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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा


फ्रांस भारत साझेदारी ऐतिहासिक दौर में
अवधेश कुमार
फ्रांस की राजधानी पेरिस में राष्ट्रीय दिवस समारोह बस्ताइल दिवस परेड में फ्रांसीसी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के तीनों अंगों के 241 सदस्यीय मार्चिंग दस्ते को परेड करते, सैनिक बैंड द्वारा सारे जहां से अच्छा धुन बजाते सुन तथा राफेल विमानों का परेड के दौरान फ्लाईपास्ट का हिस्सा बनता देख समूचे भारत ने गर्व का अनुभव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। मैक्रो ने ट्वीट में लिखा विश्व इतिहास में व भविष्य में निर्णायक भूमिका निभाने वाला एक रणनीतिक साझेदार एक मित्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया कि अपने सदियों पुराने लोकाचार से प्रेरित भारत विश्व को शांतिपूर्ण समृद्धि और टिकाऊ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक मजबूत और भरोसेमंद भागीदार होने के लिए 1.4 अरब भारतीय हमेशा फ्रांस के आभारी रहेंगे। सन् 2009 में भी फ्रांस ने नेशनल डे परेड में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया था। फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस या बस्ताइल दिवस इसलिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यह 1789 की प्रसिद्ध फ्रांसीसी क्रांति के दौरान बस्ताइल जेल पर हमला कर कैदियों के मुक्त कराने का दिवस है। वहीं से फ्रांस में परिवर्तन की शुरुआत हो गई। आधुनिक विश्व में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का नारा फ्रांस की क्रांति से ही निकला माना जाता है। फ्रांस ने अपना सबसे बड़ा नागरिक और सैन्य सम्मान द ग्रैंड क्लास ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर प्रधानमंत्री मोदी को दिया। इसके पूर्व यह नेल्सन मंडेला, जर्मनी के पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल और संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव बुतरस घाली को दिया गया। राष्ट्रपति मैक्रो ने लूव्र संग्रहालय में मोदी के सम्मान में दावत दिया। 70 वर्ष में पहली बार फ्रांस ने किसी विदेशी नेता के सम्मान में लुव्र के बैंकट हॉल को खोला। 1953 में यहां ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के सम्मान में भोज दिया गया था। राष्ट्रपति मैक्रो ने प्रधानमंत्री को एक उपहार दिया जिसमें 1916 में ली गई तस्वीर की प्रति है। इसमें एक व्यक्ति इंडियन एक्सपीडिशनरी फोर्स आईएएफ अधिकारी को फूल भेंट कर रहा है। यह तस्वीर उन भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने 1914– 1918 में फ्रांस के साथ यूरोप में लड़ाई लड़ी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए बता दिया था कि जिस रेजीमेंट के जवानों ने तब फ्रांस की रक्षा के लिए संघर्ष किया , अपना बलिदान दिया उसके पंजाब रेजीमेंट के जवान भी इस परेड में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इसके बाद यह बताने की आवश्यकता नहीं कि मैक्रो प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी और भारत को किस तरह का सम्मान दिया और वह किस स्तर का संबंध और साझेदारी मानते हैं।
मोदी और मैक्रो की द्विपक्षीय वार्ता की अनोखी बात यह रही कि दोनों नेताओं ने परंपरा से अलग बैठक से पहले प्रेस के सामने बयान जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम रक्षा क्षेत्र में भारत में नई प्रौद्योगिकी के सह विकास पर बात कर रहे हैं। वास्तव में रक्षा सहयोग दोनों देशों के बीच संबंधों का एक आधारस्तंभ है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ पेरिस स्थित भारतीय दूतावास में तकनीकी कार्यालय स्थापित करेगा। भारत विभिन्न देशों के साथ सामरिक साझेदारी बढ़ाने के साथ रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने पर फोकस कर रहा है। इसमें फ्रांस इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वह अत्याधुनिक अचूक रक्षा उपकरण भारत को देना चाहता है। तकनीक साझा कर भारत में उनके उत्पादन को प्रोत्साहन देने में भी उसे समस्या नहीं है। मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत में फ्रांस रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा साझीदार बन रहा है। यह तय हुआ कि पनडुब्बी से लेकर नौसेना के विमान आदि केवल अपने लिए नहीं बल्कि जो मित्र राष्ट हैं उनकी आवश्यकताओं के हिसाब से निर्मित कर उनको बेचा जाए। यह बहुत बड़ी बात है। अभी तक हम अमेरिका या रूस आदि के साथ भारत में उत्पादन या दोनों देशों का ध्यान रखते हुए उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण की सीमा तक बढे थे। भारत ने फ्रांस से राफेल के 26 नौसेना संस्करण राफेल-एम के साथ तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद का सौदा किया है। नौसेना के लिए तैयार यह राफेल एंटी शिप मिसाइल दागने की क्षमता के साथ इसमें विमान वाहक पोत से उड़ान भरने और लैंडिंग की सुविधा है। फ्रांस स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की तकनीक भी हस्तांतरित करेगा। इससे इनका निर्माण भारत में होगा। पांचवी पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान और मल्टीरोल हेलीकॉप्टरों के इंजनों के लिए बातचीत अंतिम चरण में है। इन लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों का निर्माण फ्रांसीसी कंपनी के सहयोग से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल द्वारा होगा। दोनों देश नाभिकीय ऊर्जा के लिए छोटे व अत्याधुनिक रिएक्टर बनाने में भी सहयोग करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हिंद प्रशांत क्षेत्र पर संपूर्ण विश्व के प्रमुख देशों का फोकस है। भारत और फ्रांस ने हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को लेकर रोडमैप जारी किया। इसके अनुसार दोनों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के साथ अपनी सेनाओं की मौजूदगी और संपर्क को बढ़ाएंगे। फ्रांस जहां भारत में रक्षा औद्योगिक क्षमताओं के विकास में मदद करेगा वही भारत लारी यूनियन, न्यू केलेडोनिया और फ्रेंच पोलिनेशिया जैसी फ्रांसीसी बस्तियों की सुरक्षा में मदद करेगा। प्रशांत क्षेत्र की इन बस्तियों में फ्रांस के करीब 15 लाख लोग और आठ हजार से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं। 2018 में भारत और फ्रांस हिंद महासागर क्षेत्र में भारत फ्रांस सहयोग के संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण पर सहमत हुए थे। दोनों देशों ने इस क्षेत्र के देशों के साथ मिलकर कई स्तरों पर सहयोग कार्यक्रम की शुरुआत की है। भारत नौसेना के 26 राफेल का इस्तेमाल हिंद प्रसाद में अपनी स्थिति को मजबूत करने में करेगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र में फ्रांस प्रभावी मौजूदगी नहीं है। इस क्षेत्र में दोनों देश अपने हितों को देखते हुए अलग-अलग मंचों पर साझेदारी भी बढ़ा रहे हैं। फ्रांस ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ मिलकर एक मोर्चा मजबूत कर रहा है।प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत के लोग खुद को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प कर चुके हैं। यानी हमारा लक्ष्य क्या है यह फ्रांस के सामने स्पष्ट कर दिया गया।
नरेंद्र मोदी की यात्रा फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के साथ भारत फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरा होने के अवसर से भी जुड़ा था। 1998 में भारत और फ्रांस के साथ रणनीतिक साझेदारी का समझौता हुआ था। 1998 में नाभिकीय विस्फोट के बाद पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया था, पर फ्रांस ने भारत का समर्थन किया और उसी समय उसने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी की। फ्रांस ने पश्चिमी देशों के उलट जाकर भारत को नाभिकीय प्लांट लगाने में मदद की। कश्मीर मुद्दे से लेकर कई अंतरराष्ट्रीय विवादित मुद्दों पर फ्रांस भारत के रुख का समर्थन करता रहा है। इस नाते फ्रांस और भारत के संबंधों का महत्व समझ में आता है।
भारत और फ्रांस के बीच अनेक वैश्विक मुद्दों पर सहमति है। भारतीय प्रधानमंत्री जिस नई विश्व व्यवस्था की बात कर रहे हैं उसे भी गहराई से देखें तो फ्रांस के साथ ज्यादातर मुद्दों पर सहमति दिखेगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार फ्रांस भी चाहता है और उसने भारत की स्थायी सदस्यता का पक्ष लिया है। दोनों देश बहुपक्षीय विश्व के समर्थक है। इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भी दोनों की सोच मिलती है। दोनों ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में भी साझेदारी की बात की है।हर देश अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ही द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ताना-बाना बनता है और फ्रांस इसका अपवाद नहीं हो सकता। किंतु हमारे राष्ट्रीय हित उनके साथ मेल खाते हैं, स्वयं को प्रभावी वैश्विक शक्ति यानी महाशक्ति बनने के हमारे लक्ष्य से वह सहमत दिखता है तथा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की वर्तमान भारतीय नेतृत्व की कल्पना के अनुरूप अगर फ्रांस की दृष्टि है तो मोदी मैक्रो के बीच का आपसी विश्वास के बीच साझेदारी सशक्त होती जाएगी।

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