देवबंद को लेकर मीडिया बड़ा उत्साहित है, साथ में भाजपाई भी।
देवव्न कभी इसका नाम होता था यानि एक ऐसा वन था जहाँ ये मान्यता थी कि कभी यहाँ देवी दुर्गा का शेर भ्रमण करता था।
फिर उस वन में #पुंडीर क्षत्रिय आकर बस गए। 1857 ईसाईयों की मार से बिलबिलाते मुसलमानों को अपनी theology के अध्ययन करने हेतु इन्ही क्षत्रियों ने उन्हें अपना मदरसा स्थापित करने की जगह दी ।
आज देवबंद #तालिब हासिल करने और उस तालिबी विचार को विश्व भर में स्थापित करने का सबसे दमदार मजहबी केंद्र है।
खाड़ी के देशों से मजहबी गुत्थी सुलझाने के लिए मसले हल करने हेतु देवबंदी इस्लामी विद्वानों की राय ली जाती है।
मीडिया पुरजोर कोशिश कर रहा है यह साबित करने के लिए कि देवबंद के मुसलमान बहुल इलाके में भाजपा यदि जीती है, तो मोदी सरकार और चुनाव आयोग द्वारा इ वी एम् में अवश्य ही कोई खेल किया गया है ।
इस शजीस को अभी भाजपाई भी समझ नहीं पाये है। देवबंद में कुल 3.26 लाख मतदाता हैं जिनमे 95,000 मुसलमान मतदाता हैं ।
3.6 % अनुशूचित जाति के मतदाता है ।
लेकिन वहां के 36 गावों में ज्यादातर पुंडीर क्षत्रिय हैं इसीलिए-
देवबंद को “पुन्डीरो का रोम” कहा जाता है। और 1952 से आज तक पुंडीर क्षत्रिय ही देवबंद के राजनैतिक प्रतिनिधि होते आये हैं । सिवा 2 बार ढाई ढाई वर्ष ही इस इलाके में मुसलमान प्रतिनिधि रहे हैं ।
इसलिए मीडिया का ये ड्रामा कि मुस्लमान बहुल इलाके से भाजपा इसलिए जीती कि मुसलमानों ने इसको वोट दिया , या जो वोट मुसलमानों ने देवबंद में दिया उसको ई वी एम् ने कमल पर डलवा दिया, एक बहुत बड़ी पेंच की बात है , जिसमे भाजपा के राजनेता और मीडिया विद्वान या तो उलझे हुए हैं या उलझाये जा रहे हैं।
ये मायावती का फेस सेविंग चाल नही है, वाम और दलित तथा इसाईं मिशनरियों की सोची समझी चाल है , देश तोड़क शक्तियों की #प्राणवायु है।
[13/03 16:09] +91 99715 94695: हड़कम्प – साभार DD Bharti
यूपी चुनाव जीतते ही मोदी ने लिया नोटबंदी से भी बड़ा फैसला, देश की राजनीति में मचा हड़कंप
नई दिल्ली : देश का मीडिया तथाकथित सेकुलरिज्म के नाम पर आप तक कई ख़बरें पहुचने ही नहीं देता है. ऐसी ही एक खबर आइये हम आपको बताते हैं, दरअसल प्रधानमंत्री बनने के फ़ौरन बाद से ही देशहित के लिए पीएम मोदी एक के बाद एक ऐसे मुद्दों पर काम करने में लगे हैं जिन्हें करने का साहस इससे पूर्व की सरकारों ने नहीं किया. ऐसा ही एक बड़ा फैसला अब लिया गया है, जिसे अब तक का सबसे महत्वपूर्ण फैसला बताया जा रहा है.
अवैध-बांग्लादेशियों को बहार निकालने का काम शुरू !
अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशियों को देश से बाहर करने की मांग काफी वक़्त से उठती आ रही है. जब से पीएम मोदी सत्ता में आये हैं, तब से ये मांग और तेज हो गयी थी. हालांकि वोटबैंक की राजनीति करने वाले कई नेता इसका विरोध करते आये हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो खुले तौर पर पीएम मोदी को चुनौती तक दे डाली थी. मोदी का नाम लिए बिना ममता ने कहा था ‘वो किसी भी व्यक्ति को हाथ लगा कर तो देखें, मैं दिल्ली में तूफान मचा दूंगी’.
सेकुलरिज्म के नाम पर देश में अशांति ना फैले इसके लिए कानूनी तरीके से अवैध बांग्लादेशियों को निकालने की कवायद शुरू की गयी. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश मिल गया है. सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सरकार से कहा है कि 25 मार्च 1971 के बाद अवैध तरीके से भारत में आये तमाम बांग्लादेशियों की पहचान करके उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाए. इसके साथ ही उन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाकर सील करने के भी आदेश दिए हैं.
एक्शन में मोदी सरकार !
कोर्ट से आदेश मिलते ही सरकार ने तेजी से इसपर काम करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में इन अवैध बांग्लादेशियों की संख्या फिलहाल 3 करोड़ से भी ज्यादा है. वहीँ इनमे से 1 करोड़ तो अकेले बंगाल और असम में रहते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कई राजनीतिक पार्टियों द्वारा इन्हें देश के अलग हिस्सों में बसाया गया है और चुनाव के वक़्त वोटबैंक की तरह इनका उपयोग किया जाता है. इनके बाहर होते ही देश की राजनीति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
आपको बता दें कि सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार भारत में 2 करोड़ 33 लाख फर्जी राशन कार्ड भी रद्द कर चुकी है. ख़बरों के मुताबिक़ ये फ़र्ज़ी राशन कार्ड भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के थे और इनसे सरकार को हर साल करोड़ों रुपयों का घाटा हो रहा था. रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा फर्जी राशन कार्ड तो ममता के बंगाल में ही पकड़े गए हैं. बंगाल में तकरीबन 66 लाख 13 हजार 961 फ़र्ज़ी राशन कार्ड चल रहे थे, जिन्हें रद्द किया जा चुका है. सूत्रों के मुताबिक़ अब जल्द ही सभी अवैध-बांग्लादेशी भी बाहर होंगे ।