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स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध
डॉ. शंकर सुवन सिंह
दो देशों का युद्ध, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का शिकार होता है। सामान संस्कृति, सभ्यता एवं भाषा वाले देश आपस में लड़ रहे हैं। जो देश कभी एक हुआ करते थे वो आज एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। जो देश जिस देश के निकट हैं वो एक दूसरे के प्रति उतनी ही विकटता पैदा करते हैं। यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अत्यधिक निकटता विकृति को पैदा करती है। भगवान् विष्णु के नवें अवतार महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा था –
वीणा के तारों को इतना भी मत कसो कि वह टूट जाये और इतना ढीला भी मत रखो कि उससे सुर ही न निकले। कहने का तात्पर्य अति किसी भी चीज कि बुरी होती है। चाहे वह निकटता हो या दूरी हो। प्रत्येक देश को संतुलित रहने कि जरुरत है। संतुलन ही किसी भी समाधान का मूल मंत्र है। प्रतिस्पर्धा हमेशा उससे ही होती है जिसके बारे में हम जानते हैं या जिससे हमारी निकटता होती है। जो हमको दिखती है वही प्रतिस्पर्धा का कारण बनती है। स्वतः के साथ प्रतिस्पर्धा स्व को निर्मित करती है, साथ ही साथ समाज और राष्ट्र को मजबूत करती है। व्यक्ति,समाज और राष्ट्र सभी की प्रतिस्पर्धा स्वयं से होनी चाहिए। प्रकृति, दूसरों से प्रतिस्पर्धा की अनुमति नहीं देती है। प्रकृति हमेशा स्व से जुड़ने की ओर प्रेरित करती है। स्व से जुड़ना ही असली प्रतिस्पर्धा है।
एक सफल राष्ट्र की प्रतिस्पर्धा स्वतः से होती है। जैसे बेरोजगारी, महंगाई, खाद्यान, मेडिकल, शिक्षा आदि को लेकर प्रतिस्पर्धा। बेरोजगारी से प्रतिस्पर्धा मतलब बेरोजगारों को रोजगार देना,आदि। कहने का तात्पर्य एक सफल राष्ट्र की प्रतिस्पर्धा स्वयं के दृष्टिकोण से होती है। एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र से प्रतिस्पर्धा करके उस पर शिकंजा तो कस सकता है पर पूर्णतः विकास नहीं कर सकता है। युद्ध विनाश का कारण बनता है। शांति, विकास का कारण बनती है। युद्ध वैमनस्यता का कारक है। शांति मित्रता का कारक है। भारत एक शांत देश है क्योंकि वो हमेशा पड़ोसी देशों से मित्रता करके चलता है। शांति, आस्तिकता को प्रकट करती है। युद्ध नास्तिकता को प्रकट करती है। आस्तिकता स्वर्ग को प्रकट करती है। नास्तिकता नरक को प्रकट करती है। शांति स्वर्ग के द्वार को
खोलती है। युद्ध नरक के द्वार को खोलता है। इसलिए तो द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के हिरोशिमा और नागाशाकी में गिराए गए बम का असर आज तक है। वर्ष 2013 में अमेरिका का रूस के विरुद्ध यूक्रेन में प्रदर्शनकारियों को समर्थन देना और हाल में रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले अमेरिका द्वारा युद्ध की भविष्यवाणी करना, अमेरिका के दोहरे चरित्र को चरितार्थ करती है। इन सभी तथ्यों से एक ही निष्कर्ष निकलता है कि अमेरिका विश्व के सभी राष्ट्रों को आपस में लड़वाकर सिर्फ और सिर्फ अपनी विजय पताका लहराना चाहता है।
जिस किसी देश ने अमेरिका को अपने देश में दखलंदाजी करने की सह दी वह देश बर्बाद हो गया। दो देशों में प्रतिस्पर्धा करवाकर आपस में लड़वा देने का काम अमेरिका का है। भारत को इससे सचेत रहने की जरुरत है।
भारत जैसा शांतिप्रिय देश तभी तो महान है। मेरा भारत महान। यूक्रेन – रूस युद्ध विश्व के भविष्य के लिए चेतावनी है। विश्व को ऐसे युद्धों से सबक सीखना चाहिए। सभी देशों को मिलकर विश्व के स्थाई भविष्य के लिए काम करना चाहिए। अतएव हम कह सकते हैं कि यूक्रेन – रूस युद्ध तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता नजर आ रहा है।

लेखक
डॉ. शंकर सुवन सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
शुएट्स,नैनी,प्रयागराज (यू.पी)

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