Shadow

बिहार जाति जनगणना


************************
*ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं*
*~ठग्गू के कद्दू – नीतीश पटना वाले*
तो जनाब आइए बताता हूं पराभव की कहानी भारत में अधिकतम मेधावी दिमाग वाले राज्य बिहार की कहानी।

भारत स्वतंत्र हुआ तबसे लेकर आज तक बिहार कमोबेश 1947 की स्थिति में ही है। संयुक्त बिहार के बारे में प्रसिद्ध था कि पूरे देश को Labour, Mineral व Officer सबसे ज्यादा बिहार से मिलता है। मिनरल गया झारखंड में,ऑफिसर बनने भी कम हो गए, और बच गए *Labour* और इसकी सप्लाई निर्बाध जारी है। मेधावी मस्तिष्क पलायन कर देश तो देश पूरे विश्व के कोने कोने में भाग कर बस गए। *आज बस बिहारी श्रेष्ठता बोध लिए भव्य अतीत के खंडहरों का थोथा गान करने के अलावा बिहारियों के पास कुछ नहीं है।* वर्तमान में बिहार के पास अगर कुछ है तो देश भर के शहरों,महानगरों में झुग्गियों में कीड़ों की तरह बिजबिजाते मजदूर,झुग्गियों से थोड़ा बेहतर कबूतरखानों जैसे फ्लैटों में बैंक की किस्तों पर जिंदगी गुजारता तथाकथित मध्यम वर्ग और इन सबके ऊपर शारीरिक,मानसिक लंपट राजनेता।

1947 से 1990 तक कांग्रेस, उसके बाद15 बरस लालू और आज 18 बरस से नीतीश कुमार,माने 75 वर्षों में इन लंपटों ने सिर्फ *कुर्सी* के लिए जानमारी की है। इन लंपटों ने बिहार को इसकी स्थापना के बाद कभी युवा न होने दियाहोने सीधे जर्जर वृद्धावस्था में पहुंचाया और अब मरणासन्न हाल में छोड़ दिया है।

*सत्ता के मल मूत्र हाथ से नहीं बल्कि दांत से भींचे रहने* की कला में माहिर ये लोग सत्ता बचाने के लिए एक से एक शगूफे का इस्तेमाल करते हैं और सफल होते हैं। संकट में शुतुरमुर्ग की तरह अपनी गर्दन बालू में घुसेड़ लेते हैं। नक्सल,समाज सैकड़ों जातियों में बंटा अपने जाति के *सर्वश्रेष्ठ लंपट* को चुनाव जितवाता है और पांच साल लंपट को गरियाता है।

अभी लंपटों ने कहा कि, बिहार में जातीय जनगणना करेंगे और नारा दिया – *”जिसकी जितनी संख्या भारी,उसकी उतनी हिस्सेदारी”*
अबे ये तो बताओ किस चीज में हिस्सेदारी? 75 वर्षों में क्या किया? 30 साल पहले लागू आरक्षण से क्या फायदा पहुंचाया बेचारे *भारी संख्या* वालों को?
नीतीश जी आपने 18 सालों में क्या किया जो कोरोना लॉकडाउन में पूरे देश से बिहारी मजदूरों को कई कई हजार किलोमीटर से पैदल मरते खपते बिहार आना पड़ा,”और तुमने तो राजा बॉर्डर पर बैरिकेड लगवा दिया की कोई साला *भारी संख्या* वाला बिहार में न घुसने पाए।” हद है दोगलई और दोगलेपन की हे लंपटाधिराज!

लंपट महराज आपको 18 सालों में छीछले पानी के गड्ढे के मेढक की तरह इस गड्ढे से उस गड्ढे में छलांग मारते ही देखा है।महराज आप क्यों ढोंग करते हो, अरे बाकी प्राइवेट लिमिटेड पॉलिटिकल पार्टियों की तरह आप भी आसन पर जमे रहते अध्यक्ष पद पर।अपने साथी लालू लंपट से ही कुछ सीख लेते। अब जो लल्लन वाला लंपटई किए हो गुरु कसम से दिल जीत लिया तुमने। लगता है फिर भाजपा में छलांग मारने वाले हो। भाजपा भी साला सही में Party with difference के बजाय Different Party बनके कब तुम्हे गोदी में बिठा ले,ये भगवान या उनसे एक दिन छोटे मोदी या दो दिन छोटे शाह जी जाने।

लंपटों,लब्बेलुआब ये है कि धान की कटनी और गेहूं की रोपनी हो गई, छठ,दिवाली बीत गई और कल 1 जनवरी को नदी, पुल,बगीचा,खरिहान में मुर्गा भात दारू से नए साल का पिकनिक मना कर ये *”संख्या भारी”* पुनः दिल्ली,मुंबई,पंजाब,चेन्नई,उत्तराखंड,गौहटी,कलकत्ता,गुजरात के लिए रेलम पेल रवाना हो जाएगी और लंपट राजनेताओं को जितवाने के लिए चुनाव में आएगी और अपने हृदय सम्राट कुशवाहा,चौधरी,पांडे,मिश्रा,तिवारी,सिंह, पोंछ,यादव,गुप्ता, धानुक,मुसहर,हरिजन,मियां, तेली, झा जी, व असंख्य जातियों के हृदय सम्राट लंपटों को वोट डालकर वापस अपने पिस्सू गाह झुग्गी में पहुंच जाएगी।

*बिहार वासियों को नए साल की वही पुरानी अपरिवर्तित बासी,झूठी शुभकामनाएं!*

बाकी संपूर्ण देशवासियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

संतोष पाण्डेय
अधिवक्ता
दिल्ली उच्च न्यायालय
३१.१२.२०२३

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *