भारत की कंपनी भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन क्या बनाया कांग्रेसियों और सेकुलर भांडों के आर्थिक श्रोत पर अंतिम कील ठुंक गयी। उन्हें लगा कि मोदी सियासी बाजी भी मार ले गए और हमे आर्थिक रूप से बर्बाद भी कर गए।
पहले इन्होंने पूरी कोशिश की वैक्सीन को बेकार घोषित कर दिया जाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने राज्य में कोवैक्सीन की एंट्री तक वैन कर दी। अखिलेश ने इसे मोदी वैक्सीन घोषित कर सपा के लोगों को टीका लगाने से मना कर दिया। यही हालत कांग्रेसी नेताओं ने भी अपने राज्यो में किया महाराष्ट्र में तो लाखों वैक्सीन बर्बाद हो गई। यह बात दूसरी है कि जब फटने लगी तो सभी विपक्षी चोरी छुपे टीका लगवाने लगे। इन्हीं लोगों की नकारात्मकता की वजह से मोदी जी ने बनाई हुई वैक्सीन बाहर भिजवाई और जब बाहर चली गई तो यही हो हल्ला मचाने लगे कि जब अपने देश में ही पूर्ति नहीं हो पा रही है तो बाहर क्यों भिजवाई।
वसुधैव कुटुम्बकम का ध्येय रख मोदी जी ने बनाई हुई वैक्सीन बर्बाद न हो तो वैक्सीन पीड़ित व जरूरतमंद देशों को भिजवाई या कहिए कुछ वैक्सीन दान कर दिया। जाहिर है परिणाम स्वरूप उन देशों ने भारत की वैक्सीन को खरीदना भी शुरू कर दिया।
उधर विश्व बाजार में भारत के दो वैक्सीन आने से अमेरिका की ड्रग माफिया हत्थे से उखड़ गई। भारत का इतना बड़ा बाजार उनके हाथ से फिसलता दिखा। अब अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया फाइजर और मार्डना ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर भारत में बैठे राजनैतिक दलालों को लालच देना शुरू किया और उसी का परिणाम भारत मे बनी वैक्सीन का विरोध रहा। इधर जब देश के हथियार दलालों को फाइजर की दलाली का ठेका मिल गया तो इन्होंने सरकार पर बिना ट्रायल किए वैक्सीन को इंपोर्ट करने के लिए दबाव बनाया, वह भी भारतीय वैक्सीन से कई गुना ज्यादा दामों पर। फाइजर को मंजूरी मिलने में देरी के कारण अमेरिकी प्रशासन वैक्सीन के रा मटेरियल को भारत भेजने पर अड़ंगा डालता रहा।
सबके बावजूद प्रश्न यही है कि फाइजर और पश्चिमी टीके भारतीय वैक्सीन के दाम के सामने टिक पाएंगे।
उत्तर है नहीं…. क्यों कि फाइजर वैक्सीन का रेफ्रिजरेशन ही बहुत महंगा है इसे रखने के लिए माइनस 75 डिग्री का फ्रिज चाहिए जो इस समय भारत का बाजार अफोर्ड करने की स्थिति में नहीं है। तो होगा ये की राज्यो द्वारा भारत के अलावा अन्य देशों से आये वैक्सीन को नॉर्मल फ्रिज में रखकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जाएगा।
वैक्सीन के खिलाफ जनता को गुमराह कर भारतीय दलालों ने बढ़ते करोना को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया कि वैक्सीन इंपोर्ट किया जाए। डरी सरकार ने भी सैद्धांतिक रूप से नरमी दिखा दी। रूसी स्पूतनिक को मंजूरी दे दिया है जो जल्द ही बाजार में आ जाएगी। अन्य विदेशी वैक्सीन के लिए भी ये लॉबी दबाव बना ही ले गयी। भारत उन सभी वैक्सीन को मान्यता देने को राजी हो गया जो डब्ल्यूएचओ, अमेरिका, ब्रिटेन और जापान में रजिस्टर हो चुके हैं।
चूंकि अब राज्यों को वैक्सीन विदेश से मंगवाने की छूट मिल गई है तो कांग्रेस और अन्य गैर बीजेपी राज्यों पर नजर रखनी पड़ेगी। क्योंकि अब राज्य सरकारें, MSP पर खेल करेगी क्योंकि ये तो अरबों खरबों का मामला होगा। अब फायदे के लिए जानबूझ का टीके खराब भी किये जायेंगे, ताकि ज्यादा इम्पोर्ट कर फायदा कमाया जा सके। इस देश मे सामूहिक मौत की संवेदना को भड़काना आसान है। इस महामारी में भी विपक्ष अपनी औकात भर जनमानस को भड़काने का कार्य किया और कर भी रहा क्यों उसे मासूम जनता की मौत से नही अपितु अपने आकाओं के पैसा बनाने के लक्ष्य को हासिल कर खुद की जेब भरनी है।
महामारी के गहन प्रकोप से निजात के लिए भारत ने विश्व में सबसे ज्यादा 90 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य बनाया है जिसके लिए शायद ये जरूरी कदम हो लेकिन भारत सरकार का इन गिरोह के दबाव में आना देश के लिए कितना घातक होगा ये समय के गर्भ में ही।
खैर देश मे देशद्रोहियो की संख्या निरंतर बढती जा रही है और मोदी जी से अब यही अपेक्षा है कि “सबका साथ,सबका विकास व सबका विश्वास” के स्थान पर सबसे पहले “देशद्रोहियो का सर्वनाश” का कार्य सम्पन्न करें। तत्पश्चात ही देश का विकास हो अन्यथा अब इस देश की दशा भी “सिरिया” जैसे होने से रोका न जा सकेगा।
-शरद सिंह