जब आप किसी की ओर एक उँगली दिखाते ते है, तो तीन उँगलियाँ आपकी और होती है यह उक्ति मौजूदा हालात में भाजपा पर काफी सटीक बैठती है। विपक्षी नेताओं पर सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई किसी से छिपी नहीं है। भ्रष्टाचार में संलिप्त कई नेता भाजपा में शामिल हुए और उनसे जुड़े मामलों पर ताला लग गया। अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि भाजपा उस वाशिंग मशीन की तरह है, उसमें जो भी जाता है उसके सारे दाग धुल जाते हैं। जिन पर घोटाले के कई बड़े आरोप हैं और उसके बावजूद जांच एजेंसियों की ओर से उन्हें क्लीन चिट मिली हुई है। महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार समेत कई नेताओं के शामिल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है। भाजपा ने भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे अजित पवार और दूसरे विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करवा कर पक्षपात करने और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करने का मौका विपक्षी दलों को दे दिया।
विपक्षी नेताओं द्वारा जिन पर कल तक भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे थे, उन्हें सरकार में मंत्री बना लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले ही एनसीपी को नेचुरली करप्ट पार्टी कहा था, अब वही दल महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में सत्ता में भागीदारी कर रहा है। महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री बनाए अजित पवार को पीएम मोदी ने कॉआपरेटिव घोटाले का आरोपी बताया था। इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि हमारी सरकार आने पर अजित दादा चक्की पीसिंग एंड पीसिंग। अब वही पवार उपमुख्यमंत्री का पद पाकर फडणवीस के बराबर आ गए।
पाला बदल कर आए छगन भुजबल महाराष्ट्र सदन घोटाले में जेल तक जा चुके हैं। इसी तरह हसन मुशरिफ और उनके तीन बेटों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। मंत्री बनी अदिति तटकरे के पिता के खिलाफ एसीबी ने सिंचाई घोटाले में चार्जशीट फाइल कर रखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची के मुंबई में एक प्लॉट पर बिल्डिंग बनवाई। ऐसे आरोप लगे कि इस बिल्डिंग में प्रफुल्ल पटेल का भी एक फ्लैट है। इस साल फरवरी में बिल्डिंग के चार फ्लोर को अटैच किया था। इसके अलावा एविएशन स्कैम में भी प्रफुल्ल पटेल जांच के दायरे में हैं।
ऐसा लगने लगा है जो भाजपा का दामन थाम लेता है, उसका दामन पाक साफ हो जाता है। विगत वर्षों में भाजपा में शामिल होने के बाद शुभेन्दु अधिकारी, हिमंत बिस्वा सरमा, मुकुल रॉय, नारायण राणे जैसे कई भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं के दाग धुल गए हैं। 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार लगातार विपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। छापेमारी और समन खासकर तब तेज हो जाते हैं जब चुनाव नजदीक हो। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई नहीं है क्योंकि अगर यह लड़ाई होती तो यह भ्रष्टाचार के आरोपी भाजपा नेताओं को नहीं बख्शती। मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद राफेल सौदे की जांच कराने से इनकार करने, या जिस तरीके से उसने पांच साल के लिए लोकपाल नियुक्त करने में अपने पैर खींच लिए थे, उसके बिल्कुल विपरीत है।
भाजपा आती है, तो भ्रष्टाचार भागता है, जैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बाद भ्रष्टाचार फिर से राजनीति के केंद्र में आ गया है। आजादी के बाद से ही भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा है और सभी पार्टियां इसे खत्म करने का दावा करती रही हैं। भाजपा भी इससे अछूती नहीं है। पिछले दिनों सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ 14 दलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो खुद प्रधानमंत्री मोदी इसके बचाव में उतर आए। हालांकि कोर्ट से विपक्षी दलों को निराशा हाथ लगी। ममता बनर्जी ने ही कहा कि भाजपा वाशिंग मशीन है और दागियों को धुलकर सफेद कर देती है। ममता ने इसका लाइव डेमो भी दिखाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा। खडग़े ने कहा कि विपक्ष के 95 प्रतिशत नेताओं पर ईडी और सीबीआई का केस दर्ज हुआ है, लेकिन जो नेता भाजपा में शामिल हो जाते हैं उसका दाग धो कर साफ कर दिया जाता है।
ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। पीएम मोदी को लिखे पत्र में विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार विपक्ष के खिलाफ ईडी औऱ सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है, साथ ही भाजपा नेताओं के खिलाफ जांच धीमी गति से चलती है। विपक्ष ने केंद्रीय एजेंसियों की खराब होती छवि पर गहरी चिंता व्यक्त की। चाल, चरित्र और चेहरे के बदलाव का दावा करने वाली भाजपा ने महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के आरोपी एनसीपी के विधायकों को सरकार में शामिल करा कर कथनी और करनी के अंतर को मिटा दिया है।
अब सवाल यही उठता है कि भाजपा किस मुंह से विपक्ष पर भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप लगाते हुए देश के लोगों को आगाह कर पाएगी। भाजपा कैसे कह पाएगी कि विपक्ष के गठबंधन की कवायद सत्ता पाने की आड़ में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए है।