चन्द्रमा के विभिन्न पर्याय समस्त विश्व में प्रसिद्ध रहे हैं। उनमें चन्द्रमा के सदृश सौन्दर्य की उपमा, भारत देश में सभी धर्मों के अनुयायिओं के लिए देवतुल्य एवं बच्चों को बहलानें लिए मामा का पर्याय आदि अधिक प्रसिद्ध हैं। मामा के घर भांजे का जाना सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भांजा सदैव से ही मामा का प्रिय रहा है, वे कभी भी अपने भांजो को खाली हाथ नहीं भेजते।
चन्द्रयान -3 का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सहजता से अवतरण को भी इसी दृष्टि से यदि देखा तो यह अवतरण सम्पूर्ण विश्व को अचम्भित करने वाला है। परन्तु विश्व इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि चंद्रमा पर अन्य देशों के अनेको प्रयासों के पश्चात सफल होना और भारत के तीसरे प्रयास के सफल होने का एकमात्र कारण यही है कि चन्द्रमा, मामा तो केवल भारत के ही है और मामा अपने भांजे को प्रेम व वात्सल्य से अंगीकार करता है और इस ऐतिहासिक क्षण को सम्पूर्ण विश्व ने दिनांक 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार सांयकाल 06ः04 बजे अचम्भित होकर देखा।
अमेरिका, चीन व रूस को कभी भी यह आशा नहीं थी भारत का चन्द्रयान-3 इतनी सहजता के साथ चन्द्रमा पर पहुँच जाएगा। चन्द्रयान-3, चन्द्रमा पर अपने प्रारम्भिक 10 दिनों के भ्रमण के पश्चात 3 सितम्बर को स्लीप मोड पर पहुँच गया था। इस समयान्तराल में उसने जो भी सूचनाए प्रेषित की, वे सम्पूर्ण विश्व को अचम्भित करने वाली हैं यथा – वहाँ की सतह के तापमान का अध्ययन, अनेको खनिज पदार्थो की खोज आदि चन्द्रमा पर उपरोक्त वस्तुस्थिति का संज्ञान कराया जाना मात्र एक ट्रेलर था, अभी तो पूरी पिक्चर आनी बाकी है।
चन्द्रयान-3 के सफल होने का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी था कि उसमें, जितने भी पुर्जे लगाए गए थे, वे सभी भारत में ही निर्मित थे। इसके विपरीत चन्द्रयान 1 तथा 2 के निर्माण में प्रयुक्त विदेशी पुर्जे कितने विश्वसनीय थे ये सभी को ज्ञात है। इससे यह सिद्ध होता है कि जहाँ चन्द्रयान – 3 सफल हुआ वही रूस का लूना-5 मध्य मार्ग में ही ध्वस्त हो गया था। उसका ध्वस्त होना सामयिक था क्योंकि चन्दामामा ये नहीं चाहते थे कि जब भांजा उनके पास हो तब उनके प्रेम में कोई भी विघ्न उत्पन्न करें। चन्द्रयान 3 के सफल अभियान से भारतियों को गर्व की अनुभूति हुई। इस महत्वूपूर्ण कार्य में पुरूष वैज्ञानिकों के साथ 330 महिला वैज्ञानिकों ने भी अपना पूर्ण योगदान दिया। इतना अधिक मातृ शक्ति का योगदान अमेरिका एवं रूस के पास कभी नहीं रहा। भारतीय संस्कृति में भी मातृशक्ति की महिमा का वर्णन किया गया है कि जब-जब मातृशक्ति अपने प्रभाव से किसी कार्य को करने का निश्चय करती है, तब-तब वे समस्त कार्य सफलता की ओर अग्रसित होते जाते हैं।
जहाँ तक चन्द्रयान-3 से प्राप्त उपलब्धियों की गणना का प्रश्न है तो यही कहा जा सकता है कि उसमें ऐसे कैमरे स्थापित किए गए हैं, जिनसे प्राप्त चित्र एवं आंकड़ों से हमें वहाँ की भौगोलिक स्थिति का विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता रहेगा, यथा- चंदा मामा के पास क्या-क्या खनिज है, कितना जल है, वहाँ पर मनुष्य के निवास हेतु कितने साधन उपलब्ध है और उनमें से आवश्यक खनिजों को वहाँ से पृथ्वी तक कैसे लाया जा सकता है और उनसे कौन-कौन से लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
भारतीय चन्द्रयान-3 का चांद पर अवतरण निश्चितः एक भावी सुखद भविष्य का संकेत है। चंदा मामा का आशीर्वाद भारतियों को निकट भविष्य में क्या-क्या सुखद अनूभति देगा यह कुछ समय पश्चात ही सम्पूर्ण विश्व को प्रदर्शित हो जाएगा।
योगेश मोहन