नमस्कार! मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्रीमान रमेश पोखरियाल निशंक जी, श्रीमान संजय धोत्रे जी, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देश के जाने- माने वैज्ञानिक डॉ कस्तूरी रंगन जी और उनकी टीम, इस सम्मलेन में भाग ले रहे वाइस चांसलर्स, अन्य सभी शिक्षाविद, सभी महानुभाव, आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन।
National Education Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आज का ये event बहुत महत्वपूर्ण है। इस कॉन्क्लेव से भारत के Education World को National Education Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। जितनी ज्यादा जानकारी स्पष्ट होगी फिर उतना ही आसान इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का Implementation भी होगा।
साथियों, 3-4 साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद, लाखों सुझावों पर लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया है। आज देश-भर में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है। अलग-अलग क्षेत्र के लोग, अलग-अलग विचार-धाराओं के लोग, अपने views दे रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को Review कर रहे हैं। ये एक Healthy Debate है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा। ये भी खुशी की बात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का Bias है, या किसी एक ओर झुकी हुई है। ये एक Indicator भी है कि लोग बरसों से चली आ रहे एजुकेशन सिस्टम में जो बदलाव चाहते थे, वो उन्हें देखने को मिले हैं।
वैसे, कुछ लोगों के मन में ये सवाल आना स्वभाविक है कि इतना बड़ा Reform कागजों पर तो कर दिया गया, लेकिन इसे जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। यानि अब सब की निगाहें इसके Implementation की तरफ हैं। इस चैलेंज को देखते हुए, व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की आवश्यकता है, वो हमें सबको मिलकर ही करना है और करना ही है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के implementation से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है। जहां तक Political Will की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं।
साथियों, हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी National Values के साथ जोड़ते हुए, अपने National Goals के अनुसार Reform करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश का Education System, अपनी वर्तमान औऱ आने वाली पीढ़ियों को Future Ready रखे, Future Ready करे। भारत की National Educational Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत की, नए भारत की Foundation तैयार करने वाली है। 21वीं सदी के भारत को, हमारे युवाओं को जिस तरह की Education चाहिए, जैसी Skill
भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, भारत के नागरिकों को और सशक्त करने के लिए, उन्हें ज्यादा से ज्यादा अवसरों के उपयुक्त बनाने के लिए, इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। जब भारत का Student, चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, Scientific तरीके से पढ़ेगा, तेजी से बदलते हुए समय और तेजी से बदलती जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा, तो वो Nation Building में भी Constructive भूमिका निभा पाएगा।
साथियों, बीते अनेक वर्षों से हमारे Education System में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में Curiosity और Imagination की Values को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था। कभी डॉक्टर बनने के लिए होड़ लगी, कभी इंजीनियर बनाने की होड़ लगी, कभी वकील बनाने की होड़ लगी। Interest, ability और Demand की Mapping कि
साथियों, आज गुरुवर रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है। वो कहते थे-
“उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।“
निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने के बजाय एक Holistic Approach की ज़रूरत थी, जिसको सामने रखने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति सफल रही है।
साथियों, आज जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति मूर्त रूप ले चुकी है, तो मैं उस समय और सवालों की भी चर्चा आपसे करना चाहता हूं, जो हमारे सामने शुरुआती दिनों में आए थे। उस समय जो दो सबसे बड़े सवाल थे, वो यही थे कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे युवाओं को Creative, Curiosity और Commitment Driven Life के लिए Motivate करती है? आप लोग इस क्षेत्र में इतने वर्षों से हैं। इसका जवाब बेहतर जानते हैं।
साथियों, हमारे सामने दूसरा सवाल था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था, हमारे युवाओं को Empower करती है, देश में एक Empowered Society के निर्माण में मदद करती है? आप सब इन सवालों से भी परिचित हैं और जवाबों से भी परिचित हैं। साथियों, आज मुझे संतोष है कि भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया।
साथियों, बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था, एक नए रंग-रूप और व्यवस्थाओं में बदलाव, एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया Global Standard भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। School Curriculum के 10+2 structure से
साथियों, इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। ये एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से जहां तक संभव हो, 5Th class तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है। इससे बच्चों की नींव तो मजबूत होगी ही, उनकी आगे की पढ़ाई के लिए भी उनका Base और मजबूत होगा।
साथियों, अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें What to Think पर फोकस रहा है। जबकि इस शिक्षा नीति में How to think पर बल दिया जा रहा है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज जिस दौर में हम हैं, वहां Information और
साथियों, हर विद्यार्थी को, Student को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने Passion को Follow करे। वो अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को Follow कर सके और अगर उसका मन करे तो वो छोड़ भी सके। अक्सर ऐसा होता है कि कोई course करने के बाद student जब job के लिए जाता है तो उसे पता चलता है कि जो उसने पढ़ा है वो Job की requirement को पूरा नहीं करता। कई students को अलग-अलग वजहों से बीच में ही course छोड़कर Job करनी पड़ती है। ऐसे सभी students की जरूरतों का खयाल रखते हुए Multiple entry-exit का Option दिया गया है। अब student वापस अपने course से जुड़कर अपनी Job requirement के हिसाब से ज्यादा effective तरीके से पढ़ाई कर सकता है, learn कर सकता है। इसका एक और aspect है।
अब students को ये भी स्वतंत्रता होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहें तो कर सकते हैं। इसके लिए वो पहले कोर्स से एक निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स join कर सकते हैं। Higher education को, streams सेमुक्त करने, multiple entry और Exit, Credit Bank के पीछे यही सोच है। हम उस era की तरफ बढ़ रहे हैं जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक प्रोफेशन में ही नहीं टिका रहेगा, बदलाव निश्चित है, यह मानकर रहिए। इसके लिए उसे निरंतर खुद को re-skill और up-skill करते रहना होगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका भी ध्यान रखा गया है।
साथियों, किसी भी देश के विकास में एक बड़ी भूमिका रहती है- समाज के हर तबके की गरिमा, उसकी dignity. समाज का कोई व्यक्ति कोई भी काम करता हो, कोई निम्न नहीं होता। हमें ये सोचना चाहिए कि भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे देश में यह बुराई कहां से आई। ऊंच-नीच का भाव, मेहनत-मजदूरी करने वालों के प्रति हीन भाव इस प्रकार की विकृति हमारे अंदर कैसे घर कर गई। से देखने का विपरीत भाव कैसे आया। इसकी एक बड़ी वजह रही कि हमारी एजुकेशन का समाज के इस तबके के साथ एक Dis-connect रहा। जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, वे कितना बड़ा योगदान कर रहे हैं, समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वे कैसे अपना जीवन खपा रहे हैं। उनके श्रम का सम्मान करना हमारी पीढ़ी को सीखना ही होगा। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में student education और Dignity of Labour पर बहुत ध्यान दिया गया है।
साथियों, 21वीं सदी के भारत से पूरी दुनिया को बहुत अपेक्षाएं हैं। भारत का सामर्थ्य है कि वो टैलेंट और टेक्नॉलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है। हमारी इस जिम्मेदारी को भी हमारी Education Policy address करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जो भी समाधान सुझाए गए हैं, उससे Futuristic Technology के प्रति एक माइंडसेट विकसित करने की भावना है। अब टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत तेजी से, बहुत अच्छी तरह से, बहुत कम खर्च में, समाज के आखिरी छोर पर खड़े Student तक पहुंचने का माध्यम दिया है। हमें इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना है।
इस Education Policy के माध्यम से Technology आधारित बेहतर Con
साथियों, जब Institutions और In
पहली अप्रोच में Non-govt संस्थानों के प्रति Mistrust दिखता है तो दूसरी अप्रोच में Autonomy को Entitlement के
साथियों, देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक, डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम कहा करते थे- The purpose of education is to make good human beings with skill and expertise… Enlightened human beings can be created by teachers. वाकई, शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, देश को अच्छे students, अच्छे प्रोफे
साथियों, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने के लिए हम सभी को एक साथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है। यहां से Universities, Colleges, School education boards, अलग-अलग States, अलग-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ सर्कुलर जारी करके, नोटिफाई करके Implement नहीं होगी। इसके लिए मन बनाना होगा, आप सभी को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए आपके लिए ये कार्य एक महायज्ञ की तरह है। इसमें आपका योगदान बहुत आवश्यक है, इस कॉन्क्लेव को देख रहे, सुन रहे प्रत्येक व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। मुझे विश्वास है कि इस Conclave में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के Effective Implementation को लेकर बेहतर सुझाव, बेहतर समाधान निकलकर आएंगे और विशेषकर आज मुझे अवसर मिला है। सार्वजनिक तौर पर डॉ. Kasturirangan जी का, उनकी पूरी टीम का बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।
एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत आभार!!!
-Anuj Agrawal, Group Editor