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राईट टू या फिर वोट टू  – प्रताप सिंह 

संविधान प्रदत्त अधिकारो का अता पता नहीं है और अब वर्तमान नेताओं ने वोटो के लिए नये नये अधिकार आविष्कार करने शुरू कर दिए है और इस देश की भावुक जनता बिना कुछ सोचे समझे इन कथित अधिकारो की लट्टू हो रही है ।
साढे चार साल नींद मे सोने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री चुनावो के नजदीक थोक मे जिले बनाते है और आम जनता को राइट टू हेल्थ का झुनझुना पकड़ा देते है ।बहुत सारे लोग इस बिल को क्रांतिकारी बता रहे है लेकिन अभी यह कागजो मे ही है जब धरातल पर लागू होगा तब पता चलेगा इस बिल ने आम आदमी का कितना भला किया है ।
राजस्थान मे चिरंजीवी योजना पहले ही चल रही है और केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना हमारे मुख्यमंत्री को पसंद नहीं आयी इसलिए लागू ही नहीं की ।जब आप केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओ को नकार रहे हो तो फिर राइट टू हेल्थ किसलिए ? दिजिये राइट टू हेल्थ, किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन सरकारी अस्पतालों के जरिए दिजिये । सरकारी अस्पतालो का कायाकल्प किजिये
कंही पुरा स्टाफ नहीं है कंही दवा तो कंही ऑपरेशन थियेटर नहीं है । आप प्राईवेट सेक्टर पर अपनी योजनाओं को क्यो थोप रहे हो
आजकल लोग शोसल मिडिया पर डाक्टरी पेशे को सेवाभावी बताने मे लगा है । बिल्कुल सेवाभावी है लेकिन इनको भी अपने बाल बच्चे पालने है
हम सब बिजनेस करे , झूठ की कमाई करे सब जायज लेकिन डाक्टर सिर्फ सेवा करे । ज़ोरदार बात है ।
सेवाभाव से तो लोग राजनीति में भी आते है और यह धंधा भी तो सेवाभावी है । आज देश के प्रधानमंत्री पर महिने के करोड़ों खर्च होते है और लाखो को पानी तो हमारे जननायक महोदय भी पिला रहे है । आप भी यह बिजनेस करना छोङिये ना । छोड़िये तनख्वाह भत्ते सुरक्षा, क्योंकि आप भी तो सेवा ही कर रहे हो । पार्षद से लेकर मुख्यमंत्री तक सबका मेहनताना । किस खुशी मे ? यह भी तो सेवा कर रहे है । नहीं सेवाभावी तो सिर्फ डाक्टर है ।
आम आदमी से आग्रह कर रहा हूँ, प्राईवेट अस्पताल डाक्टर हमारा ही परिवार है । ये लोग अगर अपने हितों की लड़ाई लड़ रहे है तो कोई समस्या होगी तभी इतने दिनों से अपना काम धंधा ठप्प करके बेठे है ।
इस देश में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का हक है अब सरकार सुने ना सुने यह उसका काम है ।
अभी सरकारो के पास वोटो के लिए और बहुत सारे राइट टू पङे है । आप भी खुश मत होईये, अगले राइट टू मे आपका नंबर भी आ सकता है । जल्द ही राइट टू फूड आने वाला है जिसमे व्यापारियों दुकानदारों को घाटा खाकर भी सस्ता राशन कपड़ा वोटरो को उपलब्ध करवाना पङ सकता है । जल्द ही राइट टू की बाढ आने वाली है ।
मनरेगा राइट टू वर्क है । कितना काम मिलता है ? कितने दिनो बाद मजदूरी मिलती है ? पता करना । राइट टू इन्फोर्मेशन? क्या हाल है ? छह आठ महीने तक सुचना नहीं मिलती ।
आप अपने नागरिकों को राइट टू हेल्थ दिजिये लेकिन प्राईवेट सेक्टर को मार कर नहीं । आप सरकारी व्यवस्था सुधार नहीं पाये तो इसका मतलब यह नहीं कि सरकारी योजनाओं मे प्राईवेट सेक्टर को घसीटा जाये । जो बिना पढे इस बिल को चमत्कारी बता रहे है , थोड़ा इंतजार करे ।लागू होने दे स्वास्थय सेवाओ का कचरा होते अपनी आंखों से देख लेना ।यह भारत है बाबू यंहा फ्री के लिए कोई कुछ भी कर सकता है ।

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