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साभार….भारत का मुसलमान किस की ओर देखकर उछल रहा है ?

मुसलमान कहीं भी युद्ध की स्थिति में है ही नहीं। क्योंकि टर्की, ईरान और पाकिस्तान मात्र तीन इस्लामिक देशों के पास ही पाँच लाख से अधिक स्ट्रेंथ की सेना है। बाकी किसी के पास कोई खास ताकत नहीं है। सऊदी अरब में १९७० में विद्रोहियों ने मक्का पर कब्जा कर लिया था । तब सऊदी अरब चाहकर भी कुछ नहीं कर पाया। मक्का को मुक्त कराने के लिए सऊदी अरब को अमेरिका की सहायता लेनी पड़ी। युद्ध के खर्चे के बदले में अमेरिका ने सऊदी अरब का तेल तो ले ही लिया। साथ ही सुरक्षा का भार भी हाथ में ले लिया। सऊदी अरब समेत किसी भी इस्लामिक देश के पास कोई खास एयरफोर्स नहीं है। किसी भी इस्लामिक देश के पास बहुत ताकतवर नेवी नहीं है। सऊदी अरब का एयरपोर्ट भी अमेरिका ने बनाया है। और सुरक्षा का सारा मामला अमेरिका ने अपने पास रखा हुआ है। ऐसे में इस्लाम का केंद्र बिंदु सऊदी अरब ही जब पूरी तरह आजाद नहीं है तो फिर मुसलमान कहाँ से आजाद हो जाएगा, और फिर भारत का मुसलमान किस की ओर देखकर उछल रहा है ?

जब यूएई समेत कोई भी इस्लामिक देश अमेरिका के विरुद्ध एक कदम नहीं उठा सकता फिर भारत के मुसलमानों को अपने सोचने का तरीका बदलना होगा।

इराक तो सद्दाम हुसैन की हत्या के बाद पूरी तरह अमेरिका के कब्जे में है । वहाँ की सेना भी सरकार भी सब अमेरिका चलाता है । वहाँ का तेल भी अमेरिका का ही है । ईरान भी कुछ विशेष तीर मारने की स्थिति में नहीं है । एक-एक इस्लामिक देश अमेरिका या रूस के सीधे-सीधे गुलाम हैं । प्रथम विश्वयुद्ध हुआ तब कमजोर होकर बिखर रहे ओटोमैन एम्पायर पर कब्जे की नीयत से । तब का ओटोमैन एम्पायर का मतलब था इस्लामिक साम्राज्य । खलीफा की ताकत घटने से साम्राज्य ध्वस्त हो रहा था । उसके बिखर रहे टुकड़ों पर ऑस्ट्रिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रशिया, जापान सब कब्जा करना चाह रहे थे । और इसी टसल में प्रथम विश्व युद्ध हुआ । युद्ध का कारण झूठ गढ़कर यूरोप द्वारा दुनियाँ को बताया गया । ईस्लामिक देशों पर कब्जे की लड़ाई प्रथम विश्व युद्ध के बाद भी चलता रहा । इस्लामिक देशों में तेल निकल जाने के बाद लड़ाई ने दूसरा मोड़ ले लिया।

वहाँ के शासकों को अय्याशी कराके अमेरिका और यूरोप ने अपना कब्जा का खेल जारी रखा । यूरोप कालांतर में अपेक्षाकृत कमजोर हुआ तो उनका प्रभाव घटा । किन्तु अमेरिका का खेल आज तक जारी है । रूस भी प्रयत्नशील है प्रभाव जमाने के लिए किन्तु उसकी घटी हुई आर्थिक ताकत उसके प्रभावी होने में आड़े आने लगी है । किन्तु इस्लामिक देश आज भी इनके इशारे पर ही उछल कूद कर रहे हैं । आज भी उनकी स्थिति कहीं भी अपने दम पर जिहाद चला लेने की नहीं हैं।

नरेंद्र मोदी को अक्षरधाम मंदिर बनाने के लिए सऊदी अरब ने जमीन क्यों दिया? जबकि सऊदी अरब मक्का वाला देश है । हज का स्थान है वहाँ । इस्लाम का सेंटर है । क्योंकि उसको भारत एक भविष्य का साथी दिख रहा है जो अमेरिकन कब्जे से उसको बाहर निकलने में शायद भविष्य में मदद कर सकेगा । इस तरह सऊदी अरब का इस्लाम भारत को तारणहार के रूप में देखता है किंतु भारत का मुसलमान आज भी पाकिस्तान के लिए तालियाँ बजा रहा है।

पाकिस्तान की ओर देखकर भारत का मुसलमान यदि भटकता है आये दिन तो एक बार पाकिस्तान को नष्ट कर देना ही उचित होगा जिससे भारत के मुसलमानों को भटकने का अवसर न मिल पाए।
अवधेश प्रताप सिंह 

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