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कोरोना को फिर कैसे दें मात

आर.के. सिन्हा

कोरोना की दूसरी लहर के बाद जिंदगी पटरी पर लौटने लगी थी। लग रहा था कि दुनिया ने कोरोना को पीछे छोड़ दिया है। पर कोरोना ने तो एक बार फिर से अपना असर दिखाना चालू कर दिया है। चीन से आने वाली खबरों से सारी दुनिया सहम सी गई है। भारत का चिंतित होना तो लाजिमी है ही, क्योंकि चीन हमारा पड़ोसी देश है। स्थिति विकट है। चीन में कोरोना कहर ढा रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। खबरें यह भी हैं कि वहां पर रोगियों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि फिलहाल भारत में जानकारों का कहना है कि अपने देश में व्यापक वैक्सीनेशन के चलते भारत वर्ष में कोरोना पूरी तरह कंट्रोल में है। इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है। यानी फिलहाल चीन में भी कोरोना की स्थिति को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन चीन की स्थिति पर तो लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है।

भारत में कोरोना के कम मामलों की एक वजह यह भी है कि यहां ओमिक्रोन के सब वेरिएंट फैल नहीं रहे हैं। भारत अपने पाँच चरण वाले कोविड उपाय “टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार” के पालन से कोरोना वायरस के संक्रमण के विस्तार को रोकने में सफल रहा है। पर चीन, जापान, ब्राज़ील, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामले को देखते हुए भारत को भी पॉजिटिव केस की जीनोम सीक्वेंसिंग करनी ही होगी ताकि वेरिएंट को ट्रैक किया जा सके।

भारत को एयरपोर्ट पर सर्विलांस को बढ़ाने की जरूरत है, खासतौर पर उन लोगों की पहचान जरूरी है, जो विदेशों से लौट रहे हैं और उनमें कोरोना जैसे लक्षण हैं। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि दुनियाभर में करीब 75 प्रकार के सब वेरिएंट्स घूम रहे हैं। संयोग से भारत में सभी वेरिएंट्स की पहचान हुई है, लेकिन, किसी ने भी कोरोना मामलों की रफ्तार नहीं बढ़ाई। आगे भी हालात इसी तरह रहने की उम्मीद है, इसीलिए तत्काल घबराने की कोई खास जरूरत नहीं है।

 पर चीन में मरीजों को फर्श पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। दवा और ऑक्सीजन का संकट भी है। फिलहाल, भारत सरकार चीन के हालात पर पैनी नजर रख रही है। अभी यह कहना मुश्किल है कि भरात सरकार तथा राज्य सरकारें चीन की स्थिति को देखते हुए किस तरह के कदम उठाएगी या उठा सकती है। हां, कोरोना की पहले आई दो लहरों ने हिन्दुस्तानियों का जीवन तो बहुत हद तक बदल ही दिया है। अब सड़कों पर पहले वाला सा ट्रैफिक जाम नहीं होता जैसा कि कोरोना काल से पहले हुआ करता था।  कोरोना का असर खत्म होने पर भी हजारों-लाखों पेशेवर तथा कारोबारी अपने घरों से ही काम कर रहे हैं। यानी वर्क होम कल्चर अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है। लाखों आईटी सेक्टर के पेशवर कोरोना काल से ही वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। ये बीच-बीच में दफ्तर भी चल जाते हैं। नई टेक्नोलॉजी यह सुविधा देती है कि आप घर बैठकर अपने दफ्तर के साथियों के साथ तालमेल करके काम कर लें। इसी तरह नेट बैंकिंग ने अब ग्राहकों को बैंक में जाने के झंझट से काफी हदतक राहत दे दी है। नेट बैंकिंग के माध्यम से पेमेंट दी-ली जा सकती है। आप अपनी  एफडी बनवा सकते हैं या उसे कैश करवा सकते है। हालांकि अब भी कुछ लोगों को बैंक जाने का शौक रहता है। वे अपने को बदलने के लिए तैयार नहीं है।

वर्क फ्रॉम होम ने लाखों लोगों को सुबह दफ्तर जाने के झंझट से मुक्ति दिलवा दी है। महानगरों और बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को पता है कि उन्हें  दफ्तर तक जाने का लंबा सफर पूरा करने में कितना कष्ट होता है। अब ये पेशेवर अपने घरों से ही पूरा काम कर लेते हैं। हालांकि ये घरों में रहकर ज्यादा घंटे भी काम करते हैं।वर्क फ्रॉम होम करने वालों का किराया भी बचता है, पर अब उनका बिजली का खर्चा कुछ बढ़ गया है।

इस बीच, भारत सरकार पर यह दबाव रहेगा कि वह चीन में तेज़ी से बढ़ते संक्रमण के चलते वह चीन पर पूरी तरह ट्रैवल बैन लगाए। फ़िल्म प्रोड्यूसर तनुज गर्ग ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, “मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है। चीन में कोरोना का सैलाब आया है और एक नए वैरिएंट का ख़तरा है। अगर हमने अपने देश में एंट्री प्रोटोकॉल को सख़्त नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब देश में फिर लॉकडाउन लग जाएगा।”

बहरहाल, चीन की भयानक स्थिति को देखते हुए मास्क पहनना शुरू कर देना चाहिए। इसमें देरी नहीं करनी चाहिए।कोरोना को दूर रखने में मास्क सबसे कारगर हथियार है। दुर्भाग्यवश कई लोग मास्क को गलत तरीके से पहनते हैं, जिससे संक्रमण को न्यौता मिलता है। मास्क कोरोना वायरस को रोकने में कितना सक्षम है, यह जानना जरूरी है। जरूरी यह भी है कि मास्क पूरी तरह फिट हो और अगर कपड़े का मास्क पहन रहे हैं तो डबल मास्क पहनने की जरूरत है। डॉक्टरों का कहना है कि आप तीन लेयर वाला मास्क पहन सकते हैं जो ज्यादा सुरक्षित है। यह ही सर्वोत्तम होता हैं। थ्री लेयर मास्क से हवा में मौजूद बड़े पॉल्यूशन के कण भी हमारे अंदर नहीं पहुंच पाते। कॉटन के कपड़े का मास्क लगाने में वैसे तो काफी आरामदायक होते हैं। लेकिन, ये मास्क तीन लेयर वाला होना चाहिए। इसे धोकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

सीधी सी बात यह है कि अब हमें फिर से एहतियात बरतना होगा। यह जो लग रहा था कि कोरोना अब इतिहास के पन्नों में दफन हो रहा है, वह सोच गलत ही साबित हुई। अब फिर से सोशल डिस्टेनसिंग करनी होगी और हाथों को धोते रहना होगा। अभी तक तो सरकार की तरफ से किसी तरह के निर्देश नहीं आएं हैं। पर  हमें पहले से ही अपने को तैयार कर लेना चाहिए। विलंब करने से कुछ मिलने वाला नहीं है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से भी बचना ही होगा।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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