद्बुद्धि आयेगी तो यह आरएसएस की बजाय बीजेपी को अपना निशाना बनाएगा। वरना ये और इसकी पार्टी दोनों मिट जाएगी। समकालीन भारत में गांधी और आरएसएस को गाली देकर कोई विचार बहुत लंबे समय तक जिन्दा नहीं रह सकता। भले ही वह राहुल गांधी का प्यार ही क्यों न हो।