Shadow

डीपफेक : भारत दुनिया के असुरक्षित देशों में छठे स्थान पर

विश्व के साथ भारत में भी सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। लोग सहज भाव से अपनी फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं, लेकिन वे इससे जुड़े ख़तरों से सचेत नहीं हैं।काफी पहले से ही यह आशंका जतायी जा रही थी कि आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिये अपराधी तत्वों द्वारा खतरनाक मंसूबों को अंजाम दिया जा सकता है। इस खतरे को देख आईटी विशेषज्ञ चेताते भी रहे हैं। हाल ही में बॉलीवुड की एक नायिका के वीडियो में छेड़छाड़ करके उसे विकृत करने के मामले ने इन आशंकाओं की हकीकत को बताया है।

दरअसल, डीपफेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के टूल द्वारा छवियों और वीडियो को शरारतन बदलने का वह जरिया है, जिससे समाज में भ्रामक स्थिति पैदा की जा सकती है। उसमें वह कहा या होता दिखा दिया जाता है जो वास्तव में होता ही नहीं है। लेकिन असली होने का भ्रम पैदा करता है। निश्चित ही जिस व्यक्ति को निशाने पर लिया जाता है उसके लिये इससे असहज व अपमानजनक स्थिति पैदा हो जाती है। यकीनी तौर पर डीपफेक के जरिये भ्रामक सूचना प्रसारित करने व गोपनीयता उल्लंघन की क्षमता चिंता बढ़ाने वाली है। आईटी साधनों के जरिये अपराधी सोच के लोग क्राइम करने, किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाने, चुनाव के संवेदनशील समय का दुरुपयोग करने तथा लोगों का लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास कम करने का कुत्सित प्रयास कर सकते और कर भी रहे हैं।

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑनलाइन सभी डीपफेक वीडियो में 98 फीसदी वयस्कों से जुड़ी सामग्री होती है। जो ज्यादातर महिलाओं को निशाना बनाती है। सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि भारत दुनिया के असुरक्षित देशों में छठे स्थान पर आता है। हाल ही में बॉलीवुड की अभिनेत्री के वीडियो से छेड़छाड़ के प्रकरण ने शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। साथ ही देश में वायरल फुटेज के लिये दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी मांग तेज हुई है। दरअसल, हाल के दिनों में सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। लोग सहज भाव से अपनी फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं। जो ऐसे खतरों की जद में लगातार बने रहते हैं।

इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार भी हरकत में आई है। केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के संचालकों को निर्देश दिये हैं कि उपयोगकर्ताओं से जुड़ी किसी भी फोटो व वीडियो आदि के दुरुपयोग का मामला प्रकाश में आने पर 24 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को उस प्लेटफॉर्म से हटा लिया जाए। इस खतरे से प्रभावित लोगों को एफआईआर दर्ज कराने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को तुरंत सूचित करने को कहा गया है। हां, यह उल्लेखनीय है कि आईटी आधिनियम 2000 के तहत दोषी व्यक्ति को तीन साल तक जेल की सजा दी जा सकती है। इस कानून में एक लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसा कोई भी व्यक्ति जो संचार उपकरणों या कंप्यूटर के जरिये किसी की छवि खराब करने या धोखाधड़ी करने का प्रयास करता है, वह सजा के दायरे में आएगा। निस्संदेह, सार्वजनिक जीवन में जनता का विश्वास हासिल करने के लिये दोषियों को सख्त सजा देना जरूरी है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में इस साल सोशल मीडिया साइटों पर पांच लाख वीडियो और ऑडियो डीपफेक के जरिये साझा किये गए हैं। इस चुनौती को देखते हुए दुनिया के कई विकसित राष्ट्र इस समस्या के समाधान के लिये गंभीर प्रयास कर रहे हैं। यहां तक कि ब्रिटेन का ऑनलाइन सुरक्षा विभाग डीपफेक पोर्न को साझा करने को अपराध की श्रेणी में रखता है। चीन में भी उपयोगकर्ता की सहमति के बिना डीपफेक तैयार करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि किसी भी संशोधित सामग्री का खुलासा करना अनिवार्य हो। वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया ने भी सार्वजनिक हितों को नुकसान पहुंचाने वाले डीपफेक को साझा करने को अवैध बना दिया है।

भारत सरकार को इस घातक तकनीक के खतरों को महूसस करते हुए ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच करनी चाहिए। बॉलीवुड अभिनेत्री के साथ हुई घटना को खतरे की घंटी मानते हुए देश में एक फुलप्रूफ व्यवस्था बनाने का प्रयास करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *