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जेंडर फ्लूडिटी का मुद्दा

जेंडर फ्लूडिटी का जो मुद्दा इंजस्टिस चंद्रमूढ़ ने शुरू किया है उसको हम और आप सिर्फ उसका मजाक बना कर हवा में नहीं उड़ा पाएंगे. यह वह पागलपन है जिसने पश्चिमी समाज को शिकंजे में कस लिया है, और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है.

यहां अभी जेंडर पॉलिटिक्स उस स्तर पर पहुंच गई है जहां उसको कोई कुछ नहीं कह सकता. जो लोग यह महसूस कर रहे हैं कि यह बकवास बढ़ती जा रही है, उनको भी हिम्मत नहीं है कि इसके विरोध में कुछ कह सकें. ऑफिस में अपना प्रिफर्ड प्रोनाउन बताना कूल और फैशनेबल हो गया है. आपको खुद बताना है कि आप अपने आप को He/Him कहलाना चाहते हैं या She/Her… और सिर्फ इतना ही नहीं, Them जैसा जेंडर न्यूट्रल प्रोनाउन.. जो पहले बहुवचन के लिए इस्तेमाल होता था वह अब उन सिरफिरों के लिए इस्तेमाल होता है जो अपने को इंडिटरमिनेट जेंडर का बताना चाहते हैं. उसके अलावा Zer, Zem, xym, Xir वगैरह वगैरह सत्तर अलग अलग किस्म के प्रोनाउन्स में से अपनी पसंद का प्रोनाउन चुनने का ऑप्शन है. फैशनेबल लोग अपने नेम प्लेट पर अपना प्रोनाउन लिखते हैं.. और इसके आगे, आप अगर किसी को उसके बताए हुए प्रोनाउन से अलग प्रोनाउन से संबोधित करते हैं तो आप प्रॉब्लम में फंस सकते हैं.

अभी अभी कैनेडा में एक कानून पास हुआ है जब किसी को गलत प्रोनाउन से बुलाना क्राइम समझा जायेगा. अमेरिका में वॉशिंगटन स्टेट में एक कानून लाने की तैयारी हो रही है कि अगर पेरेंट्स अपने बच्चे को सेक्स चेंज ऑपरेशन कराने की अनुमति नहीं देते हैं तो बच्चे को पेरेंट्स से छीन लिया जायेगा..

भारत में आपको इसका फर्क आपको अभी नहीं दिखाई देगा. सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है वह डॉग व्हिसल है. इसको सबसे पहले वे नोटिस करेंगे जो कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी कर रहे हैं…वहां पहले अपना प्रोनाउन बताना फैशन हो जायेगा. लोग फ्लैग वेविंग करने के लिए, अपने आपको वोक क्लब में बताने के लिए अपने नाम के आगे प्रोनाउन लगाने लगेंगे. फिर जो लोग अपनी जेंडर आइडेंटिटी को बदल कर (ट्रांस) बताएंगे उन्हें कॉरपोरेट हायरार्की में तरक्की मिलेगी. फिर यह स्कूलों में बच्चों को बताया जाएगा… और आपके बच्चे घर आकर बोलेंगे… डैडी! आपको कुछ नहीं पता…

और फिर यह हाई लेवल की बकवास उन युवाओं और किशोरों को पकड़ेगी जो अपनी लो सेल्फ एस्टीम से जूझ रहे हैं… वे अपने पीयर ग्रुप में अपने आप को स्पेशल बताने के लिए अपनी सतरंगी आइडेंटिटी लेकर आएंगे. हमारे जेनरेशन में जो सेल्फ एस्टीम स्टेटमेंट पीछे गर्दन पर बाल बढ़ा कर और चौबीस इंच मोहरी का बेलबॉटम पहन कर दिया जाता था वह अपना जेंडर बदल कर दिया जाने लगेगा…

और तब यह हमें और आपको, हमारे पोते पोतियों को प्रभावित करना शुरू करेगा. और इसके साथ आयेगी मानसिक रोगों की सूनामी. जानने की बात यह है… इस वर्ग में मानसिक रोगों का, डिप्रेशन और सुसाइड का प्रतिशत असाधारण रूप से अधिक है.. कुछ स्टडीज में यह लगभग 40% तक पाया गया है.

इंजस्टिस चंद्रमूढ़ ने हमारी आने वाली पीढ़ियों की हत्या की सुपाड़ी ली है. उसे मजाक में नहीं उड़ाया जा सकता. अगर इस व्यक्ति को अपना कार्यकाल पूरा करने दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट की असाधारण शक्तियों के प्रयोग से यह पूरे समाज को विखंडन के गर्त में धकेलने की क्षमता रखता है. This man is an unhinged nuisance!
राजीव मिश्रा

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