नई दिल्ली, 15 जनवरी (इंडिया साइंस वायर): केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य तथा परिवार
कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने नये विचारों पर आधारित अर्थव्यवस्था और नवोन्मेष गुणांक (Innovation co-efficient)
को किसी देश की प्रगति में महत्वपूर्ण बताया है। डॉ हर्ष वर्धन ने ये बातें राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (एनआईएफ) द्वारा
निर्मित नेशनल इनोवेशन पोर्टल (NIP) को देश को समर्पित करते हुए कही हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस पोर्टल
के जरिये स्थानीय समस्याओं का समाधान निकालने से जुड़े आम लोगों के नये विचारों को संस्थागत रूप देने में मदद
मिलेगी।
डॉ हर्ष वर्धन कहा कि भविष्य में नये आइडिया ही देश की प्रगति का निर्धारण करेंगे। आम लोगों की असाधारण
प्रतिबद्धता पर भरोसा व्यक्त करते हुए डॉ हर्ष वर्धन ने कहा है कि नवाचारी प्रयास देश को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ऊंचाई
पर ले जाएंगे। एनआईएफ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक स्वायत्तशासी निकाय है। एनआईएफ द्वारा
विकसित नेशनल इनोवेशन पोर्टल (NIP) पर देश के आम लोगों के लगभग 1.15 लाख नवाचारों को शामिल किया गया
है। डॉ हर्ष वर्धन ने शुरुआती बिंदु के रूप में 1.15 लाख नवाचारों के साथ इस पोर्टल के आरंभ को शानदार बताते हुए
एनआईएफ और डीएसटी के प्रयासों की सराहना की है।
एनआईएफ का इनोवेशन पोर्टल सामान्य लोगों के ऐसे नवाचारों एवं पारंपरिक ज्ञान पर केंद्रित है, जो लोगों की
समस्याओं के समाधान प्रस्तुत करते हैं। यह पोर्टल हमारे देश में मौजूद विशाल ज्ञान का एक प्रतिबिंब है, जो विभिन्न
प्रकार की समस्याओं को हल करने में उपयोगी हो सकते हैं। डीएसटी द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि भारत ही
नहीं, पूरे विश्व को नवाचारों के इतने विशाल पूल और पारंपरिक ज्ञान से लाभ मिल सकता है। डॉ हर्ष वर्धन ने जोर देकर
कहा कि इनोवेशन पोर्टल एक ऐसा ईको-सिस्टम विकसित करेगा, जहाँ प्रमुख संस्थान उन सभी लोगों के पीछे खड़े होंगे,
जो अपने विचारों और नवाचारों को उद्यमिता में बदल सकते हैं।
इस अवसर पर डीएसटी सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि "यह पोर्टल हमारे देश के नवाचार केंद्रित
पारिस्थितिक तंत्र में उपयुक्त समय पर शुरू हो रहा है, जो भारत की 5वीं राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति के विकास
से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि इनोवेशन पोर्टल के भविष्य के योगदानकर्ता इन नीतियों के केंद्र से ही उभरेंगे। इसीलिए,
शोध एवं विकास और नवाचार पर आधारित पारिस्थितिक तंत्र ग्रामीण एवं दूरदराज के इलाकों, विशेष रूप से उत्तर-पूर्व
भारत, द्वीपों और जनजातीय क्षेत्रों में विकसित किया जाना जरूरी है। (इंडिया साइंस वायर)