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बापू के कितने करीब मोदी

दिल्ली की 29 जनवरी 1948 की उस कड़कती सर्दी की रात में महात्मा गांधी ने लगभग रातभर जगकर अपनी इच्छा जाहिर की थी कि अब आज़ादी का आन्दोलन तो समाप्त हो चुका है अत: अब कांग्रेस को भंग कर दिया जाये। गांधी जी की यह “अंतिम इच्छागॉधी जी के द्वारा ही प्रकाशित “हरिजन पत्रिका में उनकी हत्या के  बाद प्रकाशित  भी हुई थी। हिन्दी में उनकी “अंतिम इच्छा और वसीयतनामा” शीर्षक से यह ऐतिहासिक दस्तावेज हरिजनके 15 फरवरी, 1948 के अंक में छपा था। दुर्भाग्यवश , गॉंधी जी द्वारा उपर्युक्त राय जाहिर करने के अगले ही दिन यानी 30  जनवरी 1948 को उनकी हत्या भी कर दी जाती है।पता नहीं दोनों घटनाओं में कोई सम्बन्ध था अथवा नहीं? बहरहालगांधी जी के उस सपने के 71 साल के बाद और जब सारा देश उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है, तब कांग्रेस अपने आप ही समाप्ति की तरफ तेज़ी से बढ़  रही है। विगत लोकसभा चुनाव में कॉंग्रेस को 17 राज्यों में एक भी सीट नहीं मिली। उत्तर प्रदेश जैसे देश के 80 लोकसभा सीटें देने वाले प्रमुख राज्य में उसे सिर्फ  एक सीट पर ही विजय मिली। अब तो उसकी देश में सांकेतिक उपस्थिति भर ही रह गई है। बेशक गांधी जी के कांग्रेस की समाप्ति  के सपने को पूरा करने में नरेन्द्र मोदी ने अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सच तो यह है कि गांधी जी के  सपनों को मूर्त  रूप देने का कार्य मोदी जी कर रहे हैं, जो कांग्रेसी सरकारें करने में विफल रहीं। कॉंग्रेस ने तो सिर्फ़ गॉंधी के नाम को जमकर भुनाया और वोटों की राजनीति की। गॉंधी से किसी प्रकार का सम्बन्ध न रखने पर भी गॉंधी का नाम तक चुका लिया।

जरा देखिए कि बापू तो बुनियादी  शिक्षा के पक्ष में बार-बार बोलते थे।  जगह -जगह उन्होंनें बुनियादी स्कूल खोले भी।गॉंधी जी  जब बुनियादी शिक्षा की बातें  करते थे तो उनका आशय यही होता था  कि बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ ही वोकेशनल ट्रेनिंग भी मिले। उनकी बुनियादी शिक्षा ही समाज को सर्वांगीण विकास की ओर ले जा सकेगी।बुनियादी शिक्षा को  बापू ने सामाजिक परिवर्तन और ग्रामींण स्वावलम्बन का साधन बनाया था।कॉंग्रेसी सरकारों ने अंग्रेज़ी शिक्षा का ही प्रचार किया।लेकिन गॉंधी की सोच को अब कहीं जाकर आगे लेकर  जा रही है केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार।मोदी सरकार ने इस देश की ज़रूरत को पहली बार पहचाना और कौशल विकास मंत्रालय की स्थापना की। दरअसल प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना आज केन्द्र सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य ही देश के युवाओं को उद्योगों की ज़रूरतों से जुड़ी ट्रेनिंग देना है जिससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सके। यह भी जानना जरूरी है कि इसके तहत युवाओं को ट्रेनिंग देने की फीस का भी सरकार ही खुद भुगतान करती है। तो गांधी जी की बुनियादी शिक्षा और उपर्युक्त योजना एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं। सरकार  इसके  जरिये कम पढ़े लिखे या 10वीं, 12वीं कक्षा ड्राप आउट  युवाओं को भी कौशल प्रशिक्षण देती है। यह याद रखना होगा कि समाज में कम पढ़े-लिखे  लोगों को भी जीने का और सम्मान से जीने का अधिकार है। इसलिए उनके लिए भी सम्मानजनक रोज़गार  के अवसर पैदा तो करने ही होंगें। 

अब बात कर लें गंगा की सफाई की। गांधी जी जब 1915 में कुम्भ के अवसर पर हरिद्वार पहुंचे तो उन्हें गंगा में फैली गंदगी को देखकर बेहद कष्ट हुआ।उन्होनें उसी समय गंगा सफ़ाई का आह्वान किया था। लेकिन, गॉंधी जी की बात पर ध्यान अब कहीं जाकर १०४ वर्षों के बाद मोदी सरकार ने गंगा को साफ करने को लेकर इस देश में पहली बार ठोस पहल किया है। राजीव गांधी के दौर में  गंगा एक्शन प्लान के नाम पर तो कस कर लूट- खसोट भर होती रही थी।  नरेन्द्र मोदी  ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के पश्चात  नमामि गंगे योजना का श्रीगणेश किया। गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है , बल्कि देश की चालीस फीसद  आबादी गंगा नदी पर ही निर्भर है।  नरेन्द्र मोदी ने 2014 में कहा था, “अगर हम गंगा को साफ करने में सफल हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी।”  महत्वपूर्ण है कि मोदी जी खुद गंगा की सफाई के कार्य पर अपनी पैनी नजर रख रहे हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 तक गंगा की सफाई का लक्ष्य निधारित किया था जिसे अब परिस्थितियों के आकलन के बाद 2020 तक बढ़ा दिया गया है। 

 गांधी जी ने अपनी डायरी में लिखा था किउन्हें हरिद्वार से लेकर बनारस तक गंगा मैली ही नजर आई। वे   काशी विश्वनाथ गए, किन्तु गन्दगी सब जगहों पर दिखाई दी। अब देश आशा कर रहा है कि गंगा पूरी तरह से साफ होजाएगी।यह भी गॉंधी के सपनों को साकार करने जैसा ही है।काशी की सफ़ाई और विकास को देखकर तो देश भर चकित है ही।

 इस बीच, प्रधानमंत्रीमोदी ने जैविक खेती के विस्तार की पुरज़ोर वकालत की है।वे मानते हैं कि देश को स्वस्थ रखने के लिए अन्तत: हमें  जैविक खेती की तरफ ही जाना होगा।  गौर करें कि जिसजैविक खेती  (ऑर्गेनिक फार्मिंग)  के महत्व पर मोदी  जी जोर दे रहे हैं, उसके महत्व को  गांधी जी ने 1935 में ही समझ लिया था। उन्होंने 23 अप्रैल 1935 को इंदौर के इंस्टीच्यूट आफ प्लाट इंडस्ट्री  (अब कृषि कॉलेज) जाकर स्वयं  कम्पोजट ( खाद) को तैयार करने की विधि सीखी थी और वे गॉंवों में सदा किसानों से जैविक खेती करने की वकालत किया करते थे। बापू की तरह अब मोदी जी भी जैविक खेती के विस्तार की वकालत कर रहे हैं।

 यह जानना जरूरी है किजैविक खेती होती क्या है? दरअसल यह कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित रासायनिक उर्वरकों एवं रासायनिक कीटनाशकों  के बिना प्रयोग किये देसी गायों के गोबर और गौमूत्र के द्वारा तैयार खादों और कीटनाशकों पर ही आधारित है। पूरी दुनिया में सन्1990 के बाद से  जैविक उत्पादों का बाजार काफी तेज़ी से बढ़ा है।जैविक उत्पाद दुगनी या उससे अधिक क़ीमत  पर बिकता है। विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है।, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक  पदार्थो के बीच आदान-प्रदान के चक्र को  प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है और वातावरण तथा पर्यावरण भी भयंकर रूप से प्रदूषित होता रहता है। यही नहीं, मनुष्य के स्वास्थ्य में भी भारी गिरावट आती है। आज हृदय रोग, कैंसर, किडनी और लिवर जैसी घातक बीमारियों का मूल कारण ही रासायनिक खादों और कीटनाशकों द्वारा की जा रही खेती का अन्न, फल और सब्ज़ियॉं और उनपर पल रहे गाय- भैंसों के प्रदूषित और विषाक्त दूध ही तो हैं। इसलिए इन  सभी समस्याओं से निपटने के लिये ही अब केन्द्र सरकार द्वारा जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है। मोदी सरकार जैविक खेती को अपनाने के लिए ज़ोरों से प्रचार-प्रसार कर रही है।यह सपना भी तो गॉंधी का ही था।

 इस बीच, मोदी सरकार महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य के सपने को पूरा करने को लेकर भी कटिबद्ध है। उसका लक्ष्य है कि सन-2022 तक कच्चे मकानों में रहने वाले सभी परिवारों को पक्का मकान  दे दिया जाए। हर परिवार को 2024 तक पाइप से पानी की आपूर्ति हो।2022 तक देश की सभी ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़  दिया जाए।ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शिक्षा केंद्रों,,स्वास्थ्य केंद्रों और बाजारों को गांवों से जोड़ा जा रहा है।

खादी एवं ग्रामोद्योग भी गॉंधी जी का ही सपना था।लेकिन, कहीं अब जाकर मोदी सरकार ने ही खादी की सही माने में ब्रॉंडिंग की और खादी के बाज़ार को चौगुना बढ़ाया। खादी वस्त्रों के धागों के आसानी से ज़्यादा उत्पादन के लिए सोलर चरखे बनाने शुरु किये। बड़े- बड़े खादी के शो रूम देशंभर में खोले। खादी की बिक्री बढ़ने से सींधा लाभ खादी से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को हो रहा है।

गॉधी जी देसी गायों और बकरियों के संरक्षण – संवर्धन और विकास की चिन्ता किया करते थे।वे गायों – बकरियों की स्वयं नियमित सेवा किया किया करते थे।अब मोदी जी भी देसी नस्लों के सँऱक्षण और विकास के कार्य में ज़ोरों से लगे हुए हैं।

बापू ने सदा स्वच्छता की बात की। खुले शौच का विरोध किया और शौचालयों के निर्माण की पुरज़ोर वकालत की। आज मोदी ज़ी घर- घर शौचालय बनवा रहे हैं।

अब आप यह तो समझ ही गए होंगे कि  कॉंग्रेसी सरकारों ने किसतरह मात्र गॉंधी का नाम बेचा और मोदी सरकार किस प्रकार  गांधी जी के बताए  रास्ते से पर ही देश के विकास के लिए कृतसंकल्प है।

 

आर.के. सिन्हा

(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)

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