26 फरवरी 2023 को कांग्रेस का 85वां अधिवेशन रायपुर में आयोजित हुआ। इस अधिवेशन के अन्तर्गत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि कांग्रेस के सदृश विचारधारा रखने वाली राजनीतिक पार्टियों का एक संयुक्त मोर्चा बनाया जाए, जो मोदी जी का विकल्प बन सके। वर्ष 2003 में भी कांग्रेस पार्टी ने सोनिया गाँधी के नेतृत्व में आयोजित अपने शिमला अधिवेशन में इसी प्रकार का प्रयास किया था, तत्पश्चात वर्ष 2004 के चुनाव उसी संगठन के द्वारा से लड़े गए थे, जिसमें कांग्रेस को सत्तासुख प्राप्त हुआ था।
वर्ष 2004 की राजनीतिक परिस्थिति और वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में अत्यधिक अंतर आ चुका है। वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस के प्रतिद्वन्द्वी के रूप में मोदी जी नहीं थे, परन्तु आगामी वर्ष 2024 के चुनावी युद्ध में भाजपा के सिरमोर मोदी जी हैं। विपक्षी एकता किस स्तर तक सफल होगी, यह अभी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उनमें अधिकांश नेता, यथा – अरविन्द केजरीवाल, मायावती, औवेसी, ममता बैनर्जी, नवीन पटनायक, केसीआर आदि मोदी जी के पश्चात सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत हैं, क्योंकि ये नेतागण कभी भी विपक्षी एकता में सम्मिलित नहीं होंगे अपितु अपनी पार्टीं का अस्तित्व स्वयं ही निर्धारित करेंगे।
जहाँ तक जनता की विचारधारा का प्रश्न है उसे आज भी और आगामी समय में भी भाजपा से कोई विशेष मोह नहीं अपितु वह तो एकमात्र मोदी जी के व्यक्तित्व की दिवानी है। उनको मोदी भक्त अथवा देशभक्त भी कहा जा सकता है। आज देश की अधिकांश जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से प्रभावित है और उन्हें पुनः विजयश्री दिलाने हेतु आतुर सक्षम है।
वर्ष 2004 में भाजपा पार्टी शैशवकाल में थी, परन्तु वर्तमान में वह एक परिपक्व पार्टी के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। भाजपा, हिन्दुत्व और राष्ट्रीयता दोनों को एक साथ मिलाकर जनता के दिलों में प्रवेश करने में पूर्णतया सफल हो रही है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत की सम्भावना इसलिये भी अधिक है कि अभी तक उसके विरूद्ध जितने भी गठबंधन बने है, उन्होंने स्वयं को अवसरवादी प्रमाणित किया है, जो चुनाव में एक होकर बाद में स्वहित के कारण बिखर जाते हैं। वर्तमान में सम्पूर्ण विपक्ष जातिगत राजनीति के आधार पर खड़ा है और उसे विश्वास है कि वो लोगो की जातिगत भावनाओं का लाभ लेकर मोदी जी को हरा देगा, जोकि की उसका दुःस्वप्न है क्योंकि राष्ट्रीयता के सामने कोई भी कार्ड जनता के समक्ष चलना एक असम्भव कार्य है। फिर भी यदि विपक्षियों ने ये कार्ड चला भी दिया तो वे स्वयं को ही हानी पहुँचायेगा।
फरवरी माह में त्रिपुरा, मेघालय तथा नागालैंड राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए। जहाँ पूर्व में इन राज्यों में भाजपा की स्थिति नगण्य रहा करती थी, वहीं वर्तमान चुनाव परिणाम के आधार पर उसका सत्ता में आना, ये प्रमाणित करता है कि मोदी जी के करिश्मे से भाजपा वहाँ भी अपने पैर प्रसार चुकी है और विपक्षी अपना गणित ही लगाते रह गए। परिणाम सबको मालूम है कि आगामी वर्ष 2024 में कौन सत्तासीन होगा। जहाँ सभी विपक्षियों की सोच समाप्त हो जाती है, मोदी जी कि सोच वहाँ से प्रारम्भ होती है।
*योगेश मोहन*