गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने वाली मालवीय समिति ने आज नई दिल्ली में अपनी रिपोर्ट केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती को सौंप दी। रिपोर्ट स्वीकार करते हुए सुश्री भारती ने इसे एक ‘ऐतिहासिक क्षण’ करार दिया और कहा कि ‘मैं इसे स्वीकार करते हुए बहुत रोमांचित हूं।’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सभी संबंधित पक्षों से इस पर व्यापक विचार विमर्श के बाद इसे शीघ्र ही कानून का रूप देगी। सुश्री भारती ने अपने मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे इस रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करने के लिए तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें और यह समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट दे। मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस रिपोर्ट में गंगा की अविरलता एवं निर्मलता का ध्यान रखते हुए पर्याप्त प्रावधान किये गए हैं।
समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह एक बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी जिसे समिति के सदस्यों ने बखूबी निभाया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का भरपूर सहयोग मिला।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में गंगा की निर्मलता एवं अविरलता को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं। रिपोर्ट में गंगा के संसाधनों का उपयोग करने के बारे में जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तय करने के बारे में कई कड़े प्रावधानों का उल्लेख है। समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पास पूर्व में उपलब्ध कानूनी प्रारूपों का भी अध्ययन किया।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने प्रस्तावित गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में गत वर्ष जुलाई में इस समिति का गठन किया था। समिति के अन्य सदस्य थे– वी के भसीन, पूर्व सचिव विधायी विभाग भारत सरकार, प्रोफेसर ए के गोसाई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली और प्रोफेसर नयन शर्मा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक संदीप समिति के सदस्य सचिव थे।
79 वर्षीय गिरिधर मालवीय लंबे समय से गंगा संरक्षण अभियान से जुड़े रहे हैं और गंगा से उनका भावनात्मक लगाव है। वे गंगा महासभा के अध्यक्ष भी हैं। महासभा की स्थापना उनके पितामह और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और जाने माने स्वतत्रंता सेनानी महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने ही की थी।