देश –विदेश के जो पर्यटक जम्मू–कश्मीर में घूमना चाहते हैं, अब उन्हें और इंतजार नहीं करना होगा। वे अब कश्मीर आ सकते हैं। सरकार ने विगत 2 अगस्त कोअमरनाथ यात्रा को स्थगित करते हुए राज्य में घूमने के लिए आए हुए तमाम पर्यटकों को सलाह दी थी कि वे वापस अपने घरों को चले जाएं। उसके कुछ दिनों के बादही केन्द्र सरकार ने जम्मू–कश्मीर को मिला हुआ विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था। उसके पश्चात सूबे में पर्यटकों के आने पर सुरक्षा कारणों के चलते रोकलग गई थी।
अब चूंकि जम्मू–कश्मीर में हालात सामान्य होने लगे हैं, इसलिए सरकार ने पर्यटकों के राज्य में घूमने–फिरने के लिए आने पर रोक को हटा दिया है। अब निश्चित रूपसे कश्मीर देसी–विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने लगेगा। इससे वहां की तबाह हो गई अर्थव्यवस्था बेहतर होगी और लोगों की माली हालत सुधरेगी। बेशक कश्मीर केपर्यटन को वहां पर गुजरे दशकों से जारी आतंकवाद ने मिट्टी में मिलाकर कर रख दिया है। स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि भारत विरोधी तत्वों ने पर्यटकों कीबसों पर पत्थर फेंकने चालू कर दिए थे। जाहिर है कि इन सब कारणों से वहां पर पर्यटक जाने से पहले दस बार सोचने लगे थे। आखिर अशांत क्षेत्र में कौन जानापसंद करेगा?
बेशक,कश्मीर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन और रमणीय पर्यटन स्थल हैं। अगर बात श्रीनगर से शुरू करें तो वहां डल झील है। 1700 मीटर ऊंचाई पर बसाश्रीनगर विशेष रूप से झीलों और हाऊसबोट के लिए जाना जाता है। इसके अलावा श्रीनगर परम्परागत कश्मीरी हस्तशिल्प और सूखे मेवों के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है।श्रीनगर के संबंधमें कहा जाता है कि इसकी स्थापना दो हजार वर्ष पूर्व हो गई थी। कश्मीर में ही पर्यटकों को
डल झील के साथ–साथ, शालीमार और निशात बाग़, गुलमर्ग, पहलग़ाम आदि में घूमने का मौका मिलता है। पर वर्तमान में हालात यह है कि डलझील में बामुश्किल दसबीस लोग हीं नौका विहार करने या रात में रूकने आ रहे थे।
श्रीनगर की हज़रत बल मस्जिद में माना जाता है कि हजरत मुहम्मद साहब के शरीर का एक बाल रखा है। श्रीनगर में ही शंकराचार्य पर्वत है जहाँ विख्यात हिन्दूधर्मसुधारक और अद्वैत वेदान्त के प्रतिपादक आदि शंकराचार्य सर्वज्ञानपीठ के आसन पर विराजमान हुए थे। इन सब स्थानों के अलावा भी कश्मीर में बहुत कुछ हैपर्यटकों के देखने और घूमने के लिए। पर कश्मीर घाटी में पर्यटक उस स्थिति में ही घूमने के लिए आएगा जब उसे यकीन हो जाएगा कि वहां पर वह और उसकापरिवार सुरक्षित है। कोई भी पर्यटक कश्मीर में सुरक्षाबलों के भरोसे ही नहीं जाना चाहेगा। उसे यकीन होना चाहिए कि उसे घाटी में स्थानीय जनता से भी सुरक्षामिलेगी।
इस बीच, कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार हरसभंव प्रयास कर रही है। सरकार ने राज्य की 15 पर्वत चोटियों को विदेशी पर्यटकों के लिएखोल दिया था। इस फैसले के बाद इन चोटियों पर पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के लिए विदेशी पर्यटकों को सरकार से अनुमति लेने की जरूरत खत्म हो गई। परपर्वातारोहण में दिलचस्पी लेने पर्यटक भी घाटी का रुख उसी सूरत में करेंगे जब स्थानीय जनता उन्हें भरपूर साथ और सहयोग देगी। कश्मीर की जनता को देशविरोधी शक्तियों के नापाक इरादों से लड़ना होगा। उन्हें याद रखना चाहिए कि उनके साथ सारा देश है। इसलिए उन्हें किसी से भयभीत होने की आवशयकता नही है।निश्चित रूप से कुछ पाकिस्तान परस्त तत्व कश्मीर को पहले वाली स्थिति में लेकर नहीं जा सकते। अब तो कश्मीर देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़तारहेगा।
क्योंकि जम्मू–कश्मीर में स्थितियां अनकूल होती रहेंगी,इसलिए फिल्म जगत फिरसे कश्मीर घाटी का रुख करेगा शूटिंग करने के लिए। एक दौर में तमाम फिल्मनिर्माता अपनी फिल्मों की शूटिंग करने के लिए कश्मीर की वादियों में डेरा जमाते थे। एक बार यहां पर फिल्मों की शूटिंग का दौर चालू हो गया तो फिर स्थानीयनौजवानों के लिए रोजगार के अवसर भी खुलने लगेंगे।
दरअसल अब देश को कश्मीर का चौतरफा विकास करने में जुट जाना होगा। उधरकल–कारखाने न के बराबर है, एक प्रदेश के संपूर्ण विकास के लिए औद्योगिकरण बेहदजरूरी है। कल कारखाने बेरोजगारों को रोजगार देते हैं, बडे उद्योग के साथ कई कुटीर उद्योग भीसामने आने लगते हैं,जिससे विकास की गति को बढ़ावा मिलता है।कश्मीर में पर्यटन के अलावा और क्या है? कुछ भी नहीं।संगीन के साये में कौन कश्मीर घुमना चाहेगा?
बहरहाल, कश्मीर अब समावेशी होगा। वहां विभिन्न प्रदेशों के लोग आकर रहेंगे तो आर्थिक विकास के साथ सांस्कृतिक विकास भी होगा। वहां की जनता दूसरे प्रदेशों केसांस्कृतिक विरासत को समझ पाएंगी, आत्मसात कर पाएगी।
सिर्फ पर्यटन क्षेत्र का विकास कश्मीर में ही नहीं करना है। अब लद्दाख पर भी फोकस करने की आवश्यकता है। यह सच में जन्नत है। लद्दाख काराकोरम रेंज मेंसियाचिन ग्लेशियर से लेकर दक्षिण में मुख्य हिमालय तक का क्षेत्र घेरता है। बहुत से लोग लेह और लद्दाख को एक ही समझते रहे हैं।
सरकार ने लद्दाख दो भागों में बांटा है जिसमें लेह जिला और कारगिल जिला शामिल है। लेह में सुंदर मठ और बेहतरीन बाजार हैं। अगर आप देश को घूमना चाहतेतो आपको लेह और लद्दाख अवश्य जाना चाहिए। इन स्थानों पर टुरिस्ट लाने होंगे। आजकल भारतीय बैंकाक, सिंगापुर, दुबई ,श्रीलंका, से लेकर लंदन और अमेरिका जारहे हैं। चूंकि हिन्दुस्तानियों की जेबों में पैसे आ गए हैं, इसलिए वे घूम रहे हैं। वे हर जगह जाकर तबीयत से खर्च करने लगे हैं। इन भारतीय पर्यटकों को कश्मीर, लेहऔर लद्दाख भी लाना होगा। बेशक, इन सब जगहों में पर्यटकों के कदम रखते ही यहां की फिजा बदल जाएगी।
आर.के. सिन्हा
(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)