प्राचीन काल से ही हमारा भारत देश संस्कृति, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और मूल्यों को महत्व देता रहा है। इसीलिये भारतीय संस्कृति अन्य देशों से पूर्णतया भिन्न है। इसी संस्कृति का अनुपालन करने में एक यह भी तथ्य स्पष्ट है कि देश, राज्य, समुदाय, परिवार, पड़ौस की कड़ी में से विपत्ती के समय सर्वाधिक निकट उपस्थित पड़ौस ही आपकी सर्वप्रथम मदद करता है। अन्य कोई संबंध सहायता हेतु त्वरित उपस्थित नहीं हो सकता है। यही स्थिति देशों की भी होती है। आपदा के समय जितनी त्वरित सहायता पड़ौसी देश कर सकता है, उतनी सहायता सुदूर स्थित मित्र देश भी नहीं कर सकता है। पाकिस्तान से इतर बांग्लादेश व श्रीलंका भारत के निकटस्थ देश हैं। इनमें परस्पर शान्ति, सौहार्द का वातावरण बना रहे अग्रज भ्राता होने के कारण भारत देश की यही कामना व लक्ष्य होना चाहिये, परन्तु, संबंधों में परस्पर सामंजस्य होना अति आवश्यक है। सफलता अथवा उन्नति से अपने संबंधो की मधुरता को समाप्त नहीं होने देना चाहिये। आज दोनों देशों के मध्य ऐसी स्थिति बनी हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि दोनों देशों की जीडीपी भारत से श्रेष्ठतर होती जा रही है। जहाँ बांग्लादेश की जीडीपी प्रति व्यक्ति आय 1887.97 है और श्रीलंका की 4000 डालर है। यदि इस पर गहनता से चिन्तन करें तो पता चलता है कि श्रीलंका भारत से अधिक सुखी व सम्पन्न देश है और बांग्लादेश भी प्रति व्यक्ति आय 10 डालर अधिक होने के कारण सम्पन्न है। यदि हम डालर को रुपये में जानने का प्रयास करें तो स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय भारत देश से 750 रूपये प्रति व्यक्ति आय अधिक है। इसीलिये उसमें अहंकार की भावना उत्पन्न हो गई है। इसका साक्ष्य यह है कि कुछ समय पूर्व बांग्लादेश के विदेशमंत्री ने भारत पर कटाक्ष किया था कि हमारे देश में भारत से अधिक सम्पन्नता है इसीलिये हमारे यहाँ की जनता भारत नहीं जाना चाहती है, वरन् भारत अब हमारी तुलना में गरीब देश है इसीलिए भारत की जनता उनके देश में आकर रोजगार करने को आतुर है।
यदि हम बांग्लादेश के इतिहास पर दृष्टिपात करें तो स्पष्ट होगा कि इस देश के अस्तित्व को बनाने हेतू भारतीय रण बांकुरो और भारतीय जनता ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था। बांग्लादेश को भारतीयों की इस सहायता को जीवन पर्यन्त विस्मृत नहीं करना चाहियें, परन्तु वास्तविकता यह नहीं है। इसके विपरीत बांग्लादेश ने धृष्टता के साथ चीन से मित्रता करके 38 बिलियन डालर का निवेश किया है, तथा व्यापार भी चीन-बांग्लादेश का 18 बिलियन डालर हो चुका है, जबकि भारत का 10 बिलियन डालर है। चीन का अत्यधिक प्रयास यही है कि वह बांग्लादेश पर अपना प्रभुत्व रखे और स्वेच्छा से उसका प्रयोग भारत के विरूद्ध कर सकें। बांग्लादेश के चिट्टगाँव और मोंगला बंदरगाह सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है जो भविष्य में भारत की सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा सिद्ध हो सकते है। विगत 10-15 वर्षों के अंतराल में बांग्लादेश ने विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक प्रगति की है। वहाँ प्रतिव्यक्ति आय भारत से अधिक है। शिशुओं की अकाल मृत्यु दर भारत से कम है। बांग्लादेश मुस्लिम बाहुल्य प्रदेश होने के पश्चात भी जनसंख्या नियन्त्रण में भारत से कहीं आगे है और सर्वाधिक आश्चर्य का तथ्य यह है कि भारत की अपेक्षा बांग्लादेशमें शिक्षा का प्रसार भी अत्यधिक तीव्रता से हुआ है। आगामी वर्षाें में बांग्लादेश एशिया का सर्वाधिक युवा देश बनने की पंक्ति में खड़ा होगा। आज बांग्लादेश रेडीमेड कपडों का विश्व का सबसे बडा निर्यातक बन गया है। जूट के निर्यात में तो वह प्रारंभ से ही प्रथम सोपान पर था। भारत की चिंता का प्रमुख कारण यह है कि पाकिस्तान की तो प्रारम्भ से ही धृष्टता पूर्ण छवि रही है, बांग्लादेश में भी चीन का प्रभुत्व अति तीव्र हो रहा है, अतः भविष्य में बांग्लादेश भी भारत से धृष्टतापूर्ण व्यवहार कर सकता है। श्रीलंका की जीडीपी भी भारत से अधिक होने के कारण वह अपने को श्रेष्ठ मानता है। अतः स्पष्ट है कि जिन-जिन देशों से भारत की सीमा रेखा मिल रही है, उनमें चीन का तीव्रता से प्रसार हो रहा है, जो भारत के लिये एक चिंता का विषय है। भारत को प्रति व्यक्ति आय में तीव्र गति से वृद्धि करनी होगी तथा अपने पड़ौसी देशों से मित्रता व सहायता हेतु निःसंकोच भाव से हाथ मिलाना होगा और अपनी ओर से भारत का यही प्रयास होना चाहिये कि वह अपने पड़ौसी देशों में चीन के प्रसार को किसी भी प्रकार से रोक पाये अन्यथा भविष्य में चीन, भारत को किसी भी प्रकार की गंभीर मुसीबत में डाल सकता है। इसलिये भारत को आगामी कष्टों के पूर्वानुमान के पश्चात स्वयं को उनका सामना करने हेतु तैयार करना होगा।
-योगेश मोहनजी गुप्ता