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विधानसभा चुनाव और भाजपा


मिजोरम को छोड़ दें तो चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट है। और उसमें भी महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से केवल एक राज्य में भाजपा की सरकार है। तिस पर भी हार का संकट गहरा रहा है। आम चुनाव 2024 से पहले का ये वह विधानसभा चुनाव है, जिसमें बढ़िया प्रदर्शन के बाद ही देशभर में तब के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के लिए ’14 चुनाव में पीएम की उम्मीदवारी मजबूत हुई थी। इन चारों राज्यों में से तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा ने क्लीन स्वीप जीत लिए थे। इसके बाद ही 2014 का जनरल इलेक्शन भाजपा के पक्ष में सुनामी बनकर आ गया।
आज की स्थिति में राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर कांग्रेस की पकड़ काफी मजबूत है। भाजपा के लिए निष्पक्ष राजनीतिक विश्लेषण करने वाले भी कम से कम छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए दूर-दूर तक जीत का संकेत नहीं दे रहे। और राजस्थान में अभी तक कुछ भी मजबूती से नहीं कहा जा सकता। लेकिन मध्य प्रदेश के साथ भाजपा के पास कोई विकल्प नहीं है। तकरीबन दो दशक के एंटी इनकंबेंसी के बावजूद मध्य प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी राजनीतिक प्रतिष्ठा का विषय है। यह बात ठीक है कि मोदी काल की राजनीति में विधानसभा और लोकसभा के वोटिंग पैटर्न अलग-अलग देखे जा रहे हैं। लेकिन चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हो और उसमें से इकलौता राज्य भी बीजेपी बचा न सके तो कैसा मोदी मैजिक? यही प्रश्न भाजपा की चुनावी मशीनरी के लिए लगातार चिन्ता का विषय है।
चुनाव से पहले ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए, कि भाजपा को अमुक चुनाव में कितनी सीटें आ सकती है, कई तंत्र कार्य करते हैं। पार्टी का आंतरिक सर्वे, आरएसएस कैडर का सर्वे, मोदी जी का अपना चुनावी सेल, सरकार में है तो सरकारी एजेंसियों की रिपोर्ट, खासकर रॉ की रिपोर्ट, इन सभी आंकड़ों से भाजपा आने वाले चुनावी परिणाम की जमीनी सच्चाई को स्वीकारती है। इसलिए मध्य प्रदेश में भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े संसदीय नेता को विधानसभा की सीट पर खड़ा कर दिया है। यह किसी भी राजनीति के लिए बड़ी बात है। चुनाव लड़ने के तमाम हथकंडे हो सकते हैं, लेकिन चुनावी रणनीति में एक भी गुंजाइश बच जाए तो मतलब हुआ भाजपा ने मन से चुनाव नहीं लड़ा।
जिस प्रकार 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति हो गई थी, कि गुजरात हारने का मतलब दिल्ली में पीएम की कुर्सी पर मोदी का बने रहने के बावजूद मोदी की राजनीतिक हार। हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश की तिकड़ी ने गुजरात को जड़ से हिला दिया था। बावजूद इसके बड़ी खतरनाक मार्जिन से गुजरात विधानसभा में भाजपा ने वापसी की। तब गुजरात में सत्ता जाना भाजपा के लिए बड़ी बात नहीं थी। लेकिन गुजरात मोदी की चुनावी प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ राज्य है। आज मध्य प्रदेश भी ठीक उसी गुजरात की स्थिति में आकर खड़ा हो गया है। ज्योतिषिय आंकड़े भी मोदी के पक्ष में नहीं हैं। इसके बावजूद भी यदि भाजपा को मध्य प्रदेश में हर हाल में वापसी करनी है, तो केवल और केवल यह चुनावी रणनीति और मेहनत के बल पर ही संभव है। ठीक जैसे गुजरात में हुआ था।…

 अवधेश प्रताप सिंह 

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