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पाकिस्तान का कलंक

वर्ष 1947 में अंग्रेजो से आजादी प्राप्त होते ही पाकिस्तान के निर्माण की बुनियाद प्रारम्भ हो गई थी। पाकिस्तान के निर्माण के साथ-साथ विध्वंसकारी शक्तियों का भी प्रादुर्भाव हो गया था। परिणामस्वरूप लाखों कन्याओं और महिलाओं की अस्मिता को धूल-धूसरित कर दिया गया। इस अपमान को न सहने के कारण कुछ महिलाओं ने कूओं में कूद कर अपने प्राण त्याग दिये। इन वीभत्स मंजर के विरुद्ध सरकार ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया और इन्हीं परिस्थितियों में ही पाकिस्तान का निर्माण हो गया। पाकिस्तान का स्वतंत्र अस्तित्व निश्चित होने पर जो शासक आये, वे इन वास्तविकताओ को देखकर भी अनदेखा करते रहे। उन्होंने यह समझने का भी प्रयास नहीं किया कि कितने मासूम बेगुनाहों की हाय पाकिस्तान पर पड़ी होगी। पाकिस्तान के शासकों ने वर्ष 1947-48 का मंजर विस्मृत कर दिया, फिर वर्ष 1965 और वर्ष 1971 तत्पश्चात वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, जिनमें वे भारतीय रणबांकुरों से लड़े और परास्त हो गए। दुख का विषय यह है कि यदि उस समय के भारतीय शासकों ने अपने विवेक और साहस का परिचय दिया होता तो निश्चिततः आज लाहौर भारत का हिस्सा होता। स्वतंत्र भारत पर पाकिस्तान ने अनेको बार आक्रमण किया, साथ ही सिंध प्रान्त एवं ब्लूचिस्तान में नागरिकों पर भी अत्यधिक अत्याचार किया। इसका एकमात्र कारण यह कि ये दोनों प्रान्त स्वतंत्र होना चाहते हैं। पाकिस्तान के बारे में सम्भावना यह है कि यह अभी दो बार और खण्डित होगा और ये दोनो प्रान्त इससे अलग हो जाएगें। पाकिस्तान में जब से उसका स्वतंत्र अस्तित्व बना है तभी से अपने स्वरूप की रक्षा हेतु भारत पर आक्रमण करता आया है और भविष्य में भी करता रहेगा। इसी सन्दर्भ में 14 फरवरी 2019 की घटना जिसके अन्तर्गत सीआरपीएफ के वाहनों के काफिलें पर पाकिस्तान के गुर्गो ने काश्मीर में रहने वाले देशद्रोहियों के साथ मिलकर हमला किया था, जिसमें 40 भारतीय जवानों को शहीद होना पड़ा था। भारतीय सुरक्षा एजेन्सी एनआईए ने जांच के पश्चात यह सुनिश्चित कर दिया था कि यह आक्रमण पाकिस्तान के द्वारा पूर्व नियोजित तरीके से किया गया था। पाकिस्तान की प्रकृति प्रारम्भ से ही झूठ और कपट पर आधारित रही है, इसलिये उसने इस जाँच रिपोर्ट को भी पूर्णतया नकार दिया। परन्तु साँच को आँच नहीं, कहावत के अनुसार, सच को किसी भी साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती, वह स्वयं ही अपने को प्रमाणित कर देता है। उसी प्रकार इस हमले को भी आज सम्पूर्ण विश्व में पाकिस्तान के केन्द्रीय मंत्री फवाद चैधरी ने अपनी संसद में वक्तव्य को दोहराकर सत्य को सिद्ध किया कि पुलवामा हमला इमरान खान की बहुत बड़ी उपलब्धि है। फवाद चैधरी का यह स्वीकारात्मक कथन पाकिस्तान की असलियत को सम्पूर्ण विश्व के समक्ष लाने के लिये पर्याप्त हैं। आश्चर्य का विषय यह है कि विश्व के बड़े देश यथा – अमेरिका, चीन आदि भी अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति हेतु पाकिस्तान पर निर्भर हैं। अमेरिका को दक्षिण एशिया में अपने प्रभुत्व को बनाये रखने के लिये पाकिस्तान की आवश्यकता है तथा इसी तरह चीन और पाकिस्तान की दोस्ती भी स्वार्थ पर आधारित है। कश्मीर के एक बड़े भाग पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है, जिसमें चीन बन्दरबांट करना चाहता है। इसलिये ये दोनो देश पाकिस्तान को विश्व समुदाय के समक्ष उसके किसी भी कृत्य की अवहेलना किये बिना स्वयं को अलग कर लेते हैं।
अब भारत में केवल एक ही ऐसा शासक है जो पाकिस्तान के विषय में कड़ी नीति अपना सकता है और इस कैंसर के रोग का जड़ से इलाज कर सकता है। हिन्दुस्तान ने पूर्व में गलती करके युद्ध में बंदी पाकिस्तान के 90 हजार सैनिको को तथा युद्ध में जीती हुई भूमि को वापिस लौटा दिया था। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को जड़ से ही खोखला किया जाए और ब्लौच को ब्लूचिस्तान एवं आजाद कश्मीर पंजाबियों को दे दिया जाए क्योंकि वे आजकल सरकार से बहुत अधिक रूष्ट हैं तथा एवं उनका समर्थन विश्व पटल पर राष्ट्र हित के लिए किया जाए। अब भारत देश को कठोर कदम उठाने होंगे। उसे अपनी नीतियों का निर्धारण करना होगा। उसे अब स्थाई रूप में स्वीकार करना होगा कि पाकिस्तान हमारा दोस्त कभी नहीं हो सकता और पाकिस्तान का अंत ही भारत का धर्म है और धर्म की राह पर चलना ही भारतीय संस्कृति है।

-योगेश मोहनजी गुप्ता

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