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पाकिस्तान में हैं आतंकवाद की असली जड़ें !

आतंकवाद की समस्या आज भारत की ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की एक बड़ी समस्या बन गया है। आज के समय में दुनिया में अनेक आतंकी संगठन मौजूद है जिन्होंने अपनी दहशत से पूरी दुनिया को हिला कर रखा हुआ है और शायद यही कारण भी है कि आतंकवाद की वजह से विश्व के कई देश आज दहशत व खौफ में हैं। विभिन्न खतरनाक आतंकी संगठन दुनिया में खौफ पैदा करने के लिए समय समय पर हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते रहे हैं। आईएसआई एस यानी कि इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया, अलकायदा, तालिबानी आतंकी संगठन, नाइजीरिया का इस्लामी आतंकी संगठन बोको हराम, लश्कर ए तैयबा, अल-शाबान, तहरीक ए तालिबान(पाकिस्तान, अफगानिस्तान सीमा के बीच), कोलंबिया का मार्क्सवादी -लेनिनवादी जो कि ड्रग्स तस्करी व आतंकी घटनाओं के लिए बदनाम है, दक्षिण पूर्वी एशियाई देश फिलीपींस में अबू सर्राफ जो कि अपहरण व फिरौती के लिए बदनाम है तथा दक्षिणी पूर्वी एशिया में ही जेमाह इस्लामिया जो कि अलकायदा का ही एक भाग माना जाता है, दुनिया के खतरनाक आतंकी संगठन माने जाते हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि अफगानिस्तान स्थित खामा प्रेस के अनुसार ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स (जीटीआई) ने कुछ समय पहले यह जानकारी दी थी कि अफगानिस्तान में हमलों में 75 फीसदी और मौतों में 58 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, बावजूद इसके भी यह देश लगातार चौथे साल आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित देशों की लिस्ट में टॉप पर बना हुआ है।यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (ग्लोबल टेरेरिज्म इंडेक्स यानी कि जीटीआई ) में भारत 13वें स्थान पर है। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान वर्ष 2022 में दुनिया भर में आतंकवाद से संबंधित मौतों के संदर्भ में दूसरे स्थान पर रहा, जहाँ 643 मौतें आतंकवाद के कारण हुईं। इसके अलावा दक्षिण एशिया सबसे खराब औसत जीटीआई स्कोर वाला क्षेत्र बना हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण एशिया में वर्ष 2022 में आतंकवाद से 1,354 मौतें दर्ज की गईं। इस्लामिक स्टेट (आईएस) और उसके सहयोगी लगातार आठवें वर्ष विश्व स्तर पर सबसे घातक आतंकवादी समूह हैं, वर्ष 2022 में किसी भी समूह की तुलना में सबसे अधिक हमले और मौतें दर्ज की गईं। पाकिस्तान आज विश्व का सबसे ख़तरनाक देश बना हुआ है। तमाम दावों के बावजूद भी पाकिस्तान आतंकवाद से निपट पाने में सफल नहीं हो रहा है। यह भी जानकारी यहां पाठकों को देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले ही अमेरिका के ब्यूरो ऑफ काउंटर टेरेरिज्म की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान की विफलता के कारण आतंकवादी घटनाएं बढ़ने का दावा किया गया है। जानकारी देना चाहूंगा कि ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स वर्ष’ 2018 के मुताबिक दुनिया के 63 से ज्यादा देश ऐसे हैं, जहां साल में कोई न कोई आतंकी वारदात होती ही रहती है। आज इराक, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सीरिया, यमन, भारत, सोमालिया ( अफ्रीकी देश), लीबिया, थाइलैंड ऐसे देश हैं जहां कोई न कोई आतंकी घटनाएं होती ही रहती हैं।हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान पर तो समय समय पर आतंक के वित्तपोषण और आतंकवादियों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं।इस कारण लगी तमाम पाबंदियों के बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवाद पर प्रभावी नियंत्रण की बात कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कही थी, लेकिन पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं पर कोई भी अंकुश नहीं लग पा रहा है और आतंकवाद की दृष्टि से यह खतरनाक देशों में से एक माना जाने लगा है। दरअसल, पाकिस्तान आतंकवाद से निपटने के नाम पर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का काम करता है। यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि कश्मीर घाटी में आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की तरफ से प्रश्रय मिलता रहा है। भारत में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्य, मध्य भारत के कुछ इलाके आतंकवाद प्रभावित हैं। भारत में लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन, आईएसआईएस, अल कायदा, जमात उल मुजाहिदीन, जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे आतंकी संगठन सक्रिय होने का दावा करते हुए एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2021 में ऐसा देखा गया कि आतंकी संगठनों ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है। आतंकी अब आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। साथ ही आतंकियों के हमले के तरीके बदले हैं। अब वे ड्रोन और आईईडी आदि से विस्फोट कर रहे हैं। सीमाओं पर ड्रोन को गिराने की घटनाएं तो हम आए दिन मीडिया की सुर्खियों में पढ़ते ही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में जम्मू-कश्मीर में 153 आतंकी हमले हुए, जिनमें सुरक्षा बलों के 45 जवान बलिदान हुए। 36 आम नागरिकों और 193 आतंकियों समेत कुल 274 लोगों की मौत हुई, लेकिन बावजूद इसके भारत आतंकवाद के खिलाफ शानदार काम कर रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले ही एक अमेरिकी रिपोर्ट में आतंकवाद से निपटने के भारतीय प्रयासों की प्रशंसा की गई है। अमेरिका के ब्यूरो ऑफ काउंटर टेरेरिज्म की रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेरेरिज्म 2021: भारत’ में कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत ने शानदार काम किया है। रिपोर्ट में आतंकवादी संगठनों को पहचानने, उन्हें तबाह करने और आतंकवाद के खतरे को कम करने की दिशा में जोरदार काम करने के लिए भारत की तारीफ की गई है।एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादियों की समाप्ति के लिए पाकिस्तानी प्रयासों की रफ्तार बेहद धीमी है। इस कारण यहां न सिर्फ वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं, 2021 में आतंकी हमलों में मृतकों व घायलों की संख्या भी बढ़ी है।आतंकवाद पर केंद्रित इस अमेरिकी रिपोर्ट में पाकिस्तान की जमीन पर पनप रहे आतंकी संगठनों का सीधे तौर पर नाम लिखा गया है। पाकिस्तान में प्रमुख रूप से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और आईएसआईएस-के जैसे आतंकी संगठनों के सक्रिय होने की बात कही गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में अलगाववादी आतंकवादी संगठनों ने ज्यादातर बलूचिस्तान और सिंध प्रांत को निशाना बनाया। यहां आतंकवादियों ने आईईडी, वीबीआईईडी, आत्मघाती बम विस्फोट और लक्षित हत्याओं जैसे हथकंडे अपनाए। यदि हम यहां भारत की बात करें तो हमारे यहां कश्मीर में आतंकवाद की समस्या काफी पुरानी है। हालांकि  हाल के वर्षों में धारा-370 को हटाने के बाद केंद्र सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं और उनका काफी- कुछ असर भी देखने को मिल रहा है लेकिन अभी भी आतंक फैलाने की घटनाएं होती रहती हैं। आतंकवाद व आतंकी आज हमारे सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। कुछ समय पहले सेना ने यह  रहस्योद्घाटन किया था कि घाटी में सक्रिय आतंकी संगठन संचार के पारंपरिक संसाधनों के बजाय महिलाओं, लड़कियों और किशोरों के जरिए सूचनाएं पहुंचा रहे हैं। सेना ने इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति माना है। इसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मिलीभगत के प्रमाण जुटाए हैं। आज आतंकवाद से जुड़ी प्रमुख चुनौती यह है कि आज दुनिया के कुछ देशों द्वारा चोरी छिपे आतंकवाद का लगातार वित्त पोषण किया जा रहा है।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएम एफ) और विश्व बैंक के अनुसार, अपराधियों द्वारा एक वर्ष में चार ट्रिलियन डॉलर तक का धनशोधन करने का अनुमान है। कौन वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है,किन विधियों से और कहां धन का भुगतान किया जा रहा है, यह सब गोपनीय रखा गया है। अतः टेरर फंडिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की जरूरत है। आज आतंकवाद को परिभाषित करने के लिये कोई सर्वसम्मत मानदंड नहीं होने से आतंकवाद को कहीं न कहीं फायदा होता है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज भारत सरकार तो आतंकवाद पर शानदार तरीके से नकेल कसने में तो लगी ही है, पुलिस, सेना, स्थानीय नागरिक भी इस दिशा में शानदार काम कर रहे हैं, यह बहुत ही काबिलेतारिफ है। यदि हम भारतीय सेना की यहां बात करें तो भारतीय सेना आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यों को अंजाम दे रही है। इनमें स्कूल चलाने, चिकित्सकीय शिविर लगाने और युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार दिलाने, आतंकवाद के प्रति जागरूकता जैसे अनेक काम किये जा रहे हैं, जिससे युवाओं को आतंकवाद की ओर जाने से रोका जा सके। अंत में यही कहूंगा कि आतंकवाद भारत समेत विश्व के  अनेक देशों के लिए आज भी एक नासूर व काली छायां है, इससे निपटने के लिए हम सभी को सरकार, प्रशासन, सेना के साथ आगे आना होगा, तभी हम भारत को अपने सपनों का भारत बना पाने में कामयाब हो पाएंगे।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार।

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