” ऋषियों-मुनियों द्वारा ही सुनियोजित था राम का वन-गमन ” – डॉ. नरेंद्र कोहली, प्रख्यात कथाकार देश की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था ‘चेतना’ द्वारा पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी ‘लाला पन्नालाल सिंघल स्मृति व्याख्यानमाला’ का आयोजन रविवार दिनांक 28 फरवरी 2021 को रोहिणी के होटल क्राउन प्लाजा के भव्य सभागार में किया। यह इस कड़ी की पाँचवी व्याख्यानमाला थी। इन व्याख्यानमालाओं के अंतर्गत संस्कृति और समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर देश की गणमान्य हस्तियों में से किसी एक को किसी एक विशेष विषय पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस बार मुख्य वक्ता के रूप में देश के प्रख्यात कथाकार, विचारक, चिंतक डॉ. नरेंद्र कोहली को आमंत्रित किया गया था। विषय था – ‘समसामयिक परिस्थितियाँ और राम कथा’ ; इसका विशेष संदर्भ था ‘श्री रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण’। श्री राम जन्मभूमि मंदिर का मुद्दा देश में पिछले कई दशकों तक छाया रहा। सरकारें आईं और गईं और आखिरकार अब मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त हुआ है और भारत की सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। इस प्रकार सैंकडों-सैकड़ों वर्षों का संघर्ष रंग लाया। इस भव्य समारोह के मुख्य अतिथि थे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार और अध्यक्ष थे सिविल सर्विसेज को समर्पित ट्रस्ट ‘संकल्प फाउंडेशन’ के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार तनेजा। कार्यक्रम की प्रस्तावना के लिए आमंत्रित थे केंद्रीय हिंदी संस्थान के वर्तमान उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी, जो कि प्रख्यात कवि भी हैं और अनुभवी राजनयिक भी। काव्य पाठ के लिए विशेष आमंत्रित थे पदमश्री डॉ. सुनील जोगी, जो कि हिंदी कविता मंच के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। इस भव्य और दिव्य समारोह का संचालन जाने-माने कवि और ‘चेतना’ संस्था के अध्यक्ष श्री राजेश चेतन ने किया। कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष थे श्री अनिल सिंघल, जो कि ‘गोल्डन मसाले’ कंपनी के चेयरमैन भी हैं और स्व. लाला पन्नालाल सिंघल के सुपुत्र भी। इस कार्यक्रम का मुख्य हिस्सा पुस्तक का लोकार्पण भी था। यह पुस्तक ‘लाला पन्नालाल सिंघल स्मृति व्याख्यानमाला’ की चौथी कड़ी के संभाषण की थी, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलाधिपति डॉ सत्यपाल सिंह का व्याख्यान प्रकाशित है। यह व्याख्यान ‘भारत की संस्कृति और वर्तमान’ विषय पर था। इस पुस्तक का कुशल संपादन देश के प्रख्यात कवि-दोहाकार श्री नरेश शांडिल्य ने किया है। इस पुस्तक के लोकार्पण के साथ-साथ देश की प्रतिष्ठित साप्ताहिक पत्रिकाओं ‘पांचजन्य’ और ‘ऑर्गेनाइज़र’ के नवीनतम अंकों का भी लोकार्पण हुआ। ये अंक ‘श्री राम जन्मभूमि : राष्ट्र मंदिर’ विषय पर आधारित संग्रहणीय अंक हैं। मुख्य अतिथि श्री आलोक कुमार ने श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन की पृष्ठभूमि को समझाते हुए अपने ओजस्वी विचार रखे और वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए निधि-एकत्रण का काम पूरा होने की जानकारी देते हुए इससे संबंधित कई प्रेरणादायक प्रसंग सुनाए। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री संतोष तनेजा ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन की स्मृतियों को स्मरण करते हुए संघ की दूरदृष्टि की सराहना की और वर्तमान में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार की भूमिका की भी भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उनके व्यक्तित्व में विश्व हिंदू परिषद के पूर्व-अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल की झलक मिलने की बात कही। केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी ने भारतीय संस्कृति में श्री राम के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए विषय की विस्तार से ‘प्रस्तावना’ प्रस्तुत की और श्री संतोष तनेजा जी के किंचित आवश्यक कार्य हेतु समारोह से जाने के बाद अध्यक्ष की भूमिका का भी दायित्व निभाया। मुख्य वक्ता के रूप में देश के प्रख्यात कथाकार, विचारक, चिंतक डॉ. नरेंद्र कोहली ने ‘समसामयिक परिस्थितियाँ और राम कथा’ विषय पर बोलते हुए श्रीराम के वन-गमन की भूमिका को विस्तार से समझाया और इसे उस समय के ऋषियों और मुनियों, जो कि उस समय के बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में प्रतिष्ठित थे, की एक सुनियोजित योजना के रूप में हमारे सामने रखा। कोहली जी ने बताया कि ऋषि-मुनियों की सोची-समझी योजना के अनुसार ही राम को वन में भेजा गया था ताकि असुर जाति का विनाश हो सके। उन्होंने भगवान राम को भारतीय संस्कृति का रोल-मॉडल बताते हुए रामकथाओं के रचयिता महर्षि वाल्मीकि और महाकवि तुलसीदास की दूरदृष्टि की भी अत्यधिक प्रशंसा की। इस समारोह में लाला पन्नालाल जी से जुड़े विधायक श्री महेंद्र गोयल,निगम पार्षद श्री अकुल सिंघल, डा अनिल यादव, श्री कमल यादव,ब्रिगेडियर आर सी यादव,मेजर प्रताप सिंह,आईआरएस अशोक बिश्नोई,आईएएस रमेश वर्मा, श्री विष्णु गुप्ता जी का भी अभिनंदन किया गया ‘कोरोना-काल’ के बाद ‘चेतना’ का यह पहला ऑफलाइन प्रोग्राम था, कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री जितेन्द्र सिंह गुप्ता,श्री एनआर जैन, श्री सतभूषण गोयल,श्री भारत भूषण अलाबादी,श्री अशोक बंसल जी का विशेष योगदान रहा। सभागार में सभी उपस्थित गणमान्यों ने ‘समुचित दूरी और मास्क’ नियमों का पूरी तरह से पालन किया हुआ था।