संविधान ने जनगणना की इजाजत दी है या जाति जनगणना की ? यदि जाति जनगणना की अनुमति है तो फिर दो वर्षों से रुकी राष्ट्रीय जनगणना को जाति जनगणना का आकार प्रदान कर दीजिए ? बीजेपी सहित तमाम दल जातपात खेलने के पक्षधर हैं । तो संविधान सम्मत नेशनल सेंसेस को संविधान संशोधन के माध्यम कास्ट सेंसस में क्यूं ना बदल दिया जाए ? सुप्रीमकोर्ट पहले ही दखल देने के मूड में नहीं है ।
टुकटुक सुनार की एक चोट लुहार की । आरक्षण बढ़ाते जाने से तो अच्छा है कि एक बार में ही खेला हो जाए ? सुप्रीमकोर्ट के 50% से अधिक आरक्षण पर प्रतिबंध को मानता कौन है ? तमिलनाडु में दशकों से 69% आरक्षण चला आ रहा है । अब नीतीश ने 75% की आग लगाई है तो यह आग एक ही बार लग जाए पूरे देश में ? आखिर पहले भी तो बाबा साहेब द्वारा दिए गए 17.5% आरक्षण को मंडल की आग में पकाकर 50% तक ले जाया जा चुका है । तो फिर हो जाए तमाशा , अखाड़ा खुद जाए , लड़ो मेरे भाई , ढोल बजाओ मेरे भाई ?
एक बात और बता दीजिए । यह सब सवर्णों को अल्पसंख्यक बनाने के लिए ही हो रहा है न ? कोई बात नहीं । 25% आरक्षण तो उन्हें मिल ही जाएगा । अन्यथा प्रतिभा पलायन हो जाएगा । बाकी दुनिया में प्रतिभा आरक्षित है , जाति नहीं । आज भी देश के करीब चार करोड़ इंडियन अवसरों की तलाश में विदेश जा चुके हैं । हर वर्ष जा रहे हैं । अधिकांश के पलायन के पीछे बढ़ता आरक्षण है , जिसने नौकरी के द्वार प्रतिभाओं के लिए आधे बंद कर दिए हैं । दक्षिण भारत में देखिए । जब से 69% आरक्षण हुआ , तब से तमिलनाडु ही नहीं , दक्षिण के पांचों राज्यों में सवर्णों ने बड़े बड़े उद्योग लगा लिए हैं । पता लगाइए केरल को छोड़कर आज पूरे दक्षिण भारत में बाजार पर सवर्णों का कब्जा है ।
विषमता मिटाने और समरसता लाने का एकमात्र रास्ता राजनीति अगर जाति आरक्षण को मान रही है तो हम 75% आरक्षण के सबसे बड़े पक्षधर हैं । परंतु राजनीति यदि जाति आरक्षण के आधार पर हिंदुओं को बांटकर सत्ता हथियाने का ख्वाब देख रही है तो यह उसकी भारी भूल है । हिन्दू समाज को जातियों में बांटने का यह मतलब नहीं कि देश से 80% हिन्दुत्व टुकड़े टुकड़े हो जाएगा । जी नहीं जनाब , जातियों में बंटकर भी हिन्दू 80% ही रहेगा । अरे जिस हिन्दू को 1000 साल तक आक्रांता और अंग्रेज नहीं बांट पाए , उसे नीतीश , लालू , राहुल , अखिलेश , खड़गे और ममता क्या बांटेंगे ? करा लीजिए पूरे देश में जाति जनगणना । न हिन्दू बंटेगा और न हिन्दुत्व । हिन्दुत्व के साथ सभ्यता और संस्कृति का हिमालय संतरी सा अड़ा हुआ खड़ा है ।
अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश