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पाकिस्तान बदहाल: चिन्ता विश्व की

वर्तमान में हमारा पड़ौसी पाकिस्तान देश, राजनीतिक, आर्थिक, प्रशासनिक एवं कुछ पड़ौसी देशों के साथ पारस्परिक संबंधो की समस्या से ग्रस्त है। इन समस्याओं के प्रमुख उदाहरण इन रूपों में देखने को मिलते हैं कि पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिको की मूलभूत आवश्यकताओं यथा -खाने की वस्तुएँ आटा, दाल, सब्जी आदि को भी गरीब व मध्यम वर्ग तक उपलब्ध कराने में असमर्थ हो चुकी है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु जनता में लूटमार की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। पेट्रोल, डीजल, गैस के भाव आसमान छू रहे हैं, जिस कारण से आज जनता के लिए कार तो क्या स्कूटर पर चलना भी सम्भव नहीं हो पा रहा है। सत्तासीन राजनेता, देश की जनता के हित की उपेक्षा कर अपने राजनीतिक विरोधियों को समाप्त करने में, सरकारी शक्तियों का दुरूपयोग कर रहे हैं। जनता का रूझान पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर यथावत है, क्योंकि वो उनकी गिरफ्तारी का विरोध कर उन्हें पुनः सत्ता में वापिस लाना चाहती है और वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (नवाज शरीफ के बेटे) की लोकप्रियता जनता के मध्य पूर्णतया समाप्त हो चुकी है।
तालीबान संगठन, जिसको पाकिस्तान ने कभी अत्यधिक सहायता प्रदान की थी और उसी संगठन ने अफगानिस्तान के शासन को समाप्त करने में भी अहम भूमिका निभायी थी, आज जहाँ एक ओर तालिबान संगठन पाकिस्तान के लिए समस्याओं का केन्द्र बन चुका है और उसी के कारण सीमाओं पर प्रतिदिन दुर्घटनाएं घटित हो रहीं है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के ब्लौच और पखतून प्रांत भी अपने देश के विरूद्ध आवाज बुलन्द कर रहें हैं और उसे तालिबान सहयोग प्रदान कर रहा है।
विगत वर्षों में पाकिस्तान को सहायता प्रदान करने वाले देश, वर्तमान में उसको सहायता प्रदान करने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं एवं विश्व बैंक भी उनको सहायता प्रदान करने हेतु तत्पर नहीं है। ऐसी विकट परिस्थिति में पाकिस्तान के पास एक ही उपाय शेष है कि वह अपने कुछ क्षेत्रों को चीन देश को विक्रय करके उसके आधिपत्य को स्वीकार कर ले। परन्तु ऐसा करने से भी उसकी समस्या का पूर्ण समाधान प्रतीत नहीं होता है।
वर्तमान में विश्व और भारत देश की प्रमुख चिन्ता पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों का होना है क्योंकि जिस प्रकार वहाँ अराजकता व्याप्त होती जा रही है और वहाँ पर शासन और प्रशासन दोनो की पकड़ कमजोर होती जा रही है, उससे परमाणु अस्त्रों का अराजक तत्वों के द्वारा दुरूपयोग होने की सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता। यदि ये परमाणु अस्त्र अराजक तत्वों को उपलब्ध हो गए, तो इनका दुरूपयोग किस प्रकार, कहाँ पर और किस पर होगा, यह कहना मुश्किल है? यदि ऐसा होता है तो इससे भयंकर विनाश होने की पूर्ण सम्भावना है। ऐसी किसी भी प्रकार की दुर्घटना की रोकथाम हेतु भारत को प्रारम्भ में ही सक्रिय होना पड़ेगा। हम भारत का देशहित में यह दायित्व है कि परमाणु अस्त्रों को दुरूपयोग किसी भी रूप में न होने पाए।

*योगेश मोहन*

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