केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर दी है। तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के लिए फसलों के भुगतान के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है किसानों को फसलों का भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाए। इसके साथ ही किसानों को फसल बेचने वाले किसानों को अपनी जमीन का भी ब्याेरा देना होगा।
किसानों को डायरेक्ट पेमेंट करने का मुद्दा इस बार बन सकता है प्रदेश सरकार के गले की फांस
केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने एक के बाद एक लगातार दो पत्र जारी करके पंजाब सरकार से कहा है कि किसानों को उनकी फसल की खरीद का भुगतान सीधा उनके बैंक खातों में किया जाए। अभी यह व्यवस्था है कि किसानों को भुगतान आढ़तियों के माध्यम से किया जाता है। इसके साथ ही एक और पत्र जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि अनाज खरीद पोर्टल पर फसल बेचने वाले किसान अपना जमीन का रिकार्ड भी देंगे। ऐसे में पंजाब सरकार के लिए किसानाें को सीधे भुगतान का मुद्दा पंजाब सरकार के गले की फांस बन सकता है।
पंजाब सरकार को एपीएमसी एक्ट 1961 में संशोधन करने को कहा खाद्य मंत्रालय ने
यह भी कहा गया कि इस रिकार्ड को मंत्रालय के पास भेजा जाए ताकि वे एफसीआई के माध्यम से जब कभी चाहें तो इसे वेरिफाई भी करवा सकें। एफसीआई ने एक पत्र जारी करके कहा है कि राज्य सरकार रबी सीजन शुरू होने से पहले पहले अपने एपीएमसी एक्ट 1961 (APMC Act 1961) में बदलाव करे।
अभी यह है व्यवस्था
फिलहाल पंजाब की मंडियों में फसल खरीदने का काम आढ़तियों के माध्यम से केंद्र और राज्य की खरीद एजेंसियां करती हैं। किसान फसल को अपने आढ़ती के पास लेकर आता है और वे उसकी सफाई आदि की व्यवस्था करते हैं। खरीद एजेंसियां जितना भी अनाज खरीदती हैं उसका भुगतान आढ़तियों को उनके बिल भेजने पर कर देती हैं। आढ़तियों को किसानों के खातों में ऑन लाइन डालने की व्यवस्था कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन साल पहले एपीएमसी में संशोधन करके की थी। इससे पहले भी किसानों को सीधा उनके खाते में भुगतान का मुद्दा काफी सक्रिय रहा है।
पूर्व अकाली भाजपा सरकार के दौरान हाई कोर्ट ने भी किसानों को चैक से उनकी फसल का भुगतान करने का आदेश दिया था। कहा था कि खरीद एजेंसियां किसानों के नाम पर चैक काटें। लेकिन आढ़तियों ने इसका विरोध किया तो तब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि यह किसानों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह एजेंसी से भुगतान करवाना चाहता है कि आढ़ती से।
आढ़ती एसोसिएशन ने बुलाई खन्ना में मीटिंग
केंद्र सरकार के इन पत्रों के खिलाफ आढ़ती एसोसिएशन के चीमा ग्रुप ने खन्ना मंडी में स्टेट बॉडी की मीटिंग बुलाई है। एसोसिएशन के प्रधान रविंदर सिंह चीमा ने इन पत्रों को किसानों व आढ़तियों को विभाजित करने का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार ने भी अभी तक केंद्र सरकार को एपीएमसी एक्ट के बारे में नहीं कहा कि एक्ट में व्यवस्था है कि यह किसान तय करेंगे कि उन्होंने भुगतान किससे लेना है। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन से आढ़तियाें को तोड़ने के लिए यह दबाव बनाया जा रहा है।
मामला विधानसभा में भी उठा
यह मामला शुक्रवार को विधानसभा में भी उठा। आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा ने इसे उठाते हुए कहा कि इस साल 24 हजार करोड़ रुपये की गेहूं की खरीद होनी है। पंजाब में जो लोग ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं, उनको पेमेंट कैसे होगी। वे जमीनों के नंबर कैसे देंगे।
उन्होंने आशंका व्यक्त की, कि केंद्र सरकार के इस फैसले से मंडियों का सिस्टम बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने इस मामले में हाउस कमेटी बनाने की भी मांग की लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। राज्य सरकार ने भी इस मामले में अभी तक अपना कोई फैसला नहीं लिया है।
साभार: दैनिक जागरण
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Anuj Agrawal, Group Editor