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विरोध से और मजबूत होंगे ट्रंप!

 

अमेरिकी प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप अति-पूर्वाग्रह का शिकार हो रहे हैं? ट्रंप पर उनके विरोधी और लिबरल ताकतें जानबूझकर लगातार हमले कर रहे हैं? वाकई ट्रंप ऐसा कदम उठाएंगे जो अमेरिका के लिए आत्मघाती होगी? क्या ट्रंप ने 20 जनवरी को प्रेजिडेंट पद संभालने के बाद वास्तव में ऐसा कर दिया कि पूरी दुनिया को उनसे खतरा हो गया या ऐसा माहौल बनाने की कोशिश हो रही है?

ट्रंप से जुड़े तमाम विवादों के बीच अब ये काउंटर क्वेश्चन भी सामने आ रहे हैं। ट्रंप के सपोर्टर अब उनके पक्ष में आ रहे हैं और बता रहे हैं कि किस तरह तिल का ताड़ बनाया जा रहा है और नए प्रेजिडेंट को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। वहीं जानकार मानते हैं कि अगर ट्रंप पर एकतरफा हमले जारी रहे तो इससे उन्हें राजनीतिक नुकसान से अधिक फायदा ही होगा और अंत में लिबरल ताकतों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है। एनबीटी ने जब ट्रंप से जुड़े विवादों के दूसरे पहलू और इसके पैरोकारों से बात की तो दूसरा पक्ष भी सामने आया।

हो रहा है बेहद गलत प्रचार

ट्रंप के चुनाव प्रचार में जोर-शोर से हिस्सा लेने वाले और रिपब्लिकन हिंदू गठबंधन के हेड शलभ कुमार मानते हैं कि ट्रंप के खिलाफ गलत कैंपेन चल रहा है और सूचनाएं अपने हिसाब से परोसी जा रही हैं। वह ट्रंप का बचाव कर रहे हैं। वह लोगों से ट्रंप के खिलाफ बन रहे माहौल को गलत बताते हैं। उन्होंने एनबीटी से कहा कि जैसी भारत तक खबरें पहुंच रही हैं, दरअसल हो ठीक इसका उलट रहा है।

शलभ के मुताबिक, ट्रंप सफल राजनेता से पहले सफल बिजनेसमैन हैं और कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगे, जिससे अमेरिकी हितों को धक्का पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि अब तक पूरे विश्व को आईएसआईएस और आतंकवाद के खिलाफ जंग लडऩे की अपील करने वाला वही बड़ा तबका ट्रंप के एक उचित कदम के बाद बदल क्यों गया? क्योंकि ट्रंप उनके कैंप के नहीं हैं? ट्रंप ने कोई बमबारी नहीं कराई, कोई युद्ध नहीं किया, फिर इस तरह की बातें क्यों? शलभ के अनुसार, दरअसल पूर्वाग्रह तर्क और तथ्य पर भारी पड़ रहे हैं। उन्होंने वीजा से जुड़ी खबरों का हवाला देते हुए कहा कि बिना किसी आदेश के पूरे विश्व में विरोध हो गया, जबकि अभी तक उस दिशा में कोई पहल भी नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि जैसा कहा जा रहा है वैसा नहीं होगा और उनकी वीजा पॉलिसी से भारत जैसे देश या यहां के प्रफेशनल्स को कोई असर नहीं पड़ेगा।

मीडिया ट्रंप विरोधी पक्ष पर केंद्रित

ट्रंप सपोर्टर जसदीप सिंह कहते हैं कि मीडिया या ट्रंप विरोधी बस एक पक्ष दिखा रहे हैं। उन्होंने यह चीज नहीं दिखाई कि वीजा प्रकरण पर पूरे देश में ट्रंप को सपोर्ट मिल रहा है। जसदीप ने अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी, खासकर सिखों को उनके पक्ष में करने में अहम भूमिका निभाई थी। वह अमेरिका में ‘सिख अमेरिकन्स फॉर ट्रंप’ नाम से अभियान भी चला रहे थे। लोग खुलकर बात करते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ पॉलिटिकली करैक्ट होकर जंग नहीं लड़ी जा सकती। उन्होंने कहा कि अगर कट्टरवाद की बात होगी तो ट्रंप हालिया किसी दूसरे अमेरिकी प्रेजिडेंट से अधिक सुलझे होंगे और कम से कम युद्ध में अमेरिका को नहीं झोकेंगे, जैसा कि दूसरे अमेरिकी प्रेजिडेंट्स ने हाल में झेलने को मजबूर किया है।

लिबरल ताकतों के लिए भी रियलिटी चेक

चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख का मानना है कि अभी ट्रंप जैसे नेता को खारिज करना जल्दबाजी होगा और जितना उनके खिलाफ रिएक्शन होगा, उतना ही काउंटर रिएक्शन होगा। उन्होंने कहा कि लिबरल ताकतों को समझना होगा कि कट्टरवाद की लड़ाई में वह भी एक तरह के कट्टरवाद को प्रमोट कर रहे हैं, जहां दूसरे व्यू को जगह देने का धैर्य नहीं है। देशमुख के मुताबिक, यह एक तरह से अतिवादी राजनीति के उभार का टाइम है। राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति करने का दक्षिणपंथी अप्रोच या गरीब-दलितों-वंचितों के नाम पर राजनीति करने वाले अति वामपंथी आगे बढ़ रहे हैं। उदारवादियों को इनके बीच खुद को एक संतुलन बनाना होगा। ट्रंप के साथ उदारवादी किस तरह निबटते हैं, इससे उनका भी रियलिटी चेक होगा कि वह भी खुद में वक्त के हिसाब से बदलाव लाने को तैयार हैं या नहीं।

नरेंद्र मिश्रा

 

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