प्रत्येक वर्ष 15 मई को इंटरनेशनल फैमिली डे यानी कि ‘विश्व परिवार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देखा जाए तो यह संपूर्ण धरती ही एक परिवार है और दुनिया के हरेक देश में परिवार है। वास्तव में, परिवार के साथ हमें बड़ों ,अपने बुजुर्गों की छांव मिलती है, प्रेम , सहानुभूति परवरिश, देखभाल, परम्परा, संस्कृति से जुड़ाव के साथ-साथ अकेलेपन से दूर रखने में अहम भूमिका परिवार ही निभाता है।संस्कृत में ‘वसुधैव कुटुम्बकम'( संपूर्ण धरती ही परिवार है) की कल्पना यूं ही नहीं की गई है। यहाँ हम यह बात कह सकते हैं कि
परिवार का प्राथमिक कार्य बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना है, जैसे-भोजन, आश्रय, शिक्षा, स्वास्थ्य और भावनात्मक समर्थन आदि लेकिन एक परिवार की भूमिका केवल इन कार्यों तक सीमित नहीं है, वास्तव में, यह नागरिकता का पहला स्कूल भी है। परिवार से ही समाज बनता है और समाज से ही देश। परिवार है तो सबकुछ है, परिवार नहीं तो कुछ भी नहीं। कुल मिलाकर हम यह बात कह सकते हैं कि परिवार का अपने आप में बहुत ही महत्व है। हम यह बात कह सकते हैं कि एक इंसान का परिवार उसके लिए संसार होता है। हम अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्त कर पाते हैं, वह परिवार के सहयोग और समर्थन स्वरूप ही प्राप्त कर पाते हैं। हमारे पालन-पोषण को हमारा परिवार अपनी पहली प्राथमिकता समझता है और जब तक हम सक्षम नहीं हो जाते हमारी सभी जरूरतों की पूर्ति निःस्वार्थ भाव से करता है। कोई भी व्यक्ति एक परिवार में ही रहना पसंद करता है, समाज में रहना पसंद करता है। महान दार्शनिक विचारक अरस्तू का यह मानना था कि मनुष्य एक सामाजिक और राजनीतिक प्राणी है, अत: वह एकाकी जीवन व्यतीत नहीं कर सकता है। मनुष्य भी अन्य जीवों की भाँति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है लेकिन अन्य जीवों की तुलना में मनुष्य अधिक सामाजिक होता है। वास्तव में परिवार समाज की एक अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई है। एक परिवार में माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे, दादा-दादी, मामा-मामी,चाचा-चाची, ताऊ ,ताया,फूंफा, बुआ, भाई-बहन, ननद,भाभी(भौजाई) और न जाने कितने प्रकार के रिश्ते आपस में जुड़े होते हैं। दुनिया में कहीं भी नजर दौड़ा लिजिए हर शख्स के लिए परिवार एक अति अहम व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा परिवार हर व्यक्ति के जीवन का एक जरूरी हिस्सा होता है। परिवार की इसी भूमिका का महत्व समझने, इसे हर्षोल्लास से मनाने के लिए हर साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाया जाता है। वास्तव में, एक सशक्त देश के निर्माण में परिवार एक बहुत ही अभूतपूर्व संस्था है, जो व्यक्ति के विकास के साथ ही समाज के विकास में योगदान देता है। भारत जैसे देश में रिश्ते-परिवार को बहुत ही सम्मान दिया जाता है। ऐसे में लोग अपने परिवार के साथ यह दिन यादगार तरीके से मनाते हैं। बहरहाल, कहना गलत नहीं होगा कि परिवार सामाजिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है, जिसका व्यक्ति के जीवन में प्राथमिक महत्व है। परिवार सामाजिक संगठन की एक सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक निर्माणक इकाई है। परिवार के द्वारा ही सामाजिक संबंधों का निर्माण होता है जो कि समाजशास्त्र की विषय-वस्तु है। एल्मर अपनी पुस्तक ‘सोशियोलॉजी ऑफ फैमिली’ में यह लिखते हैं कि वास्तव में, ‘फैमिली’ शब्द का उद्गम लैटिन शब्द ‘फैमुलस’ से हुआ है जो एक ऐसे समूह के लिए प्रयुक्त हुआ है जिसमें माता-पिता, बच्चे, नौकर व दास हों ।’ वास्तव में, परिवार की उपयोगिता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को विश्व स्तर पर मनाने का फैसला लिया गया था। जानकारी देना चाहूंगा कि पहली बार विश्व परिवार दिवस वर्ष 1994 में मनाया गया था। हालांकि इस दिन की नींव वर्ष 1989 में ही रख दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जीवन में परिवार के महत्व को बताने के उद्देश्य से 9 दिसंबर 1989 के एक प्रस्ताव में हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी। बाद में साल 1993 में यूएन जनरल असेंबली ने एक संकल्प में परिवार दिवस के लिए 15 मई की तारीख तय कर दी थी। इसके बाद से हर साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाया जाने लगा। आखिर परिवार दिवस मनाने के पीछे कारण हैं ? ये क्यों मनाया जाता है ? तो जानकारी देना चाहूंगा कि विश्व परिवार दिवस को मनाने की शुरुआत करने के पीछे की वजह दुनियाभर के लोगों को परिवार से जोड़े रखना और परिवार से जुड़े मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाना था। हर साल इस दिन को मनाकर युवाओं को परिवार की अहमियत के बारे में बताया जाता है। यहाँ यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि साल 2021 में विश्व परिवार दिवस की थीम ‘परिवार और नई प्रौद्योगिकियां’ थी। वहीं साल 2022 के लिए संयुक्त राष्ट्र ने विश्व परिवार दिवस की थीम ‘परिवार और शहरीकरण’ रखी है। वास्तव में, परिवार का महत्व क्या होता है, यह बात हमें कोरोना काल में समझ आई। कोरोना महामारी के समय परिवार के लोग एक दूसरे के अधिक करीब आए। कोरोना काल में हम सभी को एक दूसरे संग अधिक वक्त बिताने, एक दूसरे की भावनाओं को समझने का मौका शायद अधिक मिला और हम परिवार का महत्व इस महामारी के दौरान अच्छी तरह से समझ पाए। वास्तव में परिवार दिवस हमें आपसी वैरभाव, ईर्ष्या, भेदभाव को भुलाकर आपसी तालमेल, सहयोग, भाईचारे, अपनत्व की भावना के साथ आपस में मिल जुल कर रहने की प्रेरणा व प्रोत्साहन प्रदान करता है। हमारा परिवार या यूं कहें कि हमारे परिवार के पारिवारिक सदस्य हमें आपस में भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं, यह परिवार ही होता है जिसमें हम एक दूसरे का सहारा बनते हैं, आपसी तालमेल, मेल-मिलाप से अच्छा जीवन जीते हैं, खुश रहते हैं, हमारे दुखों, परेशानियों, समस्याओं को हम आपस में बांट सकते हैं। यदि परिवार नहीं होगा तो हम अपने दुखड़े,परेशानियां किसे कहेंगे ,किसे बतायेंगे। ऐसी स्थितियों में हमें घुटन होगी। परिवार हर व्यक्ति का भावनात्मक सहारा होता है। परिवार हमारे अकेलेपन को दूर करता है। आज संपूर्ण विश्व बारूद के ढ़ेर पर खड़ा हुआ है।रूस-यूक्रेन में आपस में युद्ध चल रहा है, एक लंबा समय हो चला है। पाकिस्तान के हालात भी इन दिनों ठीक नहीं हैं। हमारा पड़ौसी श्रीलंका भी कुछ ऐसी ही स्थितियों से गुजर रहा है। विश्व के अनेक देशों में आज गृह युद्ध की स्थितियां हैं, अशांति है, हिंसा है, अत्याचार है। ऐसे में विश्व में शांति की स्थापना के लिए परिवार का निर्माण सबसे महत्वपूर्ण है। बढ़ती हिंसा, अत्याचार परिवार के निर्माण से ही कम हो सकती है, क्यों कि परिवार जोड़ता है, तोड़ने की भावना इसमें निहित नहीं होती। एक परिवार से एक अच्छा समाज का निर्माण होता है और एक अच्छे समाज से एक अच्छे व सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। परिवार किसी भी व्यक्ति के जीवन में खास स्थान रखता है, खुशी हो ग़म, यह परिवार ही होता है जो हरदम हमारे साथ खड़ा रहता है। परिवार एकजुट होता है तभी समाज एकजुट होता है। आज के समय में लोग स्वतंत्र और एकांत जीवनशैली की ओर लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। भारत में पहले संयुक्त परिवार अधिक थे,आजकल एकल परिवारों का चलन हो चला है। वास्तव में, परिवार के बिना कोई भी व्यक्ति आज अधूरा ही है। जीवन में कोई व्यक्ति कितना भी सफल, शिक्षित बन जाए, लेकिन अगर उसका परिवार नहीं है, तो वह अकेला है और अकेले रहना इतना आसान नहीं है। आदमी परिवार(समाज) में ही खुश रह सकता है। लेकिन आज परिवार लगातार टूट रहे हैं, यह घोर चिंता व चिंतन का विषय है। 15 मई का दिन हमें हमारे परिवार के प्रति मन में जो प्रेम, निष्ठा व सद्भावना है उसे शब्दों में ज़ाहिर करने का एक खास अवसर प्रदान करता है। आज के भागमभाग के इस समय में सभी लोग अपने कार्यों में इतने व्यस्त हैं कि वे अपने परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं, जो कि सबसे महत्वपूर्ण चीज है। इस स्थिति को देखते हुए ही इस दिवस की स्थापना की गई है, ताकि इस दिवस के माध्यम से परिवार के महत्व को अधिक बढ़ावा दिया जा सके।अंत में यही कहना चाहूंगा कि परिवार व्यक्ति को मजबूत रूप से भावनात्मक सहारा प्रदान करता है। जीवन में सब कुछ प्राप्त कर पाने की काबिलियत हमें, देखा जाए तो कहीं न कहीं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हमारे परिवार द्वारा ही प्रदान की जाती है। परिवार के सही मार्ग दर्शन से व्यक्ति सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त करता है इसके विपरीत गलत मार्ग दर्शन में व्यक्ति अपने पथ से भटक जाता है। परिवार हमारे अंदर सकारात्मकता का निर्माण करता है। निष्कर्ष के तौर पर हम यह बात कह सकते हैं कि परिवार के अभाव में हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, अतः हमें परिवार के महत्व को आवश्यक रूप से समझना चाहिए।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,
स्वतंत्र लेखक व युवा साहित्यकार
पटियाला, पंजाब