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 टीवी अभिनेत्री वाणी कपूर थी मेरी परिचित, साहित्य में थी उनकी रूचि 

कलयुगी बेटे ने अमिनेत्री मां को मार डाला

आचार्य श्री विष्णुगुप्त 

अरे यह तो वही वाणी कपूर है, कितनी संवेदनशील और गंभीर मनुष्य थी, सीरियलों और थर्ड ग्रेड की फिल्मों के विशेषज्ञ। उसकी हत्या की खबर पढ कर और उसके फोटो देख कर मेरे मन की प्रतिक्रिया यही थी। पन्द्रह साल पुरानी मुलाकात की यादें ताजा हो गयी। बेटे द्वारा ही उसकी हत्या पर एक पल के लिए विश्वास नहीं होता है। पर सत्य तो सत्य होता है। सत्य को कैसे झूठलाया जा सकता है।

             टीवी अभिनेत्री वाणी कपूर का इतना बर्बर और हिंसक अंत होगा, यह उम्मीद से परे हैं और लोभ-लालच की बर्बर व अमानवीय कहानी सामने आती है। मां-बेटे के रिश्ते को भी कंलकित कर दिया है। मानवता को शर्मसार करती है। वाणी कपूर को उनका फ्लैट ही हत्या का कारण बन गया। उनके फ्लैट की कीमत थी 12 करोड़। इस 12 करोड़ के फ्लैट के लिए ही उसके बेटे ने वाणी कपूर की हत्या कर डाली। हत्या कर शव को छिपाने के लिए उसने जो हथकंडे अपनाये उससे यह स्पष्ट होता है कि बेटे ने हत्या करने से पहले पूरी योजना बनायी थी।

              वाणी कपूर अपने छोटे बेटे के साथ रहती थी। उसका छोटा बेटा सचिन कपूर बेहद हिंसक प्रवृति का था। और वह अपनी मां पर फ्लैट बेच कर पैसे देने का दबाव बनाता था। जबकि वाणी कपूर फलैट बेचने के खिलाफ थी। वाणी कपूर अपने बेटे सचिन कपूर की सभी जरूरतें पूरी करती थी और उसने उसे अच्छी जिंदगी दी थी, पढ़ाई भी अच्छे स्कूलों से करायी थी। सचिन ने हत्या के लिए बेसबॉल के बैट का प्रयोग किया। हत्या के लिए उसने अपने नौकर को भी बाध्य किया था। उसका नौकर हत्या में सहयोगी था। सचिन और उसका नौकर हत्या करने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए हिंसक दिमाग का इस्तेमाल किया। शव को बड़े फ्रीज में रखा और उसे 90 किलोमीटर दूर ले जाकर नदी में फेक दिया। शव की पहचान भी उसने बिगाड़ने की पूरी कोशिश की थी।

                                  हत्या का भेद बहुत ही नाटकीय ढंग से खूला। वाणी कपूर के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा अमेरिका में रहता है। बड़े बेटे अपनी मां से बात करने की लगातार कोशिश कर रहा था। लेकिन बात नहीं हो पा रही थी। अमेरिका में रहने वाले बेटे ने हार कर पुलिस का सहारा लिया। सचिन का कहना था कि मां घर छोड़ कर बाहर चली गयी, कहां गयी है, यह कहना मुश्किल है, एक-दो सप्ताह में वापस आ जायेगी। पुलिस ने जब सख्ती दिखायी तो फिर राज खूल गया और फलैट वाली कहानी समाने आयी।

                      फिल्मी दुनिया की अंदर की कहानी बहुत ही वीभत्स होती है, पहचान और ख्याति के लिए कुछ भी करने के लिए में शर्म नहीं होती है। एय्याशी और नशा खोरी आम बात है। नशा खोरी और अय्याशी के लिए परिवार और रिश्तेदारी के सारे बंधन तोड़ दिये जाते हैं, मानवता के सभी मापदंड भी तोड़ दिये जाते हैं। मां-बहन के पवित्र रिश्ते की डोरी को भी तार-तार कर दिया जाता है।  

             वाणी कपूर मेेरी एक मुलाकात थी। आज के पन्द्रह साल पूर्व मैं मुबंई गया था। अपने परिचित संतोष राय के यहां ठहरा था। मैं उस समय गौरेगांव घूमने गया था और फिल्मी दुनिया के थर्ड ग्रेड की अभिनेत्रियों की पीड़ा पर शोध कर रहा था। एक अपरिचित व्यक्ति जो मुबंई फिल्मी दुनिया से जुड़ा था और थर्ड ग्रेड की फिल्मों का प्रमोशन करता था ने मेरी कई थर्ड ग्रेड की हिरोइनों और अन्यों से मुलाकात करायी थी। उन्ही में से एक थी वाणी कपूर। वाणी कपूर बेहद ही संवेदनशील और गंभीर मुनष्य थी। साहित्य की समझ भी उसकी अच्छी थी। उसने मुझे सीरियलों और थर्ड ग्रेड के फिल्मों के अंदर की बर्बर, हिंसक और अमानवीय कहानी के बारे में बहुत कुछ जानने-समझने में मदद की थी। उसने मुझे बताया था कि यहां पर एक स्त्री को सिर्फ भोग की वस्तु समझी जाती है, पल-पल पर स्त्री को नंगा होना पड़ता है, हम नही ंतो और कोई…।  वाणी ने मुझे संवाद लेखक और फिल्म लेखन में किस्मत अजमाने की सलाह दी थी। वाणी की बतायी बातों पर मुबंई फिल्म दुनिया की अनकही कहानियों पर कई आर्टिकल मैंने लिखा था, इसके अलावा मेरा एक लेख बहुत ही चर्चित हुआ था कि फिल्मी दुनिया की लड़कियों की जवानी कितने वर्ष की होती है।

                मां से बड़ा दुनिया में कौन हैं? मां के लिए बच्चे ही दुनिया होते हैं। वाणी कपूर भी एक संवेदनशील मां थी। अपने बेटे सचिन को उसने कितने जतन से पाली होगी? वही सचिन उसकी हत्या कर डाली। यह तो मनुष्यता का खून है। मां बेटे के रिश्ते का खून है। सचिन जैसा कंलकित पुत्र भगवान और किसी मां को नहीं दे। हम कैसा समाज बना रहे हैं? हमें अब फिल्मी दुनिया से प्रेरित और ग्रसित समाज को स्वच्छ करने के लिए गंभीरता से चिंतन की जरूरत है। वाणी कपूर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है।

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 *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* 

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