Solution to the traffic
पहले-पहल तो मुझे लगा ये वॉट्सएप्प पर चलाया गया सुपरिचित भारतीय फ़र्ज़ीवाड़ा होगा। पर बाद में खोज करने पर मालूम हुआ कि इस व्यक्ति ने सच में ही यह बात उज्जैन में कही थी। स्थान था, संस्कृत और वैदिक विश्विविद्यालय। ज़ाहिर है ऐसी जगहों पर तो यही सब बातें बोली जाएंगी। पर चिंता की बात है कि इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठा व्यक्ति यह मूढ़तापूर्ण बात बोल रहा है, तो आप सोचें कि भारतीय भाँग किस सीमा तक कुएं में घुली हुई है।
मेरी जिज्ञासा है कि चन्द्रयान की लैंडिंग के लिए किस वैदिक सिद्धांत का उपयोग किया गया था? मोशन और ग्रैविटेशन के कौन-से लॉ वेद में हैं? रॉकेट-साइंस की कौन-सी थ्योरी वेद में है? थ्रस्ट और प्रोपल्शन का कौन-सा सिद्धांत वेद-वर्णित है? एक रॉकेट जिस तरह से एस्केप वेलोसिटी हासिल करके अंतरिक्ष में जाता है, फिर खुद को विभिन्न हिस्सों में विभक्त करता है, ओर्बिटर और लैंडर कैसे अलग होते हैं, यह सब वेदों में कहाँ पर लिखा है- कृपया सूत्र सहित बतावें। यह भी बतावें कि जब वेदों में पहले ही सब लिखा था, तो मून पर अंतरिक्षयान को लैंड करवाने में अमेरिका और रूस से भी पचास साल आप क्यों पिछड़ गए?
यह अहसानफ़रामोशी देखते हैं? वेस्ट से सब सीखेंगे पर तुर्रा यह है कि हमको पहले से सब पता था। यह अहसानफ़रामोशी भी एक सुपरिचित भारतीय-फ़ितरत है। क़ायदे से तो यह होना चाहिए था कि ग्रैशियसली वे लोग इस बात को स्वीकार करते कि हमने यह सब रॉकेट-तकनीक वेस्ट से सीखी है, उनका अनुसरण करके इस काम को अंजाम दिया। हम इसके लिए उनके आभारी हैं।
जिस आदमी में बड़प्पन होता है वो हज़ार तीर मारके भी चुप रहता है। पर छोटा आदमी एक मामूली-सी चीज़ करके भी डींगें हाँकने लगता है। इसी का नाम हीनता-ग्रंथि है।
यह पोस्ट पढ़ रहे पाठकों से मेरा आग्रह है कि सुबह से लेकर रात तक आप जिन-जिन चीज़ों का उपयोग करते हैं, पता करें उनकी उत्पत्ति कहाँ पर हुई है। आप पाएँगे कि लगभग सबकुछ ही वेस्ट में उत्पन्न हुआ है, इंडिया ने कुछ नहीं बनाया। दो पैसे की उपलब्धि नहीं और घमंड आसमान पर। चीज़ें तो दूर, आइडियाज़ भी सारे वेस्ट के हैं- चुनावी लोकतंत्र से लेकर मेडिकल साइंस तक।
आप यह पोस्ट फोन पर पढ़ रहे हैं, यह वेस्ट में बना। कम्प्यूटर पर पढ़ रहे होंगे तो वह वेस्ट में बना। इंटरनेट वेस्ट में बना। बिजली का आविष्कार वेस्ट में हुआ। इसरो प्रमुख बोल रहे थे कि एविएशन तकनीक वेदों में वर्णित है। जबकि हवाई जहाज़ वेस्ट में बना है। भारत में कब, कौन-सा हवाई जहाज़ था, मैं इतिहास में उसका वर्णन जानना चाहूँगा। अब ये मत कहना कि पुष्पक विमान का निर्माण भारत में हुआ था। क्योंकि जिस किताब में पुष्पक विमान है, उसी में यह भी वर्णन है कि हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया था और पहाड़ को उठाकर ले आए थे। आप रहने दीजिये। आप अगर मिथाेलॉजी को हिस्ट्री की तरह पढ़ते हैं तो आगे क्या बात की जाये।
इसरो प्रमुख यह भी कह रहे थे कि संस्कृत कम्प्यूटर और आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस के लिए बहुत मुफ़ीद है। मेरी जिज्ञासा यह है कि भारत-देश में कितने लोग आज संस्कृत बोल रहे हैं और वेद पढ़ रहे हैं? हिंदुत्ववादी सरकार है और हिंदू बहुसंख्या वाला देश है, कौन-से शैक्षिक पाठ्यक्रमों में वेद और संस्कृत है? अगर नहीं है तो क्यों नहीं है? इतना ही नहीं, जिन-जिन लोगों को भारत के धर्म और संस्कृति पर बहुत तथाकथित गर्व है, उनके अपने बच्चे स्कूलों में साइंस और इंग्लिश पढ़ रहे हैं या वेद और संस्कृत पढ़ रहे हैं? केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बच्चे किन स्कूलों में, कहाँ पर पढ़ रहे हैं? उनमें से अधिकतर तो विदेशों में शिक्षा ग्रहण कर रहे होंगे। किसकी संतानें वेद और संस्कृत पढ़ रही हैं?
यानी ख़ुद भारतीयों की नज़र में वेद और संस्कृत की कौड़ी की हैसियत नहीं है, पर चाहते हैं कि दुनिया यह माने कि ये सबसे महान हैं और इन्हीं से सारी ज्ञान-परम्परा की उत्पत्ति हुई है।
इसरो में जिस तरह से धर्मप्राण जनता बैठी हुई है और स्वयं इसरो प्रमुख की ऐसी सोच है, उससे यह भी सिद्ध होता है कि वैज्ञानिक और इंजीनियर होने में भेद है। वैज्ञानिक ख़ुद एक थ्योरिटिकल साइंटिस्ट होता है और वह एक एनालायटिकल विचार-प्रक्रिया के माध्यम से इनोवेशन करता है, जबकि इंजीनियर पहले से निर्मित परिपाटी का इस्तेमाल भर करता है। बीते सौ सालों का ऐसा कौन-सा ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन है, जिसने पूरी दुनिया को बदल दिया हो और उसकी उत्पत्ति भारत से हुई हो? वेद तो अभी भी मौजूद हैं ना? सारी थ्योरियाँ उनमें लिखी हुई हैं। फिर ऐसा क्यों है कि वेस्ट ही सारे इनोवेशन कर रहा है और भारत के लोग उनके द्वारा बनाई गई चीज़ों का इस्तेमाल भर कर रहे हैं? उस पर भी यह ग़ुमान कि हमको तो पहले ही यह पता था?
यह बेशर्मी, ढिठाई और मूर्खता का भारतीय डीएनए से कोई सम्बंध है क्या?
problem of metros