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फिर यह दृष्टिभ्रम क्यों मोदी जी?

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की सुनामी के बाद भाजपा और मोदी जी की बांछे खिल गयी हैं। मोदी जी के समर्थक इसे सरकार के विमुद्रिकरण (विरोधियों द्वारा नसबंदी की तर्ज पर इसे नोटबंदी कहा गया) के कदम पर जनता की मुहर बता रहे हैं। मगर सच्चाई यही है कि इन दोनों प्रदेशों में हिंदुओं की उपेक्षा, उनसे भेदभाव और कट्टर इस्लाम को बढ़ावा देने की कांग्रेस, बसपा और सपा सरकारों की बदनीयती एवं बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ हिंदुओं का एकजुट विरोध और प्रतिक्रिया है। नतीजों के बाद हिन्दुओं द्वारा जिस विनम्रता और शांति का परिचय दिया गया यह मुसलमानों को दिया गया स्पष्ट सन्देश है कि हम शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में विश्वास रखने वाले लोग हैं और आप लोग भी अपने संप्रदाय से कट्टरपंथी और अराजक तत्वों को छांट कर अलग कर दो।

हठयोगी के खिलाफ ठगयोगियों के महागठबंधन की तैयारी

सुना है कि उत्तर प्रदेश में चेन स्नेचिंग, लूट, चोरी, डकैती आदि का कारोबार करने वाले तथा शराब, ब्राउन शुगर, अफीम, चरस, गांजा, हिरोइन आदि की तस्करी के व्यवसाई भी योगी सरकार के खिलाफ महागठबंधन करने जा रहे हैं। उसके बाद यह गठबंधन कुछ प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों का नेतृत्व प्राप्त कर विधानसभा घेरने जाएगा।

इन सभी कारोबारियों एवं व्यवसाइयों का आरोप है कि योगी सरकार कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की आड़ में उनके पेट पर लात मार रही है। उन्हें बेरोजगार करने पर आमादा है। इन कारोबारियों का दावा है कि जिस प्रकार अवैध बूचडख़ानों का वार्षिक टर्नओवर करोड़ों का है, उसी प्रकार उनका वार्षिक टर्नओवर अरबों रुपए का है। जिस प्रकार अवैध बूचडख़ानों से हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है, उसी प्रकार उनके अवैध धंधों से लाखों परिवार ऐश-मौज कर रहे हैं।इन लोगों की मानें तो पुलिसकर्मियों की माली हालात सुधारने में भी इनका बड़ा योगदान है क्योंकि यह अपने-अपने धंधों को सुचारू रुप से चलाने के लिए पुलिस महकमे को बाकायदा पूरी ईमानदारी के साथ महीनेदारी देते हैं।पुलिस ही क्यों, यह तमाम दूसरे सरकारी विभागों को भी बहुत-कुछ देते हैं। मसलन अधिकांश अवैध धंधेबाज सुविधा संपन्न होते हैं। उनके कारिन्दे भी इतना कमा लेते हैं कि उन्हें किसी और का मुंह नहीं देखना पड़ता। इन लोगों का जीवन स्तर सुधरता है तो इनकी लाइफ स्टाइल भी बदलती है। लाइफ स्टाइल बदलती है तो यह लोग लग्जऱी सामान परचेज करते हैं। लग्जऱी सामान पर अच्छा-खासा टैक्स देना होता है और यह टैक्स सरकारी खजाने में जाता है। इसी टैक्स से सरकारें चलती हैं। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसों के वेतन-भत्ते व सुख-सुविधाएं पूरी होती हैं। कितना कुछ होता है।

सरकार खुद मान चुकी है कि ईमानदारी से टैक्स अदा करने वाले इस देश में मात्र डेढ़ प्रतिशत लोग हैं। बाकी वही हैं जो अवैध धंधों से बेहतर जीवन जीते हुए जाने-अनजाने में ही सही, न सिर्फ टैक्स अदा कर रहे हैं बल्कि सुविधा शुल्क के रूप में बहुत से सरकारी नुमाइंदों को मोटा नामा देते हैं।विपक्षी राजनीतिक दलों का इनके समर्थन में साफ-साफ कहना है कि देखिए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। ये लोग अवैध धंधेबाजों की पीड़ा नहीं समझ सकते। यह असहिष्णु लोग हैं क्योंकि इनका न तो घर-परिवार से कोई नाता है और न गृहस्थ आश्रम से कोई वास्ता। बीबीसी हिंदी पर एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने आलेख में बाकायदा आंकड़े देकर बताया है कि अवैध बूचडख़ानों के खिलाफ कार्यवाही करने से चमड़ा उद्योग के 20 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे।अपनी चुनावी सभा में अखिलेश यादव ने जगह-जगह यह कहा था कि कोई धन काला नहीं होता, काला तो लेन-देन होता है। आज अखिलेश यादव की इस गूढ़ दलील का रहस्य कुछ-कुछ समझ में आ रहा है।

कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि मोदी जी की शह पर योगी जी उत्तर प्रदेश में जो कुछ कर रहे हैं, वह ठीक नहीं कर रहे। काठ की हांडी एकबार तो चढ़ गई, लेकिन अगली बार नहीं चढऩे की। अखिलेश भैया के राज में कितना सुकून था। न बूचडख़ानों की ओर किसी की आंख उठाकर देखने की हिम्मत थी और न सड़क पर घूम रहे आवाराओं को रोकने-टोकने की हिमाकत कोई करता था। पांच साल में जैसे स्वर्ग बन चुका था उत्तर प्रदेश। जिसकी लाठी, उसकी भैंस का मुहावरा पूरी तरह चरितार्थ था। पता नहीं कहां से निकल आया ये गेरुआ वस्त्रधारी योगी, जिसे लाखों लोगों के बेरोजगार होने की कतई चिंता नहीं है।

ऐसे में इस योगी के खिलाफ प्रदेश के सभी अवैध धंधेबाजों और कानून के दुश्मनों का महागठबंधन बनना समय की सबसे बड़ी मांग है। विपक्ष का इस महागठबंधन को बिना शर्त पूर्ण समर्थन मिलना तय है। वह इसका नेतृत्व संभालने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

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