पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने खेल जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई है। आज भी सम्पूर्ण विश्व इमरान खान को उनकी पूर्व की छवि से ही याद करते है। वे 80 के दशक के एक लोकप्रिय क्रिकेटर रहे हैं, उनके असंख्य प्रशंसक ना केवल पाकिस्तान में अपितु भारत देश में भी हैं। उन्होंने खेल जगत में क्रिकेट को आकाश की ऊँचाईयों तक पहुँचाया है, इसलिए उनके प्रशंसक उनका दिल से सम्मान करते हैं।
आज सम्पूर्ण पाकिस्तान राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में नित्प्रतिदिन पतन की ओर अग्रसर हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में जनता त्राही-त्राही कर रही है। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय में भी वहाँ की जनता ने हिन्दुओं को लूटकर अपने घर भरे और समय का लाभ उठाया, परन्तु वर्तमान में उनके किए हुए कुकर्मो का फल उन्हें बहुतायत में मिल रहा है। यदि हम पाकिस्तान के अस्तित्व से लेकर अब तक की स्थिति का आंकलन करें, तो स्पष्ट इंगित होता है कि वर्ष 1947 से वर्ष 2021 तक पाकिस्तान के इतने दुर्दिन कभी नहीं आये, जितने वर्तमान में चल रहे हैं।
प्रारम्भ से ही पाकिस्तान के राजनेताओं के द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों को जेल भेजना, उनकी हत्या करवाना एक सामान्य प्रवृत्ति रही है। आज इमरान खान को अपदस्थ करने के पश्चात वहीं स्थिति पुनः दोहराई जा रही है, क्योंकि वहाँ के राजनेता अपने विद्रोहियों की लोकप्रियता से सदैव ही भयभीत रहते और किसी भी प्रकार अपने विद्रोहियों को समूल नष्ट करना चाहते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जोकि पूर्व समय में खेल जगत के एक बहादुर खिलाड़ी रहे हैं, वे स्वयं पर एक प्राणघातक हमला भी सहन कर चुके है और अल्लाह के करम से उस दुर्घटना से सकुशल बच भी गए। पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सबसे बड़े दुश्मन, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान हैं। शहबाज शरीफ का एकमात्र ध्येय अपनी राजनैतिक सत्ता को स्थायित्व देना तथा अपने प्रतिद्वंद्वी इमरान खान को किसी भी प्रकार से विवादों में फंसाकर आगामी चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करना है अथवा उनके जीवन की इहलीला को समाप्त करना है।
पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि जनता अपने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान के साथ दिल से जुड़ी है। इसका साक्ष्य यह है कि जब-जब पुलिस ने उनको गिरफ्तार करने का प्रयास किया, तब-तब जनता की भीड़ आक्रोश के साथ उनके समर्थन में उपस्थित हो गई, परिणामस्वरूप पुलिस और प्रशासन उनको गिरफ्तार नहीं कर पाये। जनता, अपेक्षा से भी अधिक समर्थन देते हुए, उनकी भाषण सभा में एकत्र हो रही है। राजनैतिक षडयंत्रों से त्रस्त होने तथा जनता के आपार समर्थन प्राप्त होने के पश्चात भी, वे अपनी भाषण सभा में ऐसे भड़काऊ शब्दों का प्रयोग नहीं कर रहें जोकि शासन के विरूद्ध हों। इसी कारण अभी तक इस पूरे आन्दोलन में कोई हिंसक घटना नहीं हो पाई है। आज पाकिस्तान की विपरीत परिस्थितियों में, जनता उनमें एक प्रगतिशील नेता, शांति दूत, पाकिस्तान-भारत मैत्री का सेतू सदृश छवि दिखाई दे रही है, जो पाकिस्तान को स्थिरता प्रदान कर सकें। जनता उनसे यह अपेक्षा करती है कि वे राजनैतिक सत्ता में पुनः लौट कर पाकिस्तान को एक शांतिप्रिय देश के रूप स्थापित करें।
योगेश मोहन