*रजनीश कपूर
‘इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना’। मिर्ज़ा ग़ालिब के चर्चित शेरों में से यह
एक ऐसा शेर है जो हमें दर्द सहने की नसीहत देता है। परंतु आजकल के भाग-दौड़ भरे दौर में हमारे शरीर में दर्द सहने की
शक्ति कम होती जा रही है। हम किसी भी उम्र के क्यों न हों, ज़रा सी दर्द को भगाने के लिए ‘पेन किलर’ के बिना नहीं चल
सकते। पर क्या हम इन रंग बिरंगी गोलियों के दुष्प्रभाव से वाक़िफ़ हैं?
आमतौर पर हम सिरदर्द जैसी छोटी सी पीड़ा पर, पेट या बदन दर्द पर तुरंत पेन किलर ले लेते हैं। बिना इस बात का ख़्याल
हुए कि इन गोलियों का हमारे शरीर पर क्या असर पड़ेगा। हमारी ज़रा सी लापरवाही, इन दवाओं को जीवन भर का दर्द
बना सकती हैं। जबकि पेट दर्द, सिर दर्द और बदन दर्द के लिए नानी-दादी के बताए ऐसे हज़ारों घरेलू नुस्ख़े हैं जिनसे तुरंत
आराम मिल सकता है। परंतु मार्केटिंग के युग में हर चीज़ को इस ढंग से बेचा जाता है कि वो हमारी ज़रूरत बन जाती है।
चर्चित कलाकार हों या मशहूर खिलाड़ी, उनको पर्दे पर दिखा कर दवा कंपनियाँ हमें इन पेन किलर के जाल में फँसा ही लेती
हैं।
दर्द से झटपट छुटकारा पाने के लिए, बिना डाक्टर की प्रिस्क्रिप्शन मिलने वाली दवाएं ‘ओवर द काउंटर ड्रग्स’ (ओटीसी) के
नाम से जानी जाती हैं। इन रंग बिरंगी दवाओं की हल्की डोज से आपको आराम भले ही मिल जाता हो, लेकिन इनका साइड
एफेक्ट जाने बिना इनका सेवन करना घातक हो सकता है। लंबे समय तक पेन किलर को बिना सोचे-समझे या बिना डॉक्टरी
सलाह के लेने से किडनी खराब होने तक का खतरा हो सकता है।
आज कल के तनावपूर्ण माहौल में युवा पीढ़ी कई बार थकान मिटाने और दर्द से आराम के लिए पेन किलर के इतने आदी हो
जाते हैं कि ये दवाएं उनके दिनचर्या का हिस्सा बन जाती हैं और इनकी लत लग जाती है। बिना दर्द के और लंबे समय तक
इनके इस्तेमाल से न सिर्फ़ किडनी बल्कि लिवर ख़राब होने के साथ-साथ हमारे शरीर में डिप्रेशन जैसी कई मानसिक
समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
अक्सर देखा गया है कि तेज़ दर्द से जल्द आराम लेने की होड़ में हम एक से अधिक पेन किलर ले लेते हैं। डाक्टरों के अनुसार
ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए। आमतौर पर एक पेन किलर अपना असर 15-30 मिनट में दिखाती है। यदि हम
जल्दबाज़ी में एक से अधिक पेन किलर ले लेते हैं तो इनके साइड इफ़ेक्ट का ख़तरा बढ़ जाता है। डाक्टरों के अनुसार पेन
किलर के ओवर डोज़ से आंतरिक रक्तस्राव या ‘इन्टरनल ब्लीडिंग’ हो सकती है। इतना ही नहीं पेन किलर के ओवर डोज़ से
दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
दवा कंपनियाँ अपनी दवा को लोकप्रिय बनाने कि नियत से डाक्टरों को लुभावने ऑफर देती हैं। इसी लालच में आकर प्रायः
कुछ डाक्टर इन्हें मरीज़ों को लिख कर दे देते हैं। दर्द में आराम आने पर मरीज़ों को इनकी आदत पड़ जाती है। जहां एक या
दो मरीज़ों को दवा से आराम मिलना शुरू हुआ वहीं दवा का नाम चलन में आ जाता है। इस पैंतरे से दवा कंपनी पेन किलर
के बाज़ार में अपनी जगह आसानी से बना लेती है। डाक्टरों की माने तो पेन किलर के हल्के डोज़ को तेज दर्द में राहत के लिए
तो ले सकते हैं परंतु इन पर निर्भर होना काफ़ी खतरनाक हो सकता है।
एक शोध के अनुसार पेन किलर के साइड इफ़ेक्ट की एक लंबी सूची है। यह हर रोगी और उसके दर्द पर निर्भर करती है।
इनमें अहम साइड इफ़ेक्ट हैं कॉन्सटपिशन या लूज मोशन्स, पेट में अल्सर या ब्लीडिंग, गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनिल समस्याएं,
अनिद्रा व ध्यान न लगना जैसी मानसिक स्मस्याएं, त्वचा पर चकत्ते और खुजली या जलन, श्वास संबंधी दिक्कतें आदि।
इसलिए केवल दवा कंपनी के प्रचार, दवा बेचने वाले दुकानदार और मिलने वालों की आम चर्चा से नहीं बल्कि सही डाक्टरी
सलाह के बाद ही सही पेन किलर लें।
शोध यह भी बताते हैं कि पेन किलर लेने पर शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। इसलिए जब भी पेन किलर लेने की
सलाह मिले तो पानी पीते रहें। अच्छी मात्रा में पानी पीने से पेन किलर के विषालु प्रदार्थ या टॉक्सिन का असर कम हो
जाता है। जिस कारण इनके साइड इफ़ेक्ट की आशंका भी कम हो जाती है।
आम भाषा में मरीज़ के उपचार करने वाले ‘दवा-दारू’ जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। परंतु पेन किलर के संबंध में दवा और
दारू एक दूसरे के दुश्मन हैं। यदि आपको डाक्टर की सलाह पर पेन किलर लेनी पड़ती है तो ऐसे में मदिरा सेवन न करें। ऐसा
करने से आप हार्ट अटैक या स्ट्रोक के शिकार भी हो सकते हैं। पेन किलर दवा और शराब, दोनों ही एसिडिटी बढ़ाते हैं। आप
ख़ुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हमारे शरीर पर इन दोनों का प्रभाव कितना बुरा हो सकता है।
आज के इंटरनेट के युग में आप पेन किलर लेने से पहले इनके दुष्प्रभावों के बारे में अवश्य पढ़ें। सही डाक्टर से सलाह करने के
बाद ही ज़रूरत के अनुसार ही सही दवा का सेवन करें और स्वस्थ रहें। दवा कंपनी के प्रचार का शिकार बने बिना आप
जेनेरिक दवा या होमियोपैथिक दावा का सेवन भी कर सकते हैं। किसी भी तरह के दर्द से राहत के लिए एलोपैथिक दवाओं
के मुक़ाबले होमियोपैथिक दवाओं का असर बहुत अच्छा होता है और इनका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता। यहाँ तक कि
सर्जिकल ऑपरेशन के बाद भी ये दवाएँ दर्द से राहत देती हैं। ये वैकल्पिक दवाएँ आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़तीं। मगर
इन विकल्पों का उपयोग भी होमियोपैथिक डाक्टर की सलाह पर ही करें। जहां तक हो सके एलोपैथिक दवाओं के आदि न
बनें और इनके दुष्प्रभाव से बचें।
- लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं।